चुनाव से पहले नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक, NPR-NRC-CAA के बहाने एक 'तीर' से साधे कई निशाने
आज बिहार विधानसभा में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर गर्मागर्म बहस हुई. नीतीश कुमार ने एक-एक कर सभी सवालों का जबाव दिया. चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने इन मुद्दों पर अपना स्टैंड बिल्कुल साफ कर दिया है.
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने चुनावी साल में सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर चल रहे महीनों की सियासत को एक ही वार से बिहार में खत्म कर दिया. या यूं कहिए कि एक 'तीर' से कई निशाने साध लिए. आज बिहार विधानसभा में इन तीनों मुद्दों पर गर्मागर्म बहस हुई. पहले तेजस्वी यादव ने इन मुद्दों को लेकर कई सवाल पूछे. आरोप भी लगाए. बारी जवाब की आई तो नीतीश कुमार ने अपनी तरकश के कई 'तीर' छोड़े.
नीतीश कुमार ने सीएए, एनपीआर और एनआरसी मुद्दा उठाने के लिए धन्यवाद तो कहा ही साथ ही निशाने पर भी ले लिया. नीतीश ने कहा कि 13 जनवरी को विधानसभा मे एक विशेष बैठक बुलाई गई थी. उसी के दौरान विपक्ष के नेता ने कहा था सीएए, एनपीआर पर भी चर्चा होनी चाहिए. हमलोगों ने कहा था कि चर्चा करने में कोई एतराज नहीं है. चर्चा मुद्दे पर होनी चाहिए. इसके लिए धन्यवाद देता हूं. ये अच्छी परंपरा की शुरुआत की है.
बीजेपी के नेता एनआरसी, एनपीआर और सीएए पर खुलकर बोलते थे. इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि विधानसभा से जो प्रस्ताव पारित किया गया है उसमें बीजेपी की सहमति है. इसलिए बीजेपी के समर्थकों को कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए.
नीतीश ने खत्म कर दिया विपक्ष का मुद्दा?
नीतीश ने इस मसले पर विपक्ष के नेता तेजस्वी से मुलाकात कर सर्वसम्मति से पारित कराए जाने के लिए राय ली. जिसे तेजस्वी भी मान गए. यानी विपक्ष के मुद्दे को खत्म करने का आसान तरीका अपनाया. अब तेजस्वी इस मुद्दे को तूल नहीं दे पाएंगे. नीतीश ने कहा कि एनपीआर को पुराने रूप में लागू करने के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराया गया.
एनआरसी पर नीतीश कुमार ने क्या कहा?
इसके बाद बारी एनआरसी को लेकर जवाब देने की थी. नीतीश ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण को ही विधानसभा में रख दिया जिसमें एनआरसी नहीं होने की बात कही थी. इस जवाब के साथ उन्होंने कांग्रेस को चुप करा दिया. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने कह दिया तो फिर हौवा बनाने की जरूरत क्या है?
मुख्यमंत्री ने पीएम का भाषण पढ़ा. नीतीश ने कहा, ''22 दिसंबर 2019 को दिल्ली में उनका भाषण है कि मैं भारत के 130 करोड़ लोगों को यह बताना चाहता हूं कि जब से 2014 से मेरी सरकार सत्ता में आयी है तब से लेकर अब तक एनआरसी के बारे में कहीं कोई चर्चा नहीं हुई है. हमें इसे सिर्फ उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन हेतु इसे असम में लागू करना था. एनआरसी इसका भी ऐसा झूठ चलाया जा रहा है. ये कांग्रेस के जमाने में बना था. हमने तो बताया नहीं एनआरसी के बारे में, पार्लियामेंट में आया नहीं, न कैबिनेट में आया है, न उसके कोई कायदे कानून बने हैं केवल हौवा खड़ा किया जा रहा है.’’
एनआरसी को लेकर नीतीश यहीं नहीं रुके. उन्होंने पुराने दस्तावेज का हवाला देते हुए उस वक्त के कांग्रेस और आरजेडी नेताओं की पोल खोल दी. उन्होंने बताया कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2004 में आया था और उसमें एनआरसी भी एक मसौदा था उस कमिटी के लालू प्रसाद और रघुवंश प्रसाद सिंह सदस्य थे. लालू यादव तब राज्यसभा में थे और रघुवंश लोकसभा में थे.
सीएए पर क्या बोले मुख्यमंत्री?
आखिर में सीएए की बारी आई तो उसे सुप्रीम कोर्ट के पाले में होने की बात कह कर नीतीश कुमार ने अपनी बात खत्म कर दी. नीतीश ने कहा कि ये सेन्ट्रल एक्ट है. संविधान की चीज है जो सुप्रीम कोर्ट में गया है. इस पर फैसला सुप्रीम कोर्ट से होगा कि ये संवैधानिक है या असंवैधानिक है.
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets