मुंबई: मानसून में कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका, क्या हैं इंतजाम?
मानसून के दौरान हर साल डेंगू, मलेरिया और दूसरी बीमारियों के मामले सामने आने लगते हैं. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ सकता है.

मुंबई: मुंबई में मानसून ने दस्तक दे दी है और इसी के साथ आशंका जताई जा रही है कि कोविड-19 से संक्रमित होने वालों की तादाद बढ़ेगी. हर साल मानसून के दौरान मलेरिया, डेंगू और दूसरी बीमारियों के मरीजों की तादाद भी बढ़ जाती है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि शहर की स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव और ज्यादा बढ़ जाएगा. ऐसे में विशेषकर कोरोना के मरीजों के लिए एक और हजार बेड वाला विशेष अस्पताल शुरू किया जा रहा है. पिछले महीने भी 1008 बेड वाला एक विशेष कोविड अस्पताल मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में शुरू किया गया था.
नया कोविड अस्पताल पिछले महीने शुरू किये गये विशेष कोविड अस्पताल के बगल में ही बनाया गया है. मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआडी) ने इस अस्पताल को भी बेहद कम समय में तैयार किया है. पहला अस्पताल महज 15 दिन में तैयार किया गया था, जबकि ये अस्पताल 18 दिनों में तैयार किया गया है. ये अस्पताल भी 15 दिनों में ही तैयार हो जाता लेकिन इस बीच मुंबई के करीब आये निसर्ग तूफान के असर की वजह से काम में बाधा आ गई.
मुंबई के मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर आरए राजीव जिनकी देखरेख में ये अस्पताल तैयार किया गया है, ने एबीपी न्यूज़ को बताया, “पिछला अस्पताल कोरोना केऐसे मरीजों के लिये था जिनकी हालत ज्यादा गंभीर नहीं थी, लेकिन ये अस्पताल 108 आईसीयू बेड से लैस है. अस्पताल में उन मरीजों के लिये भी इंतजाम है जिन्हें डायलिसिस की जरूरत है. 12 डायलिसिस के बडे हैं”.
कमिश्नर राजीव के मुताबिक अस्पताल सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है. अस्पताल में मरीजों के लिये एक एंटरटेंनमेंट एरिया भी बनाया गया है जहां मरीज योगासन इत्यादि कर सकते हैं और टहल सकते हैं. मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों, नर्सों और बाकी स्वास्थयकर्मियों के ठहरने और खाने-पीने के भी अस्पताल के बगल में बडे तजाम किये गये हैं.
जिस बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लैक्स में इस अस्पताल को बनाया गया है वहां अक्सर मानसून में जलजमाव हो जाता है. इलाके में बाढ़ का कारण बनने वाली मीठी नदी पास ही में है. कमिश्नर राजीव के मुताबिक जलजमाव की आशंका को देखते हुए अस्पताल को सामान्य तल से 2 फुट की ऊंचाई पर बनाया गया है. इसके अलावा पानी की निकासी के लिये पुख्ता ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया गया है. अस्पताल की भौतिक संरचना को इतना मजबूत बनाया गया है कि वो मानसून के दौरान चलने वाली तेज हवाओं को झेल सके.
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