5 पार्टियों से घिरी बीजेपी के लिए कैराना में खड़ी हुई एक और मुश्किल
कैराना लोकसभा के उपचुनाव के लिए 28 मई को वोट डाले जाएंगे. जहां बीजेपी के लिए 5 मंत्री, डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार कर रहे हैं तो वहीं गठबंधन ने भी बीजेपी को चारों ओर से घेर रखा है.

कैराना: कैराना लोकसभा के उपचुनाव के लिए 28 मई को वोट डाले जाएंगे. जहां बीजेपी के लिए 5 मंत्री, डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार कर रहे हैं तो वहीं गठबंधन ने भी बीजेपी को चारों ओर से घेर रखा है. आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन को एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थन हासिल है. अब निर्दलीय प्रत्याशी और तबस्सुम के देवर कंवर हसन ने भी अपनी भाभी को समर्थन देने का ऐलान किया है.
कैराना में बीजेपी ने झोंकी ताकत, सीएम और डिप्टी सीएम के अलावा 5 मंत्री भी जुटे
बीजेपी के लिए साख का सवाल कैराना सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी. साल 2014 में हुकुम सिंह करीब ढाई लाख वोटों से जीते थे. गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हार के बाद बीजेपी के लिए कैराना सीट साख का सवाल बनी हुई है. कैराना से बीजेपी की उम्मीदवार हुकुम सिंह के बेटी मृगांका सिंह हैं.
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत कैराना में जीत के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. पन्ना प्रमुख और बूथ कार्यकर्ता तैयारी में जुटे हैं वहीं 5 मंत्रियों को भी प्रचार के लिए मैदान में उतारा गया है. साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ भी कैराना में प्रचार कर रहे हैं.
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कंवर हसन के समर्थन के मायने तबस्सुम के ससुर अख्तर हसन के परिवार में राजनीतिक विरासत की लड़ाई काफी वक्त से चली आ रही थी. अख्तर 1984 में कैराना के सांसद बने थे. उनके बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन सांसद रहे. मुनव्वर के निधन के बाद तबस्सुम सांसद बनीं. इसके बीच मुनव्वर के छोटे भाई कंवर हसन ने अपनी भाभी से बगावत कर दी और परिवार दो हिस्सों में बंट गया.
दोनों परिवारों के बीच पुल बने जयंत चौधरी कैराना के उपचुनाव में कंवर हसन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. माना जा रहा था कि इससे तबस्सुम को मुकसान हो सकता है. कंवर हसन बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी पैठ मुस्लिमों में अच्छी मानी जाती है. ऐसे में जयंत चौधरी ने दोनों परिवारों के बीच बात कराई और फिर देवर ने भाभी के पक्ष में चुनावी मैदान से हटने का ऐलान कर दिया.
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इमरान मसूद भी कर चुके हैं समर्थन सहारनपुर का भी एक हिस्सा कैराना लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. इमरान मसूद कांग्रेस के नेता हैं और इलाके में उनका बड़ा जनाधार है. इमरान और तबस्सुम के परिवारों के बीच भी लंबे वक्त से अदावत जारी थी. इस खटास को भी जयंत चौधरी ने खत्म करा दिया और फिर इमरान ने तबस्सुम के समर्थन की घोषणा कर दी.
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पांच पार्टियों से है बीजेपी का मुकाबला आरएलडी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिल कर कैराना में बीजेपी को हराने की कोशिशें कर रही हैं. बीजेपी ने भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रखी है. अब देखना ये होगी कि कैराना में आखिर किसे जीत मिलेगी.
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कुछ ऐसी है गठबंधन की रणनीति आरएलडी की उम्मीद होने के कारण तबस्सुम को जाटों का समर्थन मिलेगा. एसपी का समर्थन मुसलमानों और ओबीसी के वोट दिलाएगा, बीएसपी का समर्थन अनूसूचित जाति के वोट दिलाएगा, कांग्रेस का समर्थन ऊंची जातियों के साथ मुसलमानों के वोट भी दिलाएगा. आम आदमी पार्टी का हालांकि कैराना में कोई खास जनाधार तो नहीं है लेकिन फिर भी पार्टी का तबस्सुम के पक्ष में प्रचार खासा चर्चा बटोर रहा है.
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