बिहार: उपेन्द्र कुशवाहा में कांग्रेस को दिख रही है 'सीएम' पद की संभावना
शकील अहमद ने कहा, हमेशा ऐसा होता है कि इस तरह के धरना प्रदर्शन में अगर कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है तो जहां पर उसे जाना होता है वहां ले जाया जाता है. वो सब प्रक्रिया यहां नहीं हुई. उन्होंने कहा, ''लगता है कि नीतीश कुमार को सीएम पद पर कुशवाहा से चैलेंज है.''

पटना: दो फरवरी को पटना के डाक बंगला चौराहे पर आरएलएसपी नेता उपेन्द्र कुशवाहा के जुलूस पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया था जिसमें वो घायल हो गए थे. घायल कुशवाहा से मिलने न तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गए और न ही तेजस्वी यादव. लेकिन कांग्रेस के विधायक और राहुल गांधी की टीम के करीबी शकील अहमद ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि "कुशवाहा यहां प्रतिपक्ष के नेता रहे हैं और भारत सरकार के मंत्री भी रहे हैं. उनके चित परिचित लोगों के साथ ये जो व्यवहार हुआ है तो हमको लगता है कहीं न कहीं ये एक तरह का हमला है.''
शकील अहमद ने कहा, हमेशा ऐसा होता है कि इस तरह के धरना प्रदर्शन में अगर कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है तो जहां पर उसे जाना होता है वहां ले जाया जाता है. वो सब प्रक्रिया यहां नहीं हुई. उन्होंने कहा, ''लगता है कि नीतीश कुमार को सीएम पद पर कुशवाहा से चैलेंज है.''
कांग्रेस नेता ने कहा, नीतीश कुमार के एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रतिष्ठित आदमी का जिस तरह सिर हाथ फोड़ दिया उससे कहीं न कहीं लगता है कि उनको कुशवाहा से खतरा है कि वो सीएम का चेहरा बन सकते हैं. हालांकि, शकील ने ये साफ कर दिया कि अभी लड़ाई 2019 के लोकसभा की है 2020 के विधान सभा चुनाव की बात अभी नहीं होगी.
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर इशारों में उन्होंने कह दिया कि बिहार में कांग्रेस फ्रंट फुट पर खेलेगी यानी अब पिछलग्गू नहीं बल्कि आगे से लीड करेगी. शकील अहमद ने कहा कि राहुल गांधी ने बहुत ही क्लियर कहा है कि हम लोग बैकफ्रंट में खेलने वाले आदमी नहीं हैं फ्रंट से खेलेंगे सम्मानजनक सबके साथ होना चाहिए. कितनी सीट होनी चाहिए यह तो सबलोग मिलकर फैसला करेंगे. लेकिन इशारा काफी है. यह इशारा कांग्रेस के तमाम घटक दलों के लिए भी है और खुद के लिए भी है कि इसमें हम संयम के साथ सम्मानजनक समझौते को अंतिम अंजाम तक करेंगे.
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शकील अहमद ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस ही नहीं छोटे दल भी है. यह देखना है कि गठबंधन की जो कि एनडीए है उसको कैसे मात दें. सीटों की संख्या पर अभी कोई बात तय नहीं. राजनीति में दो कदम आगे तो दो कदम पीछे हो सकते हैं यह तो संघर्ष का मैदान है.
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Source: IOCL























