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फ्लाइट में बुजुर्ग महिला पर पेशाब करने वाला शख्स अगर दोषी पाया गया तो क्या सजा मिलेगी?

बुजुर्ग महिला पर पेशाब करने के मामले में शंकर मिश्रा पर कई तरह की धाराओं में केस दर्ज किया है. जिसमें सबसे अहम आईपीसी की धारा 354 है.

एयर इंडिया की न्यूयॉर्क से नई दिल्ली आ रही फ्लाइट में वृद्ध महिला पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा ने तर्क देते हुए कोर्ट से कहा है कि उनकी हरकत अश्लील हो सकती है लेकिन किसी भी तरह से उन्होने महिला की अस्मिता को भंग नहीं किया है. 

उनके इस बयान के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा लेकिन जमानत देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि क्या होता है महिला की अस्मिता की भंग करने का अपराध ( outraging the modesty of a woman) और भारतीय संविधान में उसके तहत किस तरह के सजा के प्रावधान हैं, किस तरह की हरकतों/अपराधों को इसके दायरे में लाया जाता है और आरोपी ने किस धारा के आधार पर ये दलील दी है कि वो इस अपराध के दायरे में नहीं आता है. 

भारतीय दंड संहिता के तहत किसी महिला की लज्जा/अस्मिता भंग करना दंडनीय अपराध है. इसका इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है, जहां किसी व्यक्ति ने किसी महिला उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की हो या उसकी मर्यादा और मान-सम्मान को नुकसान पहुंचाने के लिए उस पर हमला किया हो. 

ऐसे मामलों में कोर्ट आरोपी को कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 5 साल के लिए जेल की सजा या जुर्माना या दोनो का दंड दे सकती है. 

2013 तक इस तरह के अपराधों में 2 साल कारावास की सजा का प्रावधान था जो की एक जमानती अपराध था, लेकिन 2013 में संसोधन के बाद धारा 354 में 354-ए, 354-बी, 354-सी और 354-ड़ी जैसी कई उप-धाराएं जोड़ी गई और सजा कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल कर दी गई. 

दरअसल अक्सर जानकारी के अभाव में महिलाएं स्कूल-कॉलेज और ऑफिस में उनके साथ होने वाले गलत व्यवहार को अपराध नहीं समझती जबकि सच तो ये है कि किसी भी महिला का पीछा करना, उनसे सेक्स की डिमांड करना, या उन्हें सेक्स अपील मानना और बिना कपड़े पहने नग्न अवस्था में उनके सामने आना, उन्हें अश्लील वस्तुएं जैसे उत्तेजक और अश्लील तस्वीरें भेजना, पोर्न फ़िल्म भेजना तथा अश्लील साहित्य पढ़ने के लिए देना या अश्लील कहानियां पब्लिश करना आदि भारतीय कानून के मुताबिक संगीन अपराध हैं.

पुलिस इन अपराधों के अंतर्गत सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करती है. 2013 के संसोधन के बाद जो उप धाराएं शामिल की गई हैं उनमें किस तरह के अपराध शामिल होते हैं चलिए बताते हैं- 

धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न)

किसी महिला को गलत या दुर्भावनापूर्ण भावना से छूना या खुले तौर पर यौन प्रस्ताव देना, सहमति के बिना महिला को जबरदस्ती सेक्सुअल सामग्री दिखाना,  सेक्स की डिमांड या रिक्वेस्ट महिला पर गंदी और उत्तेजन टिप्पणियाँ करना के आरोप में  धारा 354-ए के तहत अपराध साबित होने पर अपराधी को 1 से 3 साल की जेल और जुर्माना दिया जाता है. साथ ही आपको बता दें कि इसे एक जमानती, संगीन अपराध माना जाता है. ये अपराध समझौता करने योग्य नहीं माना जाता है यानी इसमें दोषी पाए जाने पर शख्स पीड़ित के साथ आपसी सहमति से कोई समझौता नहीं कर सकता है.

धारा 354-बी 
जब कोई व्यक्ति किसी महिला को जबरदस्ती बल का इस्तेमाल करते हुए निर्वस्त्र होने के लिए उकसाता या मजबूर करता है. तो उसके खिलाफ धारा 354-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.

धारा 354-बी के तहत अपराध साबित होने पर दोषी को 3 से 7 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. इस धारा के अंतर्गत दोषी को जमानत नहीं मिलती है. ये भी समझौता करने योग्य नहीं है. 

धारा 354-सी 
जब कोई आदमी किसी ऐसी जगह जहां खुद को देखे जाने की कल्पना महिला ने न की हो उस महिला के निजी पलों की तस्वीरें खींचता कर उनको सार्वजनिक कर देता है तो उस व्यक्ति पर धारा 354-सी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. 

धारा 354-सी के तहत अपराध सिद्ध होने पर पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 वर्ष जेल और दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 7 साल की जेल और जुर्माने का दंड दिया जाता है. यह अपराध भी समझौता करने योग्य नहीं है. 

धारा 354-डी (पीछा करना)
जब कोई आदमी किसी महिला का गलत इरादे से पीछा करता है या ऐसा करने के लिए इंटरनेट, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निगरानी करता है तो उस पर धारा 354-डी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

धारा 354- डी के तहत अपराध साबित होने पर दोषी व्यक्ति को पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 साल की जेल और  दूसरी बार ऐसा होने पर 5 साल की सजा और जुर्माने से दंडित किये जाने का प्रावधान है. ये एक गैर-जमानती, संगीन अपराध है और इसमें भी समझौता नहीं किया जा सकता है. 

शंकर मिश्रा के वकील का कहना है कि इस मामले में ये धाराएं सही नहीं है क्योंकि मिश्रा का इरादा किसी भी तरह से ऐसा नहीं था. मिश्रा के वकील का मानना है कि उनके क्लाइंट को IPC की धारा 509  और 294 जो कि पब्लिक प्लेस पर अश्लील हरकता से जुड़ा है के तहत चार्ज किया जा सकता है न कि 354 के तहत. 

शंकर मिश्रा की ओर से दी जा रही इस दलील कोर्ट कितना मानेगा ये तो अगली सुनवाई में ही पता चल सकेगा. इस घटना से पूरा देश शर्मसार हुआ है और सोशल मीडिया पर शंकर मिश्रा को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की जा रही है.

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