पतन: मैंने मतलब बताने की शर्त नहीं मानी थी
पूरा पंडाल तालियों के शोर से गूंज उठा. लोग उचक-उचककर मिस मोना माथुर को देखने लगे. मोना बड़े इत्मीनान से लेकिन अल्हड़ अंदाज़ में चलती हुई डायस के निकट पहुँची.

पतन
समीर

एनाउंसर की आवाज़ माइक पर गूंजने लगी. ‘स्टूडेन्ट्स भाइयों, अब आ रही हैं आपके सामने हमारे कॉलेज की वह छात्रा जिन पर कॉलेज को गर्व है, जिन्होंने स्पोर्ट्स के इस सेशन में एक में नहीं, कई खेलों के कम्पटीशनों में फर्स्ट प्राइज लिए हैं. जैसे हाई जम्प, लॉन्ग जम्प, डिस्कस थ्रो और कबड्डी आदि...अब आप अपनी प्रिय छात्रा को सम्माननीय वाइस चांसलर से पारितोषिक लेते देखिए. ये हैं मिस मोना माथुर...मिस मोना माथुर...!’
पूरा पंडाल तालियों के शोर से गूंज उठा. लोग उचक-उचककर मिस मोना माथुर को देखने लगे. मोना बड़े इत्मीनान से लेकिन अल्हड़ अंदाज़ में चलती हुई डायस के निकट पहुँची. डायस के पास पहुँचते-पहुँचते वह एकदम इतनी शिष्ट और अनुशासित हो गई जैसे उसने जीवन भर भूल कर भी कोई शरारत न की हो.
वाइस चांसलर ने मुस्कुराकर मोना को ट्रॉफी दी और अभिवादन के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. मोना ने बड़े अदब से हाथ मिलाया. चारों ओर से कैमरों की फ्लैश लाइटों के झमाके हुए. फिर मोना जैसे ही मुड़ी कितने ही कैमरों की रोशनियाँ फिर झिलमिलाई और बहुत-से लड़के तालियों के शोर के बीच चीख-चीख कर कह उठे- ‘हिप हिप हुर्रे...मोना....’
‘मोना...हिप हिप हुर्रे....’
मोना मुस्करा-मुस्कुराकर हाथ हिलाती हुई अपनी सीट की ओर बढ़ने लगी. तालियों का शोर और अधिक बढ़ गया. स्टूडेण्ट लड़के मोना को देख-देखकर ठंडी आहें भर रहे थे. मोना उनके दिलों पर बिजलियाँ गिराती हुई अपनी सीट तक चली आई. उसकी एक सहेली सोनी ने पास पहुँचने पर चीख कर कहा,
‘हाय मोना, बधाई.’
‘थैंक्स,’ कहते हुए मोना ने सहेली को आँख मारी.
सोनी के पीछे खड़ा एक लड़का ‘हाय’ कहकर पीछे गिरा और पीछे खड़े लड़कों ने उसे बांहों में संभाल लिया. मोना की सहेलियों ने उसे कंधों पर उठा लिया. सारे पंडाल में एक शोर-सा मच गया. एनाउन्सर माइक पर चीख रहा था-
‘प्लीज...प्लीज...प्लीज....’
लेकिन कौन किसकी सुनता था. मोना की सहेलियाँ उसे कंधों पर उठाये-उठाये पंडाल से बाहर ले आई. उनके पीछे कई रिपोर्टर कैमरे लिए चले आ रहे थे. बार-बार फ्लैश लाइटों के झमाके भी दिखाई दे रहे थे. मोना उनके कंधों से कूदकर उतर गई और एक लड़की के हाथ में ट्रॉफी थमाकर दोनों हाथों को हिला-हिलाकर जोर-जोर से चिल्लाने लगी-
‘खामोश...खामोश...खामोश....’
लड़कियाँ खामोश हो गई. मोना ने चीखकर कहा- ‘किसी सफलता पर ज्यादा हल्ला से जानती हो, क्या होता है?’
‘क्या होता है?’ एक लड़की ने पूछा. ‘जुकाम हो जाता है.’ मोना से मासूमियत से कहा. लड़कियों के कहकहे-गूंज उठे. भीड़ चीरते हुए कुछ प्रेस रिपोर्टर मोना के पास पहुँच गए. लेकिन लड़कियों के कहकहों में उनकी आवाज़ सुनाई नहीं दी. मोना जोर-जोर से हाथ हिलाकर चिल्लाई-
‘खामोश...खामोश..खामोश....’
वे सब फिर खामोश हो गईं. मोना ने चीखकर कहा- ‘ये लोग मुझसे कुछ कहना चाहते हैं मुझे कुछ सुनने और कहने का मौका दो. वरना जानती हो, ये बेचारे क्या सोचेंगे?’
‘क्या सोचेंगे?’
‘यही कि मैं अशिष्ट हूँ.’
लड़कियाँ इधर-उधर हट गईं.
मोना ने प्रेस-रिपोर्टर की ओर मुड़कर शिष्टता से कहा- ‘फरमाईए.’
‘हम लोग आपका इंटरव्यू लेना चाहते हैं.’ एक प्रेस-रिपोर्टर ने कहा. ‘इंटरव्यू ज़रूर दूंगी, लेकिन एक शर्त होगी.’
‘बताइए.’
‘आप लोग मुझे लीडर बनाकर नहीं रखेंगे.’
लड़कियाँ कहकहे लगाने लगीं. एक प्रेस रिपोर्टर बोला-
‘लीडर बनना व बनाना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है.’
‘अगर आप लोग यह बात मेरी इच्छा पर छोड़ते हैं तब आप बड़े शौक से इंटरव्यू ले सकते हैं.’
‘धन्यवाद.’
‘बोलिए,क्या पूछना चाहते हैं आप? आप लोगों को मेरा नाम तो मालूम होगा ही.’
‘जी हाँ.’
‘मेरे डैडी का नाम हरीचंद माथुर है.’
‘जी....’
प्रेस-रिपोर्टरों के कलम जल्दी-जल्दी चलने लगे. मोना ने कहा- ‘मेरे दादाजी का नाम शायद रामचंद माथुर था.’
‘जी...बस...बस.’ एक रिपोर्टर ने कहा.
‘बस इतना ही इंटरव्यू लेना था मोना ने आश्चर्य से कहा.
‘नहीं, आपके डैडी तक के नाम से काम चल जायेगा.’
‘वैरी गुड...और कुछ...?’
‘आपके भाई-बहन भी होंगे.’
‘बस, एक भाई है. वह भी इतना छोटा कि जब मैं शादी के बाद दो-चार बच्चों की माँ बन जाऊंगी तब वह भाभी लेकर आयेगा.’
सहेलियों ने फिर कहकहे लगाए. ‘आपकी हॉबीज क्या-क्या हैं?’
‘लीजिए, आपको मेरी हॉबीज का भी पता नहीं, फिर मैंने इतने अवार्ड काहे में लिये हैं.’
‘इसके अलावा भी तो कुछ हॉबीज होंगी?’
‘जी हाँ. फिल्में देखना और उपन्यास पढ़ना.’ मोना ने इत्मीनान से कहा. ‘गुड, फिल्मों में आपको कौन से अभिनेता अधिक पसंद हैं?’
‘वे, जो अभी तक पर्दे पर नहीं आए.’
‘क्या मतलब?’
‘मैंने मतलब बताने की शर्त नहीं मानी थी.’
‘अच्छा उपन्यासकारों में आपका प्रिय उपन्यासकार कौन है?’
‘गुलशन नंदा.’
‘आप कहाँ तक शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं?’
‘केवल अपने इसी शहर तक.’
‘हमारा मतलब किस क्लास तक?’
‘जिस क्लास तक पढ़ने में मन लगे. वैसे मेरा मन पढ़ने से अधिक खेल-कूद में लगता है. इसका प्रमाण ये स्पोर्ट्स हैं...ये ट्रॉफी है.’
‘अगर आपके विवाह का अवसर आए तो आप किस तरह का जीवन साथी पसंद करेंगी?’
‘हाय!’ मोना उछल पड़ी-‘अगर से आपका क्या तात्पर्य है? क्या मेरे जीवन में विवाह का कोई अवसर आने का चांस नहीं है.’
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(समीर के उपन्यास का यह अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)
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