अपने बच्चों को अंग्रेज़ी बोलना सिखाने वाली लाखों माताओं की साथी है ऑकी-पॉकी
आज किसी भी प्रोफ़ेशन में बड़ी सफलता पाने के लिए अच्छी अंग्रेज़ी बोलना आना बहुत ज़रूरी है. इसी के लिए अमित अग्रवाल और उनकी टीम ने बनाई- ऑकीपॉकी.

यह पढ़कर शायद आप चौंक जायेंगे कि भारत में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहाँ बच्चों को आज भी कक्षा 5 में जाने के बाद ए, बी, सी, डी पढ़ना सिखाया जाता है. 70 या 80 के दशक के उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों के लिए कक्षा 6 में अंग्रेज़ी का ए, बी, सी, डी सीखना सामान्य बात थी. कुछ दशक बीतने के साथ ही ये बीते दौर की बात हो गई लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर की ज़िला परिषद के स्कूल में मराठी माध्यम से पढ़ने वाली सुहानी के लिए यह आज भी एक सच्चाई है.
सुहानी की माँ बताती हैं कि “सुहानी को कक्षा 5 में जाने के बाद ही अंग्रेज़ी पढ़ाई जाएगी.” सुहानी की माँ बताती हैं कि वह स्वयं पढ़ी-लिखी हैं लेकिन अंग्रेज़ी बोलना नहीं जानती हैं. वो कहती तो नहीं लेकिन अच्छी अंग्रेज़ी न जानने के कारण करियर में कुछ नेहतर ना कर पाने की टीस उनके चेहरे पर साफ़ दिखती है. शायद यही वजह है कि सुहानी को उन्होंने अभी से ऑकी-पॉकी मोबाइल ऐप के ज़रिए अंग्रेज़ी बोलना सिखाना शुरू कर दिया है. सुहानी की प्रोग्रेस देखकर वो काफ़ी संतुष्ट हैं.
फ़र्रुख़ाबाद की रहने वाली अनहद की माँ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई के दौरान ख़ुद महसूस किया कि कमजोर अंग्रेज़ी किस तरह से हायर एजूकेशन में अड़चन पैदा करती है. उन्होंने ख़ुद कड़ी मेहनत कर अपनी अंग्रेज़ी बेहतर की और साथ ही ये तय किया कि अपने बच्चों को वो बचपन से ही अच्छी अंग्रेज़ी बोलना और पढ़ना सिखाएंगी. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि फ़र्रुख़ाबाद में उनको छोड़कर उनके बच्चे के सम्पर्क में आने वाले ज़्यादातर लोग हिंदी या कन्नौजी (कन्नौज और उसके आस-पास बोली जाने वाली भाषा) में बात करते थे. ऐसे में उन्होंने अनहद को अंग्रेज़ी सिखाने के लिए ऑकी-पॉकी मोबाइल ऐप की मदद ली. अनहद की माँ अब बहुत खुश हैं. उनके मुताबिक़, “ऑकी-पॉकी के रूप में अनहद को एक ऐसा दोस्त, साथी और टीचर मिल गया जिसके साथ वो जब चाहे, जितना चाहे उतनी देर अंग्रेज़ी में बात करता है और नए-नए शब्द और उनका सही उच्चारण सीखता है.”
देश में शायद ही कोई ऐसे माँ-बाप होंगे जो न चाहते हों कि बड़ा होकर उनका बच्चा बड़ा अधिकारी बने और फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी बोले. और भला हो भी क्यूँ ना! आज किसी भी प्रोफ़ेशन में बड़ी सफलता पाने के लिए अच्छी अंग्रेज़ी बोलना आना बहुत ज़रूरी है. बहुत सारे युवा, खासकर वो जिनका बचपन अपनी स्थानीय भाषा जैसे पंजाबी, बंगाली, हिंदी आदि बोलते-सुनते बीता है, उनके लिए अच्छी अंग्रेज़ी बोलना- सीखना आज भी एक बड़ी चुनौती है.

इसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए यूट्यूब इंडिया के पूर्व प्रमुख अमित अग्रवाल और उनकी टीम ने बनाई- ऑकीपॉकी (OckyPocky). गेमिफाइड लैंग्वेज लर्निंग इंटरफ़ेस पर बनी यह मोबाइल ऐप बच्चों को 11 स्थानीय भाषाओं में बहुत ही आसानी से अंग्रेजी बोलना सिखाती है. बच्चों को अंग्रेज़ी बोलना सिखाने के लिए यह भारत में अपनी तरह का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है.
ऑकीपॉकी अपने प्लैट्फ़ॉर्म (https://ockypocky.com) पर अंग्रेज़ी सीखने आने वाले बच्चों को एक मोबाइल गेम जैसा एक्सपीरियन्स देता है, जो इसे बच्चों के लिए बहुत ही मजेदार और अट्रैक्टिव बनाता है. अमित अग्रवाल की माने तो ऑकीपॉकी ऐप पर लाखों बच्चों द्वारा सीखे जाने वाले शब्द पिछले 4-5 महीनों में 10 गुना बढ़ गए हैं. “आज की तारीख़ में हर दिन हमारी ऐप पर 3 मिलियन से भी ज़्यादा शब्द सीखे जा रहे हैं, जो कि लगभग 100,000+ शब्द प्रति घंटा है! एक समय में यह आँकड़ा छूना हमें अनबिलीवेबल सा लगता था लेकिन आज यह हमारी रियालिटी है.”
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Source: IOCL






















