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नीतीश ने 2022 में क्यों छोड़ा था NDA का साथ, मगर अब क्यों आ रहे पास? यहां समझिए पूरा खेल

Nitish Kumar: नीतीश कुमार हमेशा बिहार की राजनीति के केंद्र में रहते हैं. वह एक या दो बार नहीं, बल्कि आठ बार राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं.

Bihar Politics: बिहार देश के उन राज्यों में शामिल हैं, जहां की राजनीति काफी उथल-पुथल भरी रहती है. बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल हो रही है. इस हलचल की वजह हैं नीतीश कुमार, जिनके फिर से एनडीए में लौटने की चर्चाएं हैं. नीतीश कुमार अभी लगभग डेढ़ साल पहले ही एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए थे. मगर उनका फिर से महागठबंधन में मन नहीं लग रहा है, इसलिए वह पाला बदलने की तैयारी कर रहे हैं. 

बिहार को लेकर एक बात कही जाती है कि यहां जब तक कोई दल किसी दूसरे के साथ नहीं आए, तब तक सरकार बनाना मुश्किल होता है. यही वजह है कि नीतीश के लिए लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए दोनों की तरफ से रास्ते खुले रहते हैं. हालांकि, अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर डेढ़ साल पहले 2022 में नीतीश एनडीए से क्यों अलग हुए थे और अब आखिर ऐसा क्या हो गया कि वह फिर से उसके पास जा रहे हैं? 

एनडीए से अलग होने की क्या थी वजह?

दरअसल, 2022 में एनडीए से अलग होने की वजह ये थी कि बिहार में जेडीयू को लगने लगा कि बीजेपी अब 'बड़े भाई' की भूमिका में आ रही है. बिहार में बीजेपी के बढ़ रहे प्रभाव से नीतीश कुमार काफी परेशान थे. 2015 में 71 सीटें हासिल करने वाली जेडीयू 2020 विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर आ गई. दूसरी ओर जिस बीजेपी को 2015 में 53 सीटें मिली थीं, उसको 2020 में बढ़त मिली और उसने 74 सीटें हासिल कीं. उससे आगे 75 सीटों के साथ आरजेडी थी. 

अपने करीबियों के बीच नीतीश ने ये कहना शुरू कर दिया कि जेडीयू की सीटें इसलिए कम आई हैं, क्योंकि बीजेपी ने लगभग उन सभी सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) नेता चिराग पासवान को अपने उम्मीदवार खड़े करने को कहा, जहां जेडीयू चुनाव लड़ रही थी. उनका मानना था कि एलजेपी ने जेडीयू उम्मीदवारों को हराने के लिए बीजेपी के प्रॉक्सी के तौर पर काम किया. भले ही एलजेपी के खाते में 2020 में सिर्फ एक सीट आई, मगर नीतीश के वोटबैंक में सेंध जरूर लगी. 

सिर्फ इतना ही नहीं, 2020 में नीतीश 43 सीटों के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री बन गए. मगर वह डिप्टी सीएम रेणू देवी और तारकिशोर प्रसाद से खुश नहीं थे. बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी नीतीश सरकार में 13 सालों तक डिप्टी सीएम रहें. नीतीश चाहते थे कि उनका तालमेल सुशील मोदी की तरह ही इन दोनों लोगों से रहे, जो संभव नहीं था. जेडीयू को लगता था कि तत्कालीन पार्टी नेता आरसीपीसी सिंह के साथ मिलकर बीजेपी उसे तोड़ने का भी काम कर रही है. 

एनडीए में वापसी को क्यों बेकरार हैं नीतीश? 

जेडीयू के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन (कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू और वाम दलों से मिलकर बना गठबंधन) और विपक्ष के इंडिया गठबंधन के साथ नीतीश नाखुश नजर आ रहे हैं. हालांकि, इसकी मुख्य वजह नीतीश कुमार को वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में असहजता महसूस होना बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले जेडीयू के कम से कम सात सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं. 

इन सांसदों को 2019 में एनडीए के सामाजिक संयोजन की वजह से जीत मिली थी. अब जेडीयू के इन नेताओं को लगता है कि आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन में ऐसे नतीजे नहीं मिलने वाले हैं. साथ ही पूर्व पार्टी प्रमुख राजीव रंजन सिंह को छोड़कर जेडीयू के ज्यादातर सीनियर नेता बीजेपी के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं. नीतीश को लगता है कि अगर उन्होंने अभी एक्शन नहीं लिया, तो पार्टी टूट सकती है. 

जेडीयू को 2019 लोकसभा चुनाव में 17 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी. सर्वे बता रहे हैं कि जेडीयू को इस बार ऐसे नतीजे नहीं मिलने वाले हैं. नीतीश को लगता है कि अगर उन्हें ज्यादा सीटें जीतनी हैं तो पाला बदलना पड़ेगा. वह इस बात को भलीभांति जानते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर खुलने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की वजह से बीजेपी को 2024 में जीत मिल सकती है.

कब-कब मुख्यमंत्री रह चुके हैं नीतीश? 

नीतीश कुमार पहली बार मार्च 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. बीजेपी की मदद से उन्होंने अपनी सरकार बनाई, मगर ये महज 7 दिन चली. नीतीश की सरकार 3 मार्च को बनी और 7 मार्च को गिर गई. नवंबर, 2005 में नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री कुर्सी तक पहुंचे. इस बार भी बीजेपी ने उनकी मदद की. नीतीश कुमार ने 2005 से लेकर 2010 तक मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा भी किया.

एक बार फिर से बीजेपी की मदद से नीतीश कुमार ने तीसरी बार 26 नवंबर, 2010 से लेकर 19 मई, 2014 तक लगभग साढ़े तीन साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. फिर चौथी बार सीएम बनने के लिए नीतीश आरजेडी के साथ चले गए और 22 फरवरी, 2015 से लेकर 19 नवंबर, 2015 तक वह सीएम रहे. पांचवीं बार वह आरजेडी की मदद से 20 नवंबर, 2015 से 26 जुलाई, 2017 तक सीएम रहे. 

नीतीश 2017 में एनडीए में लौटे और बीजेपी की मदद से छठी बार सीएम बने. इस बार उनका कार्यकाल 27 जुलाई, 2017 से 12 नवंबर, 2020 तक रहा. 2020 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नीतीश सातवीं बार सीएम बने. उनका कार्यकाल 16 नवंबर, 2020 से 9 अगस्त, 2022 तक चला. फिर नीतीश ने पाला बदला और महागठबंधन में शामिल हुए और आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली. वह 10 अगस्त, 2022 से अब तक मुख्यमंत्री हैं. 

यह भी पढ़ें: नीतीश कुमार को क्यों मिला 'राजनीति के पलटूराम' का टैग, कितनी बार बदला पाला? इस बार मोहभंग होने की ये हैं 5 वजह

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