एक्सप्लोरर

क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड, अब जज रिटायरमेंट के बाद नहीं बन सकेंगे सांसद?

कूलिंग ऑफ पीरियड किसी भी सरकारी कर्मचारी का रिटायरमेंट के बाद का समयांतराल है, जिस दौरान वह कोई अन्य पद स्वीकार नहीं कर सकता है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर कोई जज रिटायर होता है, तो उसके बाद उसे थोड़ा समय खुद को भी देना चाहिये. अगर वो राजनीति में जाना चाहते हैं तो भी पर्याप्त समयांतराल होना चाहिये. मुख्य न्यायाधीश के इस इंटरव्यू ने कूलिंग ऑफ पीरियड को फिर से चर्चा में ला दिया है.

ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है, चर्चा में क्यों है और क्या अब जज रिटायरमेंट के बाद नहीं बन सकेंगे सांसद? 

क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड

यह किसी सरकारी कर्मचारी का रिटायरमेंट के बाद का समयांतराल है, जिस दौरान वह कोई अन्य पद स्वीकार नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए चुनाव आयोग और सरकारी अधिकारी का पद ही ले लीजिये. जब कोई सरकारी अधिकारी चुनावों में किसी पद पर होता है, तो उसे चुनाव से संबंधित कोई भी निर्णय लेने के बाद एक निश्चित अवधि तक कोई अन्य पद नहीं ग्रहण करना होता है. इसे ही कूलिंग ऑफ पीरियड कहा जाता है.

निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में कूलिंग ऑफ पीरियड: जब कोई व्यक्ति निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में आता है, तो उसे भी कूलिंग ऑफ पीरियड का पालन करना पड़ सकता है, ताकि वह अपने पिछले कार्यस्थल से जुड़ी कोई भी जानकारी या प्रभाव का अनुचित लाभ न उठा सके. 

कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत क्यों

न्यायाधीशों के संदर्भ में, कूलिंग ऑफ पीरियड का मतलब उस समयावधि से होता है जिसके दौरान एक न्यायाधीश यानी जज अपने पद से रिटायर होने के बाद किसी भी अन्य पद, खासकर सरकारी या राजनीतिक पद, को ग्रहण नहीं कर सकता. इसका उद्देश्य न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखना है, ताकि न्यायाधीश के फैसले में किसी भी तरह का संभावित हितों का टकराव न हो.

भारत में, न्यायाधीशों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरत इसलिए होती है ताकि वह रिटायरमेंट के बाद कुछ वक्त तक किसी भी राजनीतिक या सरकारी पद को न स्वीकारें. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि न्यायाधीश अपने कार्यकाल के दौरान कोई ऐसा निर्णय न लें जो उनके भविष्य के लाभ के लिए हो. हालांकि, यह कूलिंग ऑफ पीरियड हर न्यायिक प्रणाली में अलग अलग हो सकता है और भारत में इस संबंध में अभी भी व्यापक चर्चा और बहस चल रही है.

कौन से लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं आ सकते 

  • भारत के नियंत्रक लेखा महापरीक्षक 
  • गृह सचिव 
  • कैबिनेट सचिव

जजों के राजनीति में शामिल होने पर और क्या बोले CJI चंद्रचूड़

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "जजों को राजनीति में जाना चाहिए या नहीं, यह मामला अलग है. यह बहस का मुद्दा है. लेकिन अगर राजनीति में जा रहे हैं तो कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए. मुझे लगता है कि अगर आप एक बार जज नियुक्त हो जाते हैं तो आजीवन जज ही रहते हैं. चाहे आप अदालत में कार्यरत हैं या नहीं या फिर आप रिटायर हो जाएं. लेकिन आम नागरिक आपको देखता है तो सोचता है कि आप तो जज हैं."

न्याय न केवल हो बल्कि होते हुए दिखे भी: CJI डीवाई चंद्रचूड़

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जज की बोलचाल, व्यवहार ये सब रिटायर होने के बाद भी वैसा ही दिखना चाहिए. मैं किसी और के फैसले की समीक्षा नहीं करना चाहता हूं. हम कहते हैं कि न्याय न केवल होना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. मान लीजिए कि आज जज साहब अदालत में थे और कल रिटायर होकर उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन कर लिया तो आम आदमी क्या सोचेगा?"

रिटायरमेंट के बाद कितने जजों ने राजनीति को चुना 

भारत में कुछ ऐसे न्यायाधीश हुए हैं जो सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में शामिल हुए हैं. यह अक्सर चर्चा का विषय बनता है क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीश राजनीति से दूर रहें. यहां कुछ प्रमुख न्यायाधीशों का उल्लेख किया गया है जो सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए.

न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा: रंगनाथ भारत के 21वें मुख्य न्यायाधीश (1990-1991) वो रिटायरमेंट के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया.

न्यायमूर्ति बहारुल इस्लाम: बहारुल इस्लाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (1980-1983) थे. वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके थे. न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा.

न्यायमूर्ति मीर कासिम: कासिम कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद, नेशनल कांफ्रेंस पार्टी में शामिल होकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. 

न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू: मार्कंडेय काटजू सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (2006-2011) रह चुके हैं. उन्होंने प्रत्यक्ष राजनीति में प्रवेश नहीं किया, लेकिन कई बार अपने विचारों के माध्यम से राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर टिप्पणियां की हैं. हालांकि, वे सक्रिय राजनीति में नहीं आए, लेकिन उन्होंने राजनीतिक मामलों पर चर्चा करते हुए एक प्रमुख सार्वजनिक व्यक्तित्व के रूप में अपनी पहचान बनाई है.                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

मुस्लिम गृहमंत्री की वजह से ब्रिटेन से निकाले जाएंगे लाखों मुसलमान! भारत पर सबसे ज्यादा असर कैसे?
मुस्लिम गृहमंत्री की वजह से ब्रिटेन से निकाले जाएंगे लाखों मुसलमान! भारत पर सबसे ज्यादा असर कैसे?
अब कांग्रेस में एंट्री मारेंगे प्रशांत किशोर? प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज
अब कांग्रेस में एंट्री मारेंगे प्रशांत किशोर? प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज
सिडनी में बाप-बेटे ने मिलकर किया आतंकी हमला, अब तक 16 की मौत, जानें चश्मदीद ने क्या बताया
सिडनी में बाप-बेटे ने मिलकर किया आतंकी हमला, अब तक 16 की मौत, जानें चश्मदीद ने क्या बताया
IND VS SA: 'रन नहीं बना पा रहा हूं लेकिन...' मैच के बाद ये क्या बोल गए सूर्यकुमार यादव
'रन नहीं बना पा रहा हूं लेकिन...' मैच के बाद ये क्या बोल गए सूर्यकुमार यादव

वीडियोज

नकली दवा बनाने की कंपनी का पुलिस ने किया भंडफोड़ | Delhi Crime Branch | Cyber Cell
नकली IAS के निशाने पर लड़कियां
Bihar News: बिहार के नवादा में पुलिस को चकमा देकर कैदी फरार | ABP News
सिडनी में 'पहलगाम'? आतंकियों ने चुन-चुन कर मारा!
Janhit: PM मोदी ने फिर चौंकाया! | National Executive President | Nitin Nabin | BJP | PM Modi

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
मुस्लिम गृहमंत्री की वजह से ब्रिटेन से निकाले जाएंगे लाखों मुसलमान! भारत पर सबसे ज्यादा असर कैसे?
मुस्लिम गृहमंत्री की वजह से ब्रिटेन से निकाले जाएंगे लाखों मुसलमान! भारत पर सबसे ज्यादा असर कैसे?
अब कांग्रेस में एंट्री मारेंगे प्रशांत किशोर? प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज
अब कांग्रेस में एंट्री मारेंगे प्रशांत किशोर? प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज
सिडनी में बाप-बेटे ने मिलकर किया आतंकी हमला, अब तक 16 की मौत, जानें चश्मदीद ने क्या बताया
सिडनी में बाप-बेटे ने मिलकर किया आतंकी हमला, अब तक 16 की मौत, जानें चश्मदीद ने क्या बताया
IND VS SA: 'रन नहीं बना पा रहा हूं लेकिन...' मैच के बाद ये क्या बोल गए सूर्यकुमार यादव
'रन नहीं बना पा रहा हूं लेकिन...' मैच के बाद ये क्या बोल गए सूर्यकुमार यादव
लियोनल मेसी से मिलने के लिए क्रेजी हुए बॉलीवुड सेलेब्स, टाइगर श्रॉफ इस कारण हो गए ट्रोल
लियोनल मेसी से मिलने के लिए क्रेजी हुए बॉलीवुड सेलेब्स, टाइगर श्रॉफ इस कारण हो गए ट्रोल
Delhi: 'उपहास करना आपको शोभा नहीं देता', रेखा गुप्ता पर अरविंद केजरीवाल का पलटवार, पढ़ें पूरा मामला
'उपहास करना आपको शोभा नहीं देता', रेखा गुप्ता पर अरविंद केजरीवाल का पलटवार, पढ़ें पूरा मामला
सर्दियों में घर बैठे बनाएं चाय के साथी स्नैक्स हरे चने के पकौड़े, बड़ी आसान है इसकी रेसिपी
सर्दियों में घर बैठे बनाएं चाय के साथी स्नैक्स हरे चने के पकौड़े, बड़ी आसान है इसकी रेसिपी
Year Ender 2025: इस साल महाकुंभ में छाए रहे ये बाबा, IIT वाले बाबा ने तो उड़ा दिया था गर्दा
इस साल महाकुंभ में छाए रहे ये बाबा, IIT वाले बाबा ने तो उड़ा दिया था गर्दा
Embed widget