Adultery क्या है और देश में इस क्राइम को लेकर सजा क्या है, जानें सब कुछ
एडल्ट्री कानून (व्याभिचार) के अंतर्गत अगर कोई शादीशुदा महिला किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाती है. इस स्थिति में पुरुष पर मुकदमा चलाने का प्रावधान था जबकि महिला के खिलाफ न तो कोई केस दर्ज होता था और न ही उसे किसी प्रकार की कोई सजा मिलती थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वाया दायर उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें केंद्र ने सुरक्षाबलों में एडल्ट्री कानून (व्याभिचार) को लागू रहने की अपील की है. इसके साथ ही 3 जजों की बेंच ने ये मामला आगे विचार के लिए 5 जजों की बेच को भेज दिया है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये एडल्ट्री कानून क्या है और भारत में इस अपराध पर क्या सजा का प्रावधान है. तो चलिए इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं.
एडल्ट्री कानून क्या था?
एडल्ट्री कानून (व्याभिचार) के अंतर्गत अगर कोई शादीशुदा महिला किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाती है. इस स्थिति में पुरुष पर मुकदमा चलाने का प्रावधान था जबकि महिला के खिलाफ न तो कोई केस दर्ज होता था और न ही उसे किसी प्रकार की कोई सजा मिलती थी. इस कानून के तहत पति, पत्नी से संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ केस दर्ज करा सकता था, लेकिन वह पत्नी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करा पाता था.
2018 में कोर्ट ने रद्द कर दिया था एडल्ट्री कानून
2018 में सर्वोच्च न्यायालय में एडल्ट्री (व्याभिचार) कानून को रद्द कर दिया गया था. हालांकि 2018 से पहले यह भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत दंडनीय अपराध था और इस जुर्म में पाच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान भी था. लेकिन 27 सितंबर 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था, “एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है और इसे जुर्म होना भी नहीं चाहिए.” ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जोसेफ शाइनी की जनहित याचिका पर सुनाया था जिसमें विवाहेत्तर संबंध बनाने को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक ठहराया गया था.
केंद्र सरकार ने सेना में एडल्ट्री कानून लागू रहने की अपील की है
वहीं केंद्र सरकार ने अब तीनों सेनाओं में एडल्ट्री (व्याभिचार) कानून को लागू किए जाने की मांग की है. केंद्र सरकार का कहना है कि सेनाओं को 2018 के आदेश से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि उनके अपने नियमों में एडल्ट्री (व्याभिचार)एक संगीन जुर्म के तौर पर देखा जाता है और दोषी पाए जाने वाले को नौकरी से बर्खास्त करने तक का प्रावधान है. गौरतलब है कि सेना अनुशासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विवाहेत्तर संबंध (एडल्ट्री) को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है. इसके लिए सेना द्वारा रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपना पक्ष भी रखा गया था.
वहीं जानकारी का कहना है कि आर्मी एक्ट में ‘एडल्ट्री’ का लेश मात्र भी जिक्र नहीं है. फिर भी सेना में “ अपने सहयोगी अधिकारी की पत्नी के स्नेह को चुरा लेना” एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है और ये सेना के नियमों के अनुसार “ अनुचित व्यवहार” की परिभाषा में भी आता है.
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