Vote for Note Case पर आया PM नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन, जानिए क्या बोले
Narendra Modi on Vote for Note Case: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि MPs-MLAs को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के केस में अभियोजन से छूट नहीं होती.
Narendra Modi on Vote for Note Case Verdict: वोट फॉर नोट केस पर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद सोमवार (4 मार्च, 2024) दोपहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन आया. उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स (पहले टि्वटर नाम से मशहूर) पर एक पोस्ट के जरिए इस निर्णय का स्वागत किया.
पीएम ने एक्स पोस्ट में लिखा- स्वागतम! माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह बड़ा फैसला है जो कि साफ-सुथरी राजनीति को सुनिश्चित करने के साथ समूची व्यवस्था में लोगों के विश्वास को और गहरा करेगा. देखिए, यह है PM नरेंद्र मोदी का X पोस्टः
SWAGATAM!
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2024
A great judgment by the Hon’ble Supreme Court which will ensure clean politics and deepen people’s faith in the system.https://t.co/GqfP3PMxqz
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा साल 1998 का फैसला
टॉप कोर्ट ने बड़े फैसले के दौरान कहा कि सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के केस में अभियोजन से छूट नहीं होती. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) रिश्वत मामले में 5 न्यायाधीशों की बेंच की ओर से सुनाए गए साल 1998 के फैसले को सर्वसम्मति से पलट दिया.
संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं- CJI डीवाई चंद्रचूड़
5 जजों की बेंच के फैसले के तहत सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट दी गई थी. सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है और 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है.
अनुच्छेद 105 और 194 MPs-MLAs की शक्तियों से जुडे़
अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों व विशेषाधिकारों से जुड़े हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने बेंच के लिए फैसले का मुख्य भाग पढ़ते हुए बताया कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है.
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