दिल्ली, यूपी, बिहार, गुजरात समेत पूरे देश की निचली अदलतों में जजों की 'किल्लत'
मौजूदा समय में अधीनस्थ अदालतों में महज 16,693 जज हैं. सरकारी सूत्रों मानें तो इस वजह से देशभर की निचली अदालतों में 2.61 करोड़ से ज्यादा केस लंबित हैं.

नई दिल्ली: न्यायपालिका देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक है. इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इसे देश का रीढ़ माना जाता है लेकिन मौजूदा समय में भारत के निचली अदालतों की हालत चिंताजनक है. देशभर की निचली अदालतों में लगभग 6000 जजों के पद खाली हैं और यह आंकड़ा अब तक का सबसे ऊंचे स्तर यानि ऑल टाइम हाई है. इसके पीछे की वजह न्यायिक नियुक्तियों के लिए एक समान परीक्षा लेने की प्रक्रिया पर बनी अनिश्चितता है. 1 दिसंबर को, देशभर में अधीनस्थ न्यायपालिका में 5,984 पद खाली थे, जबकि इनकी स्वीकृत संख्या 22,667 थी. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इन आंकड़ों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की संख्या शामिल नहीं है.
10 साल से भी ज्यादा समय से लंबति हैं 22.57 लाख केस
मौजूदा समय में अधीनस्थ अदालतों में महज 16,693 जज हैं. सरकारी सूत्रों की मानें तो इस वजह से देशभर की निचली अदालतों में 2.61 करोड़ से ज्यादा केस लंबित हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 22.57 लाख केस ऐसे भी हैं जो 10 साल से भी ज्यादा समय से कोर्ट में लटके हुए हैं. इतना ही नहीं निचली अदातलतों में लगभग 25 फीसदी मामले ऐसे भी हैं जो पांच साल से भी ज्यादा वक्त से लंबित हैं. इन लंबित मामलों में पांच फीसदी केस महिलाओं की तरफ से दायर किए गए हैं और बाकी 20 फीसदी लंबित मामले सिनियर सिटीजन्स की तरफ से दायर किए गए हैं.
निचली अदलतों में जजों के खाली पद
दिल्ली- कुल 799 में 316 पद खाली
बिहार- कुल 1826 में 825 पद खाली
यूपी- कुल 3204 में 1344 पद खाली
गुजरात- कुल 1511 में 385 पद खाली
मध्य प्रदेश- कुल 2021 में 748 पद खाली
तमिलनाडू- कुल 1257 में 341 पद खाली
कर्नाटक- कुल 1303 में 325 पद खाली
इसके अलावा देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के कुल 31 पद स्वीकृत हैं, जिनमें छह पद खाली हैं. आंकड़ों को देखें तो दिल्ली की निचली अदालतों में 40%, बिहार में 45%, यूपी में 42%, गुजरात में 26%, मध्य प्रदेश में 37%, तमिलनाडू में 27% और कर्नाटक में 25% जजों के पद खाली हैं.
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Source: IOCL





















