सेमी हाई स्पीड ट्रेन 'वंदे भारत एक्सप्रेस' में आई खराबी, कल दिखाई गई थी हरी झंडी
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीने में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ का निर्माण किया गया है. सेमी हाई स्पीड ‘ट्रेन 18’ का नाम हाल में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ रखा गया था.

नई दिल्ली: भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ में आज सुबह दो-दो बार गड़बड़ी आ गई. ट्रेन वाराणसी से दिल्ली वापस लौट रही थी. पहली घटना उत्तर प्रदेश में टूंडला जंक्शन से करीब 15 किलोमीटर दूर हुई. अधिकारियों ने बताया कि यह ‘‘पहियों के फिसलने’’ का मामला है. रेलवे की प्रवक्ता स्मिता वत्स शर्मा ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि मवेशी के सामने आ जाने से यह अवरोध पैदा हुआ. ट्रेन रात को लौट रही थी और आशंका है कि रात के समय उसके सामने मवेशी आ गए थे.’’
सूत्रों के अनुसार, ट्रेन एक घंटे से अधिक समय तक टूंडला के समीप फंसी रही. ट्रेन में कई पत्रकार सवार थे. उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने कहा, ‘‘यह मवेशी सामने आने का मामला है जिसकी वजह से पहिए फिसलने की दिक्कत आई.’’ अधिकारियों ने बताया कि अवरोध हटाने के बाद ट्रेन ने सुबह करीब सवा आठ बजे फिर से दिल्ली की यात्रा शुरू की. सूत्रों ने बताया कि हालांकि 40 मिनट बाद हाथरस जंक्शन पर फिर से ट्रेन में गड़बड़ी पैदा हो गई और सुबह दस बजकर 20 मिनट पर उसकी सेवा बहाल हुई और अब वह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है.पुलवामा आतंकवादी हमलों के बाद गमगीन माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायी थी. इस अवसर पर रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे और वे भी ट्रेन के उद्घाटन सफर का हिस्सा बने.
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीने में इस ट्रेन का निर्माण किया गया है. सेमी हाई स्पीड ‘ट्रेन 18’ का नाम हाल में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ रखा गया. यह ट्रेन 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकती है और इसमें शताब्दी ट्रेनों जैसी यात्री श्रेणी लेकिन बेहतर सुविधाएं हैं. ट्रेन के लिये टिकट की बुकिंग शुरू हो गयी है और आम जनता के लिये यह ट्रेन 17 फरवरी से दिल्ली से वाराणसी के बीच सप्ताह में पांच दिन चला करेगी.
इसमें 16 वातानुकूलित कोच हैं जिनमें दो एक्जीक्यूटिव श्रेणी के हैं. ट्रेन में कुल 1,128 यात्रियों के बैठने की क्षमता है. कोचों और ड्राइविंग कोच में सीटों के नीचे बिजली के सभी उपकरणों को रखने के कारण इस ट्रेन में उतनी संख्या की कोच वाली परंपरागत शताब्दी रेकों से कहीं अधिक सीटें है.
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सभी कोच में स्वचालित दरवाजे, जीपीएस आधारित दृश्य-श्रव्य यात्री सूचना प्रणाली, मनोरंजन के उद्देश्य से ट्रेन के अंदर हॉटस्पॉट वाईफाई और बेहद आरामदायक सीटें हैं. सभी शौचालय बायो-वैक्यूम किस्म के हैं. डिब्बों में दो प्रकार की प्रकाश सुविधा दी गयी है, एक सभी यात्रियों के लिये सामान्य प्रकाश की सुविधा और हर सीट पर अलग से प्रकाश की व्यवस्था भी है.
यात्रियों को गर्मागर्म भोजन और शीतल पेय पदार्थ परोसने के लिये हर कोच में पैंट्री (रसोई) की व्यवस्था है. यात्रियों के अतिरिक्त आराम के लिये डिब्बों में गर्मी और ध्वनि से बचाव की विशेष व्यवस्था की गयी है. कार्बन फुटप्रिंट रोकने के लिए रेल गाड़ी में री-जेनरेटिव ब्रेक प्रणाली लगायी गयी है, जिससे 30 प्रतिशत बिजली की बचत होगी.
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