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जेलों की बदहाली और कुछ कैदियों की 'खुशहाली' ने सुप्रीम कोर्ट को किया नाराज़, केंद्र से मांगा जवाब
जेलों में सुविधाओं की कमी पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जेलों में कुछ लोगों को शानदार सुविधाएं मिल रही हैं और कुछ लोग मूल सुविधा के लिए भी तरस रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है.

नई दिल्ली: जेल में कुछ कैदियों को मिल रही शानदार सुविधा और अनेक के पास बुनियादी जरूरतों की भी तंगहाली पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा बयान दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा "आप अपने अधिकारियों को जेल में भेजें. वो जाएं और देखें कि वहां बरसों से दीवारों की रंगाई नहीं हुई है. शौचालय, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी दिक्कत है." सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "क्या जेलों में एक समानांतर सरकार चल रही है? कैसे कुछ कैदी सोफा, टीवी जैसी सुविधाओं का मज़ा ले रहे हैं? क्या उन्हें जेल में विशेष अधिकार मिले हैं?" ये दोनों टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट की हैं. खास बात ये है कि दोनों एक ही मामले की सुनवाई के दौरान आईं. जेलों की बदहाली पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अचानक दिल्ली की तिहाड़ जेल में यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा को मिल रही सुविधाओं का मसला उठा दिया. दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के एक अतिरिक्त जिला जज ने तिहाड़ जेल का दौरा किया था. उन्होंने हाई कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया कि जेल में संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा को अलग से सुविधाएं मिली हैं. उनकी बैरक में आरामदायक गद्दे, एलईडी टीवी, मिनरल वाटर, नारियल पानी जैसी कई चीजें मिलीं. बैरक को बाहर की धूल और बदबू से बचाने के लिए कंबल और बोर्ड से ढंका गया था. रिपोर्ट में जेल के महानिदेशक और दूसरे अधिकारियों के खिलाफ FIR की भी सिफारिश की गई थी. जेलों की बदहाली मामले पर सुनवाई करने बैठी बेंच के अध्यक्ष जस्टिस मदन बी लोकुर ने अखबार में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया. उन्होंने केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी से पूछा, "ज़िला जज की रिपोर्ट के बाद क्या कार्रवाई हुई? क्या देश की जेलों में एक समानांतर शासन चल रहा है? हमने तमिलनाडू, बिहार जैसे राज्यों की मीडिया रिपोर्ट भी देखी है. जेल में मोबाइल फोन उपलब्ध है. अपराधी वहीं से गिरोह चला रहे हैं. आप इस बारे में क्या करना चाहते हैं?" इससे पहले कोर्ट ने जेलों की बुरी स्थिति पर भी सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद लोग भी इंसान हैं. उन्हें अमानवीय स्थिति में रहना पड़ रहा है. अपने अधिकारियों को कहिये कि दफ्तर से बाहर निकलें. जेल और सुधार गृह में जाएं. देखें वहां का क्या हाल है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कोर्ट की चिंताओं से सहमति जताते हुए कहा, "इस मामले पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत है. हम आपकी चिंता से सहमत हैं. मैं जानकारी जुटा कर जवाब दाखिल करूँगा." मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में कैदियों की दुर्दशा पर खुद संज्ञान लिया था. इसी मामले पर आज सुनवाई चल रही थी. यह भी पढ़ें- करतारपुर कॉरिडोर: नवजोत सिंह सिद्धू ने मोदी सरकार को कहा थैंक्यू, इमरान से की गलियारा खोलने की अपील पढ़ें, मुंबई की सड़कों पर उतरे हजारों किसानों के 'उलगुलान मोर्चा' की कहानी देखें वीडियो-
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Source: IOCL






















