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Supertech Twin Towers: ट्विन टावर ब्लास्ट के लिए तैयार, रहने वालों को इस बात से है टेंशन, जानें क्या कुछ बोले

Supertech Twin Towers: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टॉवर को अगले कुछ दिनों में गिराया जाना है. ऐसे में टॉवर के पास स्थित एमरल्ड कोर्ट सोसायटी के लोगों में डर और शंकाएं पैदा हो गई हैं.

Supertech Twin Towers: नोएडा (Noida) के सेक्टर 93A स्थित सुपरटेक ट्विन टॉवर (Supertech Twin Tower) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद गिराया जाना है लेकिन इससे पहले की तैयारियां तेजी से चल रहीं हैं. 3700 किलो विस्फोटक की मदद से इन दोनों ट्विन टॉवर (Twin Tower) को गिराया जाना है और कल से ही विस्फोटक लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

टॉवर से मात्र 9 मीटर को दूरी पर स्थित एमरल्ड कोर्ट सोसायटी (Emerald Court Society) के निवासियों को D-Day को लेकर मन में शंकाएं जरूर है और सबसे बड़ी शंका है ध्वस्तीकरण के बाद उड़ने वाली धूल की है. दावा है कि 100 मीटर से भी ऊपर धूल का गुबार जाएगा तो ऐसे में आसपास की सोसायटी में रहने वाले लोग और उनके ग्रीन एरिया को कैसे धूल से बचाया जाए ये बड़ा सवाल है.

ध्वस्तीकरण से डर में हैं यहां के लोग- अजय मेहरा, निवासी

एमरल्ड कोर्ट के निवासी अजय मेहरा का फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर है और ट्विन टावर से सिर्फ 9 मीटर की दूरी पर है. अजय मेहरा ने एबीपी न्यूज़ से अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा, "ध्वस्तीकरण से डर तो है ही उस दिन क्या होगा, कैसे होगा, समझ नहीं आ रहा. ऐसे कहा जा रहा है कि डरने की जरूरत नहीं है लेकिन हमारे घरों में शीशे लगे हैं, AC लगे हैं इसके अलावा और भी कई इलेक्ट्रिक सामान हैं, ये सब कैसे सुरक्षित रहेगा? उन्होंने कहा कि, अभी हमने फ्लैट को कपड़े से ढक दिया गया है जिससे धूप हवा सब बंद हो चुकी है.

हम कहा जाएंगे?- संदीप गुप्ता, निवासी 

कुछ ऐसी ही आशंकाएं एमरल्ड कोर्ट सोसायटी के बाकी निवासियों की भी हैं. पेशे से आर्किटेक्ट (Architect) संदीप गुप्ता पिछले कुछ सालों से अपनी पत्नी (शुभी गुप्ता) और बूढ़ी मां के साथ एमरल्ड कोर्ट सोसायटी में रह रहे हैं. उनका कहना है कि, ट्विन टॉवर को गिराए जाने के दौरान बेहद परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. मन में डर बना रहेगा साथ ही ध्वस्तीकरण के बाद उड़ने वाली धूल से कैसे बचा जाए इसको लेकर वो और उनका परिवार खासतौर पर चिंतित है. संदीप आगे बोले, "हम इस ध्वस्तीकरण के दौरान किसी और स्थान पर जाकर रहेंगे लेकिन सवाल ये है कि ब्लिडिंग गिरने के बाद मलबे को साफ करने में कई दिनों का समय लग सकता है. हम इतना समय कहा रहेंगे? वापस लौटे तो धूल-मिट्टी के कारण हमारा घरों में रहना मुश्किल हो जाएगा."

प्रशासन की तरफ से कोई गाइडलाइंस नहीं मिली- भरत चोपड़ा, निवासी

एक अन्य निवासी भरत चोपड़ा का कहना है कि ध्वस्तीकरण से धूल तो बहुत ज्यादा आएगी ही आएगी लेकिन धूल से निपटने के लिए हमें प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई समाधान नहीं दिया गया है. साथ ही इवैक्युएशन करने के बाद कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. हर कोई इतना आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है कि वो होटल या रिसोर्ट में जा सके. यहां के निवासी एक दिन के लिए कहां जाएंगे? कहां रहेंगे? क्या खाएंगे? इसको लेकर अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई मदद या गाइडलाइंस नहीं मिली है. 

इसके आगे भरत चोपड़ा कहते हैं कि 3700 किलो विस्फोटक बगल की बिल्डिंग में लगेगा तो डर तो बना रहेगा कि इतना ज्यादा विस्फोटक लगेगा तो शीशे का क्या होगा, वाइब्रेशन जो पैदा होगी उसका क्या होगा." एमरल्ड कोर्ट के ही निवासी कैप्टन राजेश कश्यप (रि.) का कहना है कि "फौजी है तो डर का तो सवाल ही नहीं है लेकिन थोड़ी शंका ज़रूर है. साथ ही मेरे परिवार को भी चिंता है कि धूल बहुत ज्यादा उड़ेगी और मेरी बीवी को अस्थमा की बीमारी है तो धूल से कैसे बचा जाए इसका समाधान करने की जरूरत है हालांकि आरडब्ल्यूए की तरफ से कोशिश की जा रही है."

बूढ़े लोगों को धूल से परेशानी होगी- उदयभान तेवतिया, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष

हालांकि एमरल्ड कोर्ट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष उदयभान तेवतिया का कहना है कि हम लगातार प्रशासन से और एडिफाइस से बात कर रहें हैं. हमने उनको अपने निवासियों की परेशानी बताई है लेकिन उनकी तरफ से समाधान अभी आना बाकी है. निश्चित तौर पर बूढ़े लोगों को धूल से परेशानी होगी. साथ ही हमारा 30 हजार स्क्वायर मीटर का ग्रीन एरिया है उसको हम प्लास्टिक शीट से ढकेंगे. साथ ही नोएडा अथॉरिटी से भी एक टीम मांगी है जो धूल से निपटने में हमारी मदद करेंगी. बाकी जहां तक फ्लैट को कपड़े से ढकने का सवाल है तो वो इसलिए ढके गए हैं ताकि कोई मलबा इनके घर पर न गिरे. थोड़ी परेशानी तो होगी ही लेकिन पूरी जिंदगी की परेशानी जो ये ट्विन टॉवर थे वो नहीं होगी."

धूल की समस्या से नकारा नहीं जा सकता. एडिफाइस इंजीनियरिंग, जिनकी देखरेख में ध्वस्तीकरण किया जाना है इसके प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि, "धूल से हम नहीं बच सकते हैं जिस तकनीक के जरिए हम ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण कर रहे हैं उसमें धूल तो होगी ही और धूल के गुबार की ऊंचाई 100 मीटर से भी ऊपर जाएगी. लेकिन लगभग 10 मिनट के अंदर धूल नीचे आ जाएगी."

डूज एंड डोंट बताए जाएंगे- सिक्योरिटी चेयरमैन गौरव देब

हालांकि एमरल्ड कोर्ट के सिक्योरिटी चेयरमैन गौरव देब ध्वस्तीकरण की तैयारियों को लेकर काफी आश्वस्त हैं. देब ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "हम कल 15 अगस्त पर एक पर्चा बांटने वाले हैं जिसमे रेजिडेंट को ध्वस्तीकरण से पहले डूज एंड डोंट बताएंगे. अपने पालतू जानवरों को घर में नहीं रखना है. घर की शीशे को कवर करना है. बीमार लोगों को एंबुलेंस की मदद से बाहर ले जाया जाएगा. इसके अलावा हर टॉवर पर 2 लोग को नियुक्त किया जाएगा जो ये सुनिश्चित करेंगे कि हर एक घर में ताला लगा हो और सब बाहर हों.

आपको बता दें कि ट्विन टावर के एक तरफ एमेरल्ड कोर्ट सोसाइटी है तो दूसरी तरफ एटीएस विलेज है. इन दोनों सोसाइटी के करीब 1396 परिवारों को ध्वस्तीकरण से पहले अपना घर खाली करना होगा. एटीएस विलेज के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज़ को बताया," हमारी नोएडा अथॉरिटी, एडिफिस इंजीनियरिंग से लगातार बात हो रही है वे आश्वासन दे रहें हैं कि ध्वस्तीकरण अच्छे से हो जाएगा लेकिन फिर भी लोगों के मन में शंका तो है. 

यहां के पर्यावरण को लेकर लोगों की चिंता ज्यादा है, धूल से कैसे बचा जाए. स्तीकरण के बाद धूल कितनी ऊपर तक जाएगी और कब तक धूल खत्म होगी. तो ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अभी नहीं मिले हैं. इसके अलावा ध्वस्तीकरण के दिन पूरी हमारी पूरी सोसाइटी को खाली कराएंगे. जितनी गाड़ियां हैं उनको भी यहां से हटाया जाएगा."

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