एक्सप्लोरर

दंगे के खिलाफ मिलकर लड़े थे हिंदू-मुस्लिम, रामवनमी पर पहली बार जला था जमशेदपुर; भारत में कब-कब भड़की सांप्रदायिक हिंसा?

देश का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि त्योहार के मौके पर दो समुदायों के बीच झड़प होती रही है. जमशेदपुर 1979 की हिंसा से लेकर मलियाना का 1987 का दंगा इसका उदाहरण रहा है.

'देश के लोग यह संकल्प क्यों नहीं लेते कि वो दूसरे समुदायों के प्रति सहिष्णुतापूर्ण रवैया अपनाएंगे.' ये बात रामवनमी के ठीक एक दिन पहले देश की सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही थी. मगर ये बात किसी को भी सुनाई नहीं दी और देश के तीन राज्यों में कम से कम पांच जगहों पर भीषण हिंसा भड़क उठी. अगजनी, बम ब्लास्ट, जैसी घटनाएं हुई और कई लोग घायल हुए. बिहार में एक की जान भी गई. अलग-अलग राज्यों में ये हिंसा रामनवमी के दिन या रामनवमी के एक दिन बाद हुई. 

दिल्ली के जंहागीरपुरी में रामनवमी के दिन हिंसा

दिल्ली के जंहागीरपुरी में रामनवमी के दिन शोभायात्रा निकाले जाने की कोशिश की गई, पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. यहां पर हिंसा भड़की और कुछ लोगों को छतों से पत्थर बरसाते हुए भी देखा गया. जहां पर पत्थर बरसाए गए उन इलाकों में मुस्लिम समुदाय की अधिक आबादी बताई जा रही है.

दिल्ली से दूर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के पीछे ममता बनर्जी ने बीजेपी का हाथ बताया. हिंसा के बाद दो समुदायों के बीच तनावपूर्ण माहौल बना रहा. 

बिहार के सासाराम और बिहारशरीफ में भी बना रहा संप्रादायिक तनाव

बिहार में रामनवमी के त्योहार के बाद दो शहरों सासाराम और बिहारशरीफ से लगातार संप्रादायिक तनाव की खबरें आई. बिहारशरीफ में रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव हुआ था. दोनों तरफ से किए गए हमलों में दो लोगों को गोली लगी थी. पथराव में तीन लोग जख्मी हुए थे.

रोहतास जिले के सासाराम कस्बे में रामनवमी के बाद दो बार ब्लास्ट हुए. पहले विस्फोट में एक और दूसरे में छह लोगों के घायल होने की खबर आई. 

त्योहारों में बढ़ जाती है हिंसा

गौर करने वाली बात ये है कि इन सभी जगहों पर हिंसा रामनवमी और रमजान के मौके पर हुई. दिल्ली में शोभायात्रा के दौरान सतर्कता बरती गई लेकिन यही सतर्कता बंगाल, गुजरात और बिहार में नहीं बरती गई. जब भी कोई हिंसा भड़कती है तो गलती दोनों समुदायों की होती है. इसका एक उदाहरण जमशेदपुर में रामनवमी के दौरान साल 1979 में हुआ दंगा है.  

इस दिन हुआ था रामनवमी के मौके पर पहला बड़ा दंगा

1979 का जमशेदपुर दंगा रामनवमी के मौके पर हुआ पहला बड़ा दंगा था, जिसमें 108 लोगों की जान गई थी. मारे गए लोगों में 79 मुस्लिम और 25 हिंदुओं की पहचान की गई थी.

रिपोर्टस के मुताबिक आरएसएस ने 1978 के राम नवमी जुलूस की योजना बनाई. इसकी शुरुआत दिमनाबस्ती नामक एक आदिवासी पड़ोस इलाके से की गई. 

हालांकि, पड़ोसी इलाका साबिरनगर एक मुस्लिम क्षेत्र था और अधिकारियों ने जुलूस को वहां से गुजरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. आरएसएस ने पूरे एक साल तक इस मुद्दे पर अभियान चलाया. आरएसएस ने ये तर्क दिया कि हमें अपने ही देश में स्वतंत्र रूप से जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही थी.

दोनों समुदायों के बीच गतिरोध बढ़ा, और शहर का माहौल खराब हो गया. हिंदुओं ने दुकानों को बंद करने के लिए मजबूर किया और उनमें से कुछ को गिरफ्तार कर लिया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्च 1979 में आरएसएस प्रमुख बालासाहेब देवरस ने जमशेदपुर का दौरा किया और ध्रुवीकरण को लेकर भाषण दिया. इससे स्थिति और खराब हो गयी. 

श्री रामनवमी केंद्रीय अखाड़ा समिति नामक एक संगठन ने 7 अप्रैल को एक पर्चा जारी किया जिसमें सांप्रदायिक हिंसा की घोषणा की गई थी . जुलूस निकाला गया. मुस्लिम पक्ष  भी अपनी तरफ से पलटवार के लिए पूरी तरह से तैयार था. पत्थरबाजी हुई और दंगा भड़क गया. उस समय बिहार में कर्पूरी ठाकुर की सरकार थी. घटना के लगभग दस दिन बाद सरकार गिर गई. 

सिख विरोधी दंगे- 1984

भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर, 1984 का दिन काले दिन की तरह याद किया जाता है. उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही सिक्योरिटी गार्ड्स ने हत्या कर दी. अगले 24 घंटे में देशभर में सिखों के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और दंगे भड़क उठे. सिखों को निशाना बनाकर उन्हें बेरहमी से मारा गया, उनके घर-दुकानें भी जला दी गई. दंगों में कुल मौतों की संख्या 410 थी जबकि1,180 लोग घायल हुए थे.

मलियाना दंगा- 1987

मई 1987 को मेरठ शहर में एक दिन के अंतराल में दो ऐसे दंगे हुए जिन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया.  22 मई को हाशिमपुरा में हुए दंगे की चिंगारी से शहर झुलस उठा था. दूसरे ही दिन 23 मई साल 1987 में मलियाना के होली चौक पर सांप्रदायिक दंगा भड़का था. मलियाना में दंगाइयों ने 63 लोगों की हत्या कर दी थी और 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. 

शबे-बरात के दिन हुई दंगे की शरुआत

दंगे की शुरुआत अप्रैल 1987 में शबे-बरात के दिन मेरठ से शुरू हई और रुक-रुक कर दो-तीन महीनों तक चलती रही. इस दौरान कई बार कर्फ्यू भी लगाया गया लेकिन हालात काबू से बाहर ही बने रहे. 

घटनाक्रम के मुताबिक 23 मई 1987 की दोपहर करीब 2 बज कर 30 मिनट पर पीएसी की 44 वीं बटालियन के कमांडेंट और मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का जत्था भारी पुलिस बल के साथ मलियाना पहुंचा और वहां पहले से चल रहे दंगे को कंट्रोल करने के लिए गोलियां चलाई गई.

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी बाद में दंगा पीड़ितों से मिलने पहुंचे थे.

24 मई 1987 को मेरठ के जिलाधिकारी ने 12 लोगों का मारा जाना स्वीकार किया. जून 1987 में आधिकारिक रूप से 15 लोगों की हत्या स्वीकार की गई.  इस दौरान कई शव कुएं से बरामद किए गए थे. 27 मई 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मलियाना दंगा मामले में न्यायिक जांच की घोषणा की थी.

भागलपुर दंगा - 1989 

भागलपुर 1989 को भुला दिए गए दंगे के रूप में याद किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दंगे भागलपुर शहर और तत्कालीन भागलपुर जिले के 18 प्रखंडों के 194 गांवों के ग्यारह सौ से ज़्यादा लोग मारे गये थे.

सरकारी दस्तावेज ये बताते हैं कि ये दंगा दो महीने से ज्यादा वक्त तक चला था. रिपोर्टस के मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ताओं और दंगा पीड़ितों का ये कहना था कि लगभग छह महीने तक दंगे होते रहे थे.

नीतीश कुमार 2005 में मुख्यमंत्री बने थे. मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने न्यायमूर्ति एनएन सिंह के नेतृत्व में एक नए जांच आयोग का गठन किया.  2013 में, लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उन्होंने 384 दंगा प्रभावित परिवारों के लिए पेंशन को दोगुना कर दिया. 

एनएन सिंह समिति की रिपोर्ट में 125 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी. यह वही समय था जब राज्य की कांग्रेस सरकार को भी दोषी ठहराया गया था. 

पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स में 1996 में छपी एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि भागलपुर जिले में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास कैसा रहा है. इस रिपोर्ट में 1924, 1936, 1946 और 1967 का जिक्र है.

1989 का दंगा इसलिए भी याद किया जाता है क्योंकि भागलपुर के ग्रामीण इलाकों में इस तरह की हिंसा इससे पहले कभी नहीं हुई थी.

दंगा मामले में अबतक न्यायालय में 346 लोगों को सजा हो चुकी है.  इनमें 128 लोगों को उम्र कैद और बाकियों को 10 साल से कम की सजा मिल चुकी है.  

गोधरा दंगा -2002

गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को 23 पुरुष और 15 महिलाओं और 20 बच्चों सहित 58 लोग साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर S6 में जिंदा जला दिए गए थे. उस दौरान गुजरात के सहायक महानिदेशक जे महापात्रा ने कहा था कि दंगाई ट्रेन के गोधरा पहुंचने से काफी पहले से पेट्रोल से लैस थे और पूरी तैयारी करके आए थे.

गोधरा में हुई इस घटना के बाद पूरा गुजरात सुलगने लगा था. पूरे गुजरात में दंगे देखने को मिले. साबरमती एक्सप्रेस की आग में कारसेवकों की मौत के बाद पूरे गुजरात में जगह-जगह हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसक टकराव हुए थे. उस समय गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी थे.

2006 अलीगढ़ दंगा

5 अप्रैल 2006 को रामनवमी उत्सव के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी. 

2009 पुसद दंगा

2009 में महाराष्ट्र के पुसद में रामनवमी जुलूस को दूसरे समुदाय के लोगों की तरफ से बाधित किया गया और पथराव किया गया. पथराव के बाद माहौल हिंसक बन गया.  दंगों में 70 से ज्यादा दुकानों को जला दिया गया था और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था.

2016 हजारीबाग हिंसा

रामनवमी उत्सव के अंतिम दिन झारखंड के हजारीबाग शहर और आसपास के इलाकों में लोगों के दो समूहों के बीच झड़प हुई.  दुकानों में आग लगाने और पुलिसकर्मियों पर पथराव के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया था. 

रामनवमी जुलूस के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे लाउडस्पीकर को लेकर एक समूह के लोगों ने आपत्ति जताई थी, जिसे लेकर विवाद बढ़ा. वहीं हजारीबाग में 2015 में मुहर्रम के जुलूस में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर दंगा भड़का था. हिंसा में कई लोगों की मौत भी हुई थी.

2018 पश्चिम बंगाल दंगे

पश्चिम बंगाल के रानीगंज में रामनवमी के जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई. इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गयी. पुलिस कर्मियों पर ईंटों और पत्थरों से हमला किया गया. भीड़ के हिंसक होते ही देसी बमों से बमबारी शुरू हो गई. 

पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) अरिंदम दत्ता चौधरी पर भी बम से हमला किया गया. हादसे में उनका दाहिना हाथ लगभग उड़ गया.

2019  पश्चिम बंगाल के आसनसोल दंगे 

पश्चिम बंगाल के आसनसोल में बराकर मारवाड़ी विद्यालय से निकाली गई रामनवमी रैली पर पथराव किया गया. जवाबी कार्रवाई हुई और हिंसा बढ़ गई.  

2019 में राजस्थान के जोधपुर में 13 अप्रैल को सांप्रदायिक झड़प हुई थी. रामनवमी के जुलूस के दौरान मुसलमानों के एक वर्ग ने पथराव किया था.

2022 के दंगे

अप्रैल 2022 में चार भारतीय राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी के मौके पुलिस इन सभी राज्यो में हिंसा हुई और पुलिस अधिकारियों सहित दर्जनों लोग घायल हो गए. गुजरात में एक व्यक्ति की मौत हो गई.

इसी दौरान  झारखंड के बोकारो और लोहरदगा  कम से कम 2 जगहों पर झड़पों की सूचना मिली. बोकारो में रामनवमी जुलूस के लिए जा रहे कुछ युवकों पर हमला किया गया. लोहरदगा में हिंसा बड़े पैमाने पर हुई थी, जिसमें दंगाइयों ने कई वाहनों को आग लगा दी थी. लोहारदगा में रामनवमी जुलूस के दौरान पथराव सहित झड़प में कम से कम 12 लोग घायल हो गए. 

वो दंगा जिसमें हिंदू और मुसलमान एक साथ मिलकर लड़े थे 

आज से ठीक 100 साल पहले  एक ऐसा दंगा भी हुआ था जिसमें  हिंदू- मुसलमान एक साथ मिलकर लड़े थे. ये दंगा गुलाम भारत के बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था. बॉम्बे का ये दंगा नवंबर 1921 में हुआ.  इस दंगे को प्रिंस ऑफ वेल्स दंगे के नाम से भी जाना जाता है. 

ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स (एडवर्ड आठवें) नवंबर 1921 में भारत के अपने साम्राज्य के शाही दौरे पर आए थे. देश में उन दिनों महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चल रहा था. गांधी जी उस समय हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत कर रहे थे.

सांप्रदायिक एकता के उस दौर में हिंदुओं और मुसलमानों की एकता हो गई थी. दोनों समुदायों की एकता ने बाकी अल्पसंख्यक समुदायों जैसे- ईसाई, सिख, पारसी और यहूदी के मन में बहुसंख्यक समुदायों के वर्चस्व को लेकर भय का भाव बिठा पैदा कर दिया था. नतिजतन बहुसंख्यक समुदायों ने कुछ हिंसक वारदातों को अंजाम दिया. 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

वंदे मातरम् पर संसद में बोल रहे थे रक्षामंत्री, किसी ने बीच में टोका तो भड़क गए राजनाथ, देखें Video
वंदे मातरम् पर संसद में बोल रहे थे रक्षामंत्री, किसी ने बीच में टोका तो भड़क गए राजनाथ, Video
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन! कहा- '22 विधायक CM फडणवीस के...'
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन, 22 विधायकों को लेकर कही ये बड़ी बात
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
IND vs SA 1st T20I: 'वो डिजर्व करते हैं...', ओपनिंग पोजीशन को लेकर सूर्यकुमार यादव का बड़ा बयान, प्लेइंग 11 पर दिया बड़ा हिंट
'वो डिजर्व करते हैं...', ओपनिंग पोजीशन को लेकर सूर्यकुमार यादव का बड़ा बयान, प्लेइंग 11 पर दिया बड़ा हिंट

वीडियोज

Khabar Filmy Hain: Dharmendra को याद कर क्यो रोए सलमान
Saas Bahu Aur Saazish: मंगल- कुसुम जा रहें है जोर्जिया
IT Refund Delay का असली कारण! हजारों Taxpayers के Refund क्यों रुके हैं? |Paisa Live
Amritsar पहुंचीं Cm Rekha Gupta,  दरबार साहिब जाकर टेका  माथा | Breaking | ABP News
Kiyosaki का बड़ा दावा: BRICS ने बनाई Gold Currency! असली सच्चाई क्या है ? Paisa Live

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
वंदे मातरम् पर संसद में बोल रहे थे रक्षामंत्री, किसी ने बीच में टोका तो भड़क गए राजनाथ, देखें Video
वंदे मातरम् पर संसद में बोल रहे थे रक्षामंत्री, किसी ने बीच में टोका तो भड़क गए राजनाथ, Video
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन! कहा- '22 विधायक CM फडणवीस के...'
आदित्य ठाकरे के दावे ने बढ़ाई शिंदे गुट की टेंशन, 22 विधायकों को लेकर कही ये बड़ी बात
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
IND vs SA 1st T20I: 'वो डिजर्व करते हैं...', ओपनिंग पोजीशन को लेकर सूर्यकुमार यादव का बड़ा बयान, प्लेइंग 11 पर दिया बड़ा हिंट
'वो डिजर्व करते हैं...', ओपनिंग पोजीशन को लेकर सूर्यकुमार यादव का बड़ा बयान, प्लेइंग 11 पर दिया बड़ा हिंट
वायरल हुआ 'रहमान डकैत' का FA9LA , इसके आगे 'अबरार' का स्वैग रह गया फीका?
वायरल हुआ 'रहमान डकैत' का FA9LA , इसके आगे 'अबरार' का स्वैग रह गया फीका?
पायलट बनने के लिए 12वीं के बाद क्या करना होता है, जानिए नौकरी लगते ही कितना मिलता है पैसा?
पायलट बनने के लिए 12वीं के बाद क्या करना होता है, जानिए नौकरी लगते ही कितना मिलता है पैसा?
Jaggery Side Effects: सर्दियों में क्या आप भी फायदेमंद समझ भर-भरकर खाते हैं गुड़, ज्यादा गुड़ खाने से क्या होती हैं दिक्कतें?
सर्दियों में क्या आप भी फायदेमंद समझ भर-भरकर खाते हैं गुड़, ज्यादा गुड़ खाने से क्या होती हैं दिक्कतें?
पहली बार मां बनने वालों को सरकार देती है इतने हजार, योजना में ऐसे कर सकते हैं आवेदन
पहली बार मां बनने वालों को सरकार देती है इतने हजार, योजना में ऐसे कर सकते हैं आवेदन
Embed widget