RBI का बड़ा एलान, RTGS और NEFT पर बैंको की ओर से वसूले जाने वाले चार्जेस खत्म
इसके अलावा फैसला किया गया है कि ATM इंटरचेंज चार्ज (एक बैंक का ATM दूसरे में इस्तेमाल ) को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी जिसका नेतृत्व IBA के CEO करेंगे.
नई दिल्ली: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आम आदमी को बड़ा तोहफा दिया है. रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने RTGS और NEFT पर बैंको की ओर से वसूले जाने वाले चार्जेस को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है. RBI ने बैंकों को कहा की फायदा ग्राहकों को देना सुनिश्चित करे.
इसका मतलब साफ है कि ग्राहक अब बैंकों की ओर से वसूले जाने वाले चार्जेस नहीं चुकाएंगे. ऐसे में RTGS और NEFT करना सस्ता हो जाएगा. RBI अगले एक हफ्ते में इससे जुड़ा सर्कुलर जारी करेगा. आपको बता दें कि RTGS (Real-time gross settlement) लाखों रुपए ट्रांसफर करने का एक बेहतरीन माध्यम है. जैसा कि नाम है, यह सिस्टम वैसे ही काम करता है यानि बिजनेस ऑवर्स में तो कुछ सेकंड पैसा ट्रांसफर हो जाता है. इसके विपरीत एनईएफटी (NEFT या national electronic funds transfer) में किसी खास समय में ही पैसा ट्रांसफर होता है.
इसके अलावा फैसला किया गया है कि ATM इंटरचेंज चार्ज (एक बैंक का ATM दूसरे में इस्तेमाल ) को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी जिसका नेतृत्व IBA के CEO करेंगे.कमेटी ATM चार्ज फीस को लेकर निर्णय करेंगे. अपनी पहली मीटिंग के 2 महीने के अंदर कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौपनी होगी.RBI has been decided to set up a Committee involving all stakeholders, under the chairmanship of CEO Indian Banks’ Association (IBA), to examine the entire gamut of ATM charges and fees. Committee to submit its recommendations within two months of its first meeting. pic.twitter.com/C91rvikT3P
— ANI (@ANI) June 6, 2019
RBI क्रेडिट पालिसी
इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी का एलान किया जिसमें रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती की गई है. आरबीआई ने रेपो रेट को 6.0% से घटाकर 5.75% कर दिया है. यानि उसने रेपो रेट में 0.25% की कटौती है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 5.75% से घटाकर 5.50% किया गया है. केंद्रीय बैंक द्वारा यह लगातार तीसरा मौका है जबकि उसने ब्याज दर घटाई हैं.
दरअसल, रेपो रेट में कटौती से बैंकों के धन की लागत कम होगी और वह आगे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे पायेंगे. आने वाले दिनों में इससे होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे कर्ज सस्ते हो सकते हैं. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को अल्पावधि के लिये नकदी उपलब्ध कराता है. बता दें कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मोनेटरी पालिसी समीक्षा है. जनाकरों का मानना है कि 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है जिसके मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ गई थी.यह भी देखें
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