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मद्रास हाईकोर्ट का आदेश, रेप पीड़िता को गर्भपात कराने के लिए मेडिकल बोर्ड के परमिशन की जरूरत नहीं
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि रेप पीड़िता तो गर्भपात कराने के लिए मेडिकल बोर्ड या न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाने की जरूरत नहीं है. हालांकि, ये कंडीशन उसी केस में लागू होगा जब भ्रूण 20 हफ्ते से अधिक का न होगा. इससे अधिक समय के बाद गर्भपात कराने के लिए मेडिकल बोर्ड से परमिशन लेना जरूरी होगा.

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि रेप पीड़िता को गर्भपात कराने के लिए मेडिकल बोर्ड या न्यायपालिका का रुख करने की जरूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने हालांकि कहा कि ये नियम उसी केस में लागू होगा जब भ्रूण 20 हफ्ते का नहीं हुआ हो. इसके बाद के केस के लिए मेडिकल बोर्ड से परमिशन की जरूरत होगी. 20 हफ्ते के बाद मेडिकल बोर्ड से परमिशन लेना जरूरी जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने एक पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता द्वारा अनचाहे गर्भ का सामना करने के सभी मामलों में अगर गर्भावस्था की अवधि 20 हफ्ते से ज्यादा नहीं हुई हो तो उसे मेडिकल बोर्ड के पास भेजे जाने की जरूरत नहीं है. इस प्रावधान के तहत कराया जा सकता है गर्भपात जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने अपने आदेश में कहा, “मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून, 1971 की धारा तीन के प्रावधानों के तहत गर्भपात कराया जा सकता है. पीड़िता को बेवजह अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.”
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