अयोध्या विवाद पर बोले दिग्विजय सिंह, 'बिना किसी सांप्रदायिक तनाव के बने राम मंदिर'

इंदौर: दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर राम मंदिर मसले पर लंबे वक्त से सियासी रोटियां सेंकने का आरोप लगाया. राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि सांप्रदायिक कटुता का माहौल पैदा किए बगैर अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाना चाहिए.
सांप्रदायिक कटुता पैदा कर राम मंदिर बनान सही नहीं: दिग्विजय सिंह
दिग्विजय ने इंदौर प्रेस क्लब में ‘प्रेस से मिलिये कार्यक्रम’ में कहा, ‘‘देश के घर-घर में राम की पूजा होती है. क्या राम देश के कण-कण और हमारे रोम-रोम में नहीं बसे हैं? लेकिन यह किसी के लिये सही नहीं है कि सांप्रदायिक कटुता पैदा कर अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाये.’’ सिंह ने कहा, ‘‘आखिर कौन नहीं चाहेगा कि अयोध्या में राम मंदिर बने. लेकिन क्या भगवान राम कभी इस बात को पसंद करेंगे कि किसी दूसरे समुदाय के पूजास्थल को गिराकर और इस समुदाय की भावनाओं का अपमान कर अयोध्या में उनका मंदिर बनाया जाये.’’
मामले का कोर्ट में लंबित होने पर बोले दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के मुताबिक इस बात की कोशिश की जानी चाहिए कि अयोध्या के विवादित धार्मिक स्थल के मसले को आपसी संवाद के आधार पर सुलझाया जाये. उन्होंने हालांकि कहा कि अगर इस विवाद का समाधान आपसी बातचीत से ही निकलना संभव होता तो यह मामला पिछले 35-40 साल से अदालतों में लंबित नहीं रहता.
पीएम मोदी को बेरोजगारी, कुपोषण और गरीबी जैसी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए: दिग्विजय सिंह
दिग्विजय ने कहा, ‘‘देश में मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे और गिरजाघर बनाने में किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंदिर-मस्जिद के मसलों को छोड़कर देश में बेरोजगारी, कुपोषण और गरीबी जैसी बुनियादी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए.’’ उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, ‘‘राम मंदिर मसले पर बीजेपी बरसों से सियासी रोटियां सेंक रही है. साल 2014 के लोकसभा चुनावों और हालिया उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में बहुमत मिलने के बाद भी बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता चोरी-छिपे तलाशने की कोशिश कर रही है.’’
कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने रामालय ट्रस्ट के गठन के जरिये राम मंदिर मसले को राजनीति से अलग रखकर सुलझाने का प्रयास किया था. उन्होंने कहा, ‘‘अगर वर्ष 1996 के आम चुनाव में राव की सरकार नहीं गयी होती, तो राम मंदिर का मसला कब का सुलझ गया होता.’’