UP राज्यसभा चुनाव: क्रिकेट मैच की तरह रोमांचक हुआ 10वीं सीट का मुकाबला, अगर ऐसा हुआ बीजेपी की जीत पक्की
जिस उम्मीदवार को दूसरी वरीयता के ज्यादा वोट मिलते हैं उसकी जीत पक्की हो जाती है. दूसरी वरीयता के वोट गिने गए तो बीजेपी की जीत पक्की है.

नई दिल्ली: देश 26 राज्यसभा सीटों के वोटों की गिनती शुरू हो गई है. शाम सात बजे तक पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. इससे पहले उत्तर प्रदेश में आज दो वोटों की क्रॉसवेटिंग के बाददसवीं सीट का खेल और भी दिलचस्प हो गया है. उत्तर प्रदेश की दसवीं सीट का मामला रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह हो गया है.
क्या है बीजेपी का खेल? बीएसपी के 19 विधायक हैं, इसमें मुख्तार अंसारी जेल में हैं और अनिल सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया है. ऐसे में बीएसपी के पास 17 विधायक बचे हैं. समाजवादी पार्टी के 10 विधायक हैं लेकिन नितिन अग्रवाल बीजेपी के साथ हैं और हरिओम यादव जेल में हैं. इस हिसाब से एसपी के बचे आठ विधायक बचे.
इसके अलावा कांग्रेस के सात, आरएलडी का एक, निर्दलीय विधायक राजा भैया का एक वोट और उनके सहयोगी निर्दलीय विनोद सरोज का एक वोट ये मिलाकर बीएसपी उम्मीदवार के पक्ष में 34 वोट दिख रहे हैं. ये जीत के लिए 37 वोट से तीन कम हैं.
क्या है बीजेपी का गणित? दसवीं सीट के लिए बीजेपी गठबंधन के पास 28 विधायक हैं. इनमें बीजेपी के 15, अपना दल के 9, सुहेलदेव पार्टी के 4 विधायक हैं. इनके अलावा निषाद पार्टी के विजय मिश्रा बीजेपी की तरफ हैं. निर्दलीय अमनमणि त्रिपाठी, एसपी के बागी नितिन अग्रवाल और बीएसपी के अनिल सिंह को मिला दें तो बीजेपी के 32 वोट हो जाते हैं, यानी जरूरी 37 से 5 कम.
खेल पलटेगा कैसे? अगर बीएसपी और बीजेपी में से कोई भी 37 वोट नहीं पाता है तो मामला दूसरी वरीयता के वोट से तय होगा जहां बीजेपी का पलड़ा बहुत भारी है. उसके पास 324 विधायक हैं, जाहिर कि ऐसे में बीजेपी का उम्मीदवार जीत जाएगा.
दूसरी वरीयता वोट क्या होता है? उत्तर प्रदेश में जिस तरह का गणित बन रहा है उस हिसाब के स्पष्ट है कि दोनों ही खेमों को जरूरी 37 वोट नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में मामला दूसरी वरीयता के वोट के लिए जाएगा. हम आपको बेहद आसान भाषा में समझा रहे है कि आखिर ये दूसरी वरीयता वोट है क्या?
राज्यसभा चुनाव में विधायक वरीयता के अनुसार अपना वोट देते हैं. पहली वरीयता के न्यूनतम वोट (कोटा) जिसे मिल जाते हैं वह जीत जाता है. यूपी में जीत के लिए पहली वरीयता के 37 वोट जरूरी हैं.
अगर 37 वोट नहीं मिले तब दूसरी वरीयता के वोट गिने जाते हैं. जिस उम्मीदवार को दूसरी वरीयता के ज्यादा वोट मिलते हैं उसकी जीत पक्की हो जाती है. दूसरी वरीयता के वोट गिने गए तो बीजेपी की जीत पक्की है.
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