Rajasthan: अपनों के वार से घायल हो रही है राजस्थान सरकार, 'बयानवीरों' से कैसे बढ़ीं सीएम गहलोत की मुश्किलें?
Rajasthan Politics: विधायक गणेश घोघरा ने अपना इस्तीफ़ा सीएम अशोक गहलोत को भेजा है. वही निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने सरकार पर कई सवाल दागे. धीरज गुर्जर भी सरकार के ख़िलाफ़ मैदान में कूद पड़े हैं.

Rajasthan Ganesh Ghogra Resignation To CM Ashok Gehlot: राजस्थान की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार अचानक ही अपनों के वार से घायल होती दिख रही है. गहलोत सरकार पर उन्हीं की पार्टी के विधायक और मंत्री हमलावर होते दिख रहे हैं और ये सिलसिला पिछले पंद्रह बीस दिनो में ज़ोर पकड़ रहा है. कोई विधायक प्रशासन की आड़ में गहलोत सरकार (Gehlot Govt) पर निशाना साध रहा है तो किसी को प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार नाक़ाबिले बर्दाश्त लग रहा है. ऐसा अचानक क्यों हुआ ये जानने से पहले जान लेते है कि आख़िर कौन हैं वो लोग जिन्होंने क़रीब साढ़े तीन साल पुरानी गहलोत सरकार पर खुला हमला बोला है.
सरकार को चौतरफ़ा घेरने की इस मुहिम के सूत्रधार बने डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा (Ganesh Ghogra). ये विधायक महोदय राजस्थान युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी है. अभी कांग्रेस का उदयपुर ने हुआ चिंतन शिविर ख़त्म हुआ ही था कि घोघरा ने अपना इस्तीफ़ा बम फोड़ डाला. वैसे इस्तीफ़े को लेकर घोघरा की मंशा क्या है? इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि जो इस्तीफ़ा नियम के मुताबिक़ विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जाना था वो सीधे सीएम गहलोत को भेजा गया. यानि घोघरा की मंशा विधायकी छोड़ने से ज़्यादा पब्लिसिटी स्टंट और सरकार पर दबाव बनाने की ज़्यादा दिखी.
विधायक गणेश घोघरा की क्या है नाराजगी?
ख़ैर घोघरा का इस्तीफ़ा तो स्वीकार होना ही नही था सो अब तक नहीं हुआ लेकिन उदयपुर चिंतन शिविर के सफल आयोजन की ख़ुशी मना रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सरकार की ख़ुशियों को तो घोघरा ने पल भर में काफ़ूर कर डाला. घोघरा के मामले में एक बात और अहम है कि एक दिन पहले उन्होंने अपने ज़िले के प्रशासनिक अफ़सरों को पंचायत भवन में क़ैद कर दिया था जिसकी वजह से उनके ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज हो चुका है.
संयम लोढ़ा ने क्यों खोया संयम?
घोघरा ने अभी बवाल काटा ही था कि सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा (MLA Sanyam Lodha) अपना संयम खो बैठे. उन्होंने राज्य के प्रशासनिक अमले को अपने निशाने पर लिया और सरकार पर कई सवाल दाग दिए. संयम के असंयमित होने की वजह कोई भी रही हो लेकिन उनकी नाराज़गी इसलिए मायने रखती है क्योंकि उन्हें सीएम गहलोत ने अपना सलाहकार बना रखा है. अब संयम का बयान आया तो राज्य के एक अन्य नेता धीरज गुर्जर भी सरकार के ख़िलाफ़ मैदान में कूद पड़े. धीरज अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है और प्रियंका गांधी के बेहद करीबी भी.
राजेंद्र सिंह विधूड़ी का सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोल
धीरज सरकार के ख़िलाफ़ सीधे तो कुछ नही बोले लेकिन संयम के बयान से अपना और मिलाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की नौकरशाही कांग्रेस से ज़्यादा बीजेपी के लोगों की सुनवाई कर रही है. संयम और धीरज के हल्ले और हमले से सरकार संभल पाती इसके पहले बेगू से कांग्रेसी विधायक राजेंद्र सिंह विधूड़ी भी सरकार के ख़िलाफ़ मैदान में उतर पड़े. विधूड़ी ने तो इधर उधर बिल्कुल नहीं देखा और सीधा हमला सीएम गहलोत पर बोला. वो तो यहां तक बोल गए कि रीट परीक्षा के पेपर लीक की जांच सीएम गहलोत सीबीआई (CBI) से इसलिए नहीं करवा रहे हैं कि उन्हें डर है कि उनका कोई मंत्री जेल ना चला जाए.
मंत्री न बनाए जाने का दर्द?
वैसे राजेंद्र सिंह विधूड़ी ने गहलोत पर टिप्पणी करते हुए उन्हें मंत्री ना बनाए जाने का दर्द भी बयां किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने दो बार के हारे लोगों को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया लेकिन जीतकर आए लोगों को कोई पद नहीं दिया गया. अब राज्य के खेल मंत्री अशोक चांदना भी शह और मात के इस खेल में ताज़ा ताज़ा कूदे है. अशोक चांदना ने भी कोसा तो नौकरशाहों को है लेकिन अन्य विधायकों की तरह उनका बयान सामान्य नहीं रहा.
खेल मंत्री अशोक चांदना का सरकार पर तीर
उन्होंने ट्वीट किया कि माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस ज़लालत भरे मंत्री पद से मुक्त करें. खेल मंत्री यहीं नहीं रुके उन्होंने तो सीधे सीधे सीएम के प्रधान सचिव और आईएएस अफ़सर कुलदीप रांका पर तीर चलाया. उन्होंने गहलोत से कहा कि वो उनके विभाग का चार्ज कुलदीप रांका को ही दे दें क्योंकि वैसे भी रांका सभी विभागों के मंत्री है. खेल मंत्री के ट्वीट की ये आख़री पंक्ति ज़रा ग़ौर करने लायक़ है क्योंकि लम्बे समय से राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में कुलदीप रांका को ही पावर सेंटर माना जाता रहा है.
बयानवीरों से गहलोत सरकार की बढ़ी मुश्किलें?
अब इन तमाम लोगों के बयान वार में एक बात ग़ौर करने वाली है कि ऐसे बयान की टाइमिंग क्या है. डरअसल राजस्थान (Rajasthan) की चार राज्यसभा सीट (Rajya Sabha Seats) ख़ाली हो रही है और इन पर चुनाव होने जा रहे हैं. गुर्जर और आदिवासी समाज इन सीटों पर अपनी अपनी दावेदारी जता रहा है. गुर्जर समाज ने तो अपनी इस मांग को लेकर प्रदेश के प्रमुख समाचार पत्रों में बड़ा सा इश्तिहार भी छपवा दिया. अब विधायक विधूड़ी और खेल मंत्री अशोक चांदना (Ashok Chandna) भी गुर्जर है तो कांग्रेस के सचिव धीरज गुर्जर भी. तो ऐसे में क्या इन तीनों के बयान अपनी जाति से प्रेरित है ये तो सोचा जा ही सकता है. बात घोघरा की तो उन पर पुलिस मुक़द्दमा दर्ज है तो वो इसी बात से ख़फ़ा हैं. वजह कोई भी रही हो लेकिन राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले इन बयानवीरों ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार के लिए मुश्किलें तो पैदा कर ही डाली है.
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Source: IOCL





















