राफेल सौदाः कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछा- अगर विमान UPA से सस्ता खरीदा तो 126 के बजाए 36 ही क्यों?
कांग्रेस नेता ए के एंटनी ने कहा कि 126 विमानों की खरीद के लिए प्रस्ताव डिफेंस एक्वीजिशन कॉउंसिल ने पास किया था. ऐसे में कोई व्यक्ति विमानों की संख्या नहीं घटा सकता. प्रधानमंत्री को संख्या घटाने की अनुमति किसने दी?

नई दिल्लीः राफेल विवाद को लेकर कांग्रेस ने आज मोदी सरकार पर एक बार फिर जोरदार हमला किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री के एंटनी ने एक के बाद एक कई सवाल पूछे और सबसे बड़ा सवाल ये पूछा कि अगर यूपीए के दौर से सस्ता विमान खरीदा गया है तो फिर विमान की संख्या 126 के बजाए 36 तक क्यों घटाई गई? एंटनी ने कहा, "रक्षा मंत्री कहती हैं कि हमारी डील यूपीए से 9% सस्ती है, वित्त मंत्री कहते हैं 20% सस्ता है, वायुसेना के पूर्व अधिकारी का बयान आया कि 40% सस्ता है. अगर ये इतना ही सस्ता है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे?"
Recently, Law Minister claimed that in new agreement, aircraft is 9% cheaper than UPA deal. FM told it is 20% cheaper. Officer of IAF told it is 40% cheaper. Why did they not buy more than 126 if it was cheaper?: AK Antony, Congress pic.twitter.com/LrtEivqOKL
— ANI (@ANI) September 18, 2018
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा को देखते हुए 126 से ज्यादा विमानों की जरूरत है लेकिन मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा से समझौता किया है. एंटनी ने कहा, ''126 विमानों की खरीद के लिए प्रस्ताव डिफेंस एक्वीजिशन कॉउंसिल ने पास किया था. ऐसे में कोई व्यक्ति विमानों की संख्या नहीं घटा सकता. प्रधानमंत्री को संख्या घटाने की अनुमति किसने दी? संख्या घटाने के लिए क्या एयरफोर्स ने कहा था?''
मोदी सरकार ने देश का किया नुकसान
एंटनी ने कहा कि साल 2000 में देश में 126 विमानों की जरूरत थी. यूपीए ने साल 2007 में मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) के लिए टेंडर निकाला था. जिसके बाद साल 2012 में दसॉल्ट का नाम तय किया गया. हमारी डील में 18 विमान तैयार हालत में देश में आने थे और बाकी के 108 विमान देश की एरोस्पेस डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाती. यूपीए की डील में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत HAL को तकनीक मिलती और देश में रोजगार पैदा होते. लेकिन मोदी सरकार ने इस डील को ही बदल दिया. अब ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी नहीं मिलने से देश का नुकसान हुआ है.
HAL की छवि धूमिल की रक्षा मंत्री ने
कांग्रेस नेता एंटनी का कहना है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सच्चाई छुपा रही हैं. उन्होंने कहा, "सीतारमण कहती हैं कि HAL में 108 विमानों को बनाने की क्षमता नहीं थी, जबकि HAL के पास 70 सालों से ज्यादा का अनुभव है. वो 31 तरह के 4060 जहाज बना चुकी है जिसमें 'सुखोई' भी शामिल है."
एंटनी कहते हैं कि रक्षा मंत्री के बयान से HAL की प्रतिष्ठा दुनिया में धूमिल हुई है. यूपीए सरकार में HAL कंपनी लाभ में थी, लेकिन मोदी सरकार में उसे हजारों करोड़ का लोन लेना पड़ा है. इसके इतर मोदी सरकार ने रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुना है जबकि उसे रक्षा उत्पादन में कोई अनुभव नहीं है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सरकार का कहना है कि पहला विमान सितम्बर 2019 तक आएगा और 36 विमानों की पूरी खेप 2022 तक आएगी. मोदी सरकार ने पिछली डील को रद्द किए बिना ही नई डील की है. ये साफ तौर पर रक्षा सौदे के नियमों का उल्लंघन है. कांग्रेस चाहती है कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच हो जिससे सच्चाई सामने आए.
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