JNU छात्रसंघ चुनाव: प्रेसिडेंशियल डिबेट में छाए रहे ज्वलंत मुद्दे, बारिश भी नहीं कम कर सकी जोश
जोश का आलम ये था कि दो बार जब जोरदार बारिश आई तो भी जेएनयू के छात्र डटे रहे. पूरी सम्भवना है कि इस बार अध्यक्ष पद पर एक छात्रा चुनी जाएगी क्योंकि सभी प्रमुख संगठनों अध्यक्ष पद के लिए महिला उम्मीदवार उतारा है.

नई दिल्ली: "आपकी विचारधारा के लोग JNU बंद करने की बात करते हैं, फिर आप चुनाव क्यों लड़ रही हैं?" अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उम्मीदवार से AISA की उम्मीदवार ने पूछा. पलटकर जवाब देते हुए ABVP की उम्मीदवार ने पहले तो ये कहा कि वो यहां पीएचडी की छात्रा है और अगर जेनएयू बंद हो गया तो वो खुद कहाँ जाएगी और अगले ही सेकेंड रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के जेएनयू से जुड़ाव का जिक्र कर अपना बचाव किया.
कुछ इस तरीके से जेएनयू छात्र संघ के चुनाव से पहले होने वाला अध्यक्षीय वाद विवाद में गौरी लंकेश की हत्या से लेकर जेएनयू के लापता छात्र नजीब, कैम्पस से लेकर देश भर के ज्वलंत मुद्दे छाए रहे.
जोश का आलम ये था कि दो बार जब जोरदार बारिश आई तो भी जेएनयू के छात्र डटे रहे. पूरी सम्भवना है कि इस बार अध्यक्ष पद पर एक छात्रा चुनी जाएगी क्योंकि सभी प्रमुख संगठनों अध्यक्ष पद के लिए महिला उम्मीदवार उतारा है.
जेएनयू को 'लाल किला' यानी वामपंथ का गढ़ कहा जाता है. शुरुआत से काफी सालों तक यहां CPM के छात्र संगठन SFI का दबदबा रहा है पिछले कुछ सालों में लेकिन पिछले लगभग डेढ़ दशक से CPI-ML के छात्र संगठन AISA का बोलबाला रहा है. इनका मुकाबला BJP के छात्र संगठन ABVP से होता आया है. इक्का-दुक्का बार ABVP को कामयाबी भी मिली है. लेकिन एबीवीपी की मजबूत होती स्थिति और दलित संगठन BAPSA के उभार ने पिछले दो सालों से बड़े वामपंथी छात्र संगठनों को गठबंधन करने पर मजबूर कर दिया है.
पिछले साल AISA, SFI, AISF ने मिल कर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस बार AISF अलग चुनाव लड़ रही है और वाम एकता के नाम पर AISA, SFI और DSF एक साथ है. कांग्रेस का छात्र संगठन NSUI भी चुनावी मैदान में है. इस बार मुख्य मुकाबला AISA-SFI-DSF वाली वाम-एकता, ABVP और BAPSA के बीच है.
अध्यक्ष पद पर पांचों प्रमुख संगठनों ने महिला उम्मीदवार को उतारा है. इनके नाम हैं BAPSA से शबीना अली, ABVP से निधि त्रिपाठी, NSUI से विशनिका यादव, AISF से अपराजिता राजा और AISA से गीता कुमारी. इनके अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवार में से एक फारुख आलम ने अध्यक्षीय वाद विवाद में महफ़िल लूट ली. उनके निशाने पर सभी छात्र संगठन रहे और सबसे ज्यादा तालियां भी उन्हीं के लिए बजीं. BAPSA और ABVP के उम्मीदवारों ने प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखी. AISA की उम्मीदवार भी पीछे नहीं रही. उत्सुकता AISF की अपराजिता राजा को लेकर भी रही क्योंकि वो वरिष्ठ CPI नेता डी राजा की बेटी हैं.
सभी संगठनों के उम्मीदवारों ने पार्टी लाइन के हिसाब से अपनी बात रखी और पुराने पैटर्न से ही विरोधी संगठनों को घेरा. इस बहस में गौरी लंकेश से लेकर म्यामांर के रोहिंग्या मुसलमान तक के हालिया विषय से लेकर तीन तलाक और राम-रहीम जैसे विषय उठे. मुद्दा साल भर से लापता जेएनयू छात्र नजीब का भी उठा लेकिन आरोप-प्रत्यारोप के बाद छात्र नेता दूसरे मुद्दों की ओर बढ़ गए.
JNU छात्रसंघ में अध्यक्ष के अलावा उपाध्यक्ष, महासचिव और सह सचिव के पद हैं. वोटिंग 8 सितंबर को है और वोटिंग खत्म होने के बाद काउंटिंग शुरु हो जाएगी. नतीजे 10 सितंबर तक आएंगे.
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Source: IOCL






















