रेलवेः इन महत्वपूर्ण रूटों का होगा सेमी निजीकरण, 50 रूट पर पैसेंजर ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी
जिन ट्रेन रूटों को निजी आपरेटर्स के हाथों में सौंपा जाना है उनमें से लम्बी दूरी वाले रूटों में दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-चेन्नई, मुंबई-चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण रूट शामिल हैं.

नई दिल्लीः यात्री ट्रेनों को निजी हाथों में देने के लिए रेलवे बोर्ड ने आज शुक्रवार को एक अहम बैठक की. इस बैठक में रेलवे बोर्ड के मेंबर ट्रैफ़िक सहित छः रेलवे ज़ोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजरों ने हिस्सा लिया. इन 6 रेलवे जोनों में नॉर्दर्न रेलवे, सेंट्रल रेलवे, साउथ ईस्टर्न रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, साउथ सेंट्रल रेलवे और साउदर्न रेलवे के अधिकारी शामिल हुए.
मीटिंग में क्या तय हुआ
इस बैठक का मुख्य एजेंडा यात्री ट्रेनों को प्राइवेट ऑपरेटर्स के हाथों में देने के मुद्दे पर चर्चा करना था. इस बैठक में तय हुआ कि प्राइवेट ऑपरेटर्स अत्याधुनिक पैसेंजर ट्रेन चलाएंगे. ट्रेनों को चलाने के लिए आरएफक्यू और आरएफपी के तहत प्रपोज़ल और बिडिंग की व्यवस्था की जाएगी.
इसके लिए एक पारदर्शी व्यवस्था के तहत निजी कंपनियों से पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्रस्ताव मांगा जाएगा. इन प्रस्तावों के आधार पर रेलवे यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रेन रूट रेट तय करेगी. यह बेस प्राइस होंगे इन बेस प्राइस के आधार पर रेलवे टेंडर आमंत्रित करेगी.
अभी कितने ट्रेन रूटों का निजीकरण होगा
यात्री ट्रेनों को निजी हाथों में देने के लिए बुलाई गई इस मीटिंग में रेलवे ने फ़िलहाल अपने 50 ट्रेन रूटों के बारे में चर्चा की. अब सभी 6 जोनल रेलवे अपने अपने रेल रूटों पर प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए प्रक्रिया का निर्धारण करेंगे. इसके लिए फीजिबिलिटी और कमर्शियल वायबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी.
निजीकरण से पहले बढ़ानी होगी रूट क्षमता
जोनल रेलवे यह भी तय करेंगे कि उनके रूट में अतिरिक्त और नई ट्रेनें चलाने की कितनी गुंजाइश है. निजी हाथों में सौंपने के लिए जिन ट्रेनों को चुना जाएगा उनके लिए कोचिंग टर्मिनल और वाशिंग लाइन आदि ज़रूरी क्षमता वर्धन सम्बंधी कार्य अलग से कराए जाएँगे.
रेलवे में यह किस तरह का निजीकरण होगा
हालांकि, रेलवे की मंशा आगे चलकर पूरी तरह प्राईवेट ट्रेनों को अपनी रेल पटरी पर दौड़ाने की है लेकिन फ़िलहाल जिन ट्रेनों को प्राईवेट आपरेटर्स चलाएँगे वो रेलवे की ही ट्रेनें होंगी. उसके टिकटिंग की व्यवस्था और उसका चालक दल भी रेलवे का ही होगा.
जिसका किराया और हॉलेज चार्ज (रेल लाईन, सिग्नलिंग आदि इस्तेमाल करने का ख़र्च ) प्राईवेट आपरेटर को देना होगा. सिर्फ़ ट्रेनों का मैनेजमेंट, रखरखाव, प्रमोशन और बिज़नेस सम्बंधी अधिकार निजी आपरेटर्स को सौंपें जाएंगे. इसलिए पहले दौर के इस ट्रेन निजीकरण को पोलिटिकली करेक्ट होने के लिए आप सेमी निजीकरण भी कह सकते हैं.
महत्वपूर्ण ट्रेन रूटों का होगा सेमी निजीकरण
रेलवे में ट्रेन रूटों के निजीकरण को लेकर हुई इस बैठक के पहले दौर में 14 इंटर्सिटी ट्रेन रूटों के निजीकरण पर विस्तृत चर्चा हुई. इसके बाद 10 लम्बी दूरी और ओवर नाइट जर्नी वाले ट्रेन रूटों को प्राईवेट हाथों में देने में आने वाली व्यवस्था और रुकावटों पर चर्चा की गई.
मीटिंग के आख़िरी दौर में 4 सबअर्बन ट्रेन रूटों के निजीकरण पर भी विचार किया गया. जिन ट्रेन रूटों को निजी आपरेटर्स के हाथों में सौंपा जाना है उनमें से लम्बी दूरी वाले रूटों में दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-चेन्नई, मुंबई-चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण रूट शामिल हैं. वहीं सबअर्बन ट्रेन रूटों में मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, सिकंदराबाद के सबअर्बन ट्रेन रूट शामिल हैं.
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