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पीएम मोदी की टिप्पणी 'मेरी छवि को खराब करने की सुपारी' चर्चा में, जानिए अंडरवर्ल्ड और सुपारी शब्द का क्या है कनेक्शन

पीएम मोदी ने हाल ही में ये बयान दिया कि कुछ लोग उनकी छवि को खराब करने के लिए सुपारी दे रहे हैं. जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी जी सुपारी देने वाले लोगों का नाम बताएं, उनपर मुकदमा होगा.

हाल ही में पीएम मोदी ने बयान दिया कि कुछ लोग उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं.  लोग उनकी छवि को धूमिल करने के लिए सुपारी भी दे रहे हैं. रविवार को इसके जवाब में राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि पीएम मोदी उन लोगों का नाम बताएं. उन लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.

पीएम मोदी ने अपने बयान में क्या कहा था ? 

कुछ लोगों ने ये संकल्प लिया है कि- मोदी की छवि को धूमिल करके रहेंगे.  इसके लिए इन लोगों ने अलग-अलग लोगों को सुपारी दे रखी है', प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान अपने भोपाल दौरे के दौरान रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर एक सभा को संबोधित करते हुए दिया था.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये टिप्पणी देते हुए कहा कि हमारे देश में कुछ लोग 2014 से ये कोशिश कर रहे हैं कि वो मेरी छवि धूमिल करें. वो ऐसा करने की खुद भी कोशिश कर रहे हैं और लोगों को भी सुपारी दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'कुछ लोग इन लोगों का समर्थन करने के लिए देश के अंदर बैठे हैं और कुछ देश के बाहर बैठकर अपना काम कर रहे हैं. ये लोग लगातार मेरी छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इन लोगों को नहीं पता है कि भारत के गरीब, पिछड़े और दलित लोग मोदी का सुरक्षा कवच हैं

कपिल सिब्बल बोले - नाम बताएं पीएम मोदी, उनपर कार्रवाई होगी

इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि मोदी जी ने आरोप लगाया है कि देश के बाहर और भीतर कुछ लोग उनकी छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं मोदी जी से आग्रह करता हूं कि वो हमें उन लोगों का नाम, जगह या संस्थान का पता बताएं. हम ऐसे लोगों पर मुकदमा चलाएंगे. ये स्टेट सीक्रेट का तो मैटर नहीं है.

समझिए क्या होता है सुपारी शब्द का अर्थ

बता दें कि कई भारतीय भाषाओं में सुपारी शब्द का इस्तेमाल " हत्या" के लिए किया जाता है. कई बार ये शब्द किसी राजनीतिक या वैचारिक प्रतिद्वंद्वी को बदनाम करने, अपमानित करने या परेशान करने के लिए किसी पेशेवर को पैसा देकर कराने के लिए किया जाता है. 

पिछले साल केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने पेगासस पर अपनी रिपोर्ट को लेकर द न्यूयॉर्क टाइम्स को "सुपारी मीडिया" कहा था. इसमें ये बताया गया था कि भारत उन देशों में से था जिन्होंने इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप के जासूसी सॉफ्टवेयर को खरीदा था.

क्या होता है सुपारी का शाब्दिक अर्थ

आमतौर पर सुपारी पान में डाली जाती है. सुपारी को कई टुकड़ों में काट कर पान में डाला जाता है. भारत में सुपारी का इस्तेमाल पूजा में भी किया जाता है. 

सुपारी शब्द का इस्तेमाल अपराध की दुनिया में कैसे हुआ ? 

70 के दशक के मध्य में पुलिस में शामिल हुए मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त एसीपी वसंत ढोबले ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ग्रामीण महाराष्ट्र में पान और सुपारी के साथ मेहमानों को शादी में आमंत्रित करने की परंपरा से इस शब्द की उत्पत्ति हुई. 

आगे चलकर पान-सुपारी का इस्तेमाल एक सौदे या डील को लेकर संकेतिक भाषा के रूप में किया जाने लगा. महाराष्ट्र की लोकल भाषा में इसे कामची सुपारी आली आहे यानी (हमें ये काम करने के लिए पैसे मिले हैं ) कहते हैं. 

धोबले के मुताबिक कि 70 के दशक के मध्य में महाराष्ट्र पुलिस में शामिल होने वाले ज्यादातर लोग ग्रामीण महाराष्ट्र से आए थे. वे अपने साथ अपनी भाषा भी लेकर आए.  

मुंबई में जैसे-जैसे मुंबई अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां तेज होती गई वैसे -वैसे शहर में हत्याएं भी बढ़ती गई.  इसी के साथ अंडरवर्ल्ड  के लोग सुपारी शब्द का इस्तेमाल भी करने लगे. सुपारी यानी किसी का अपहरण, किसी को धमकी या किसी का मर्डर करने के लिए बिचौलिये को दिया गया पैसा. अक्सर पुलिस वाले भी ये कह कर पूछताछ करते थे कि इसको मारने की सुपारी किसने दी . 

सुपारी देने वाला व्यक्ति आमतौर पर एक बिचौलिये पर निर्भर करता है. बिचौलिया हिटमैन की व्यवस्था करता है. बता दें कि सुपारी का मतलब सिर्फ हत्या के लिए नहीं होता है. अपहरण, धमकी भी सुपारी यानी पैसे दे कर कराए जाते हैं. ये पैसे किसी पेशेवर को दिए जाते हैं, जिसे वो सुपारी के तौर पर लेता है.

पत्रकार-लेखक एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब 'डोंगरी टू दुबई : सिक्स डिकेड्स ऑफ द मुंबई माफिया' में सुपारी की उत्पत्ति को एक दिलचस्प रस्म से जोड़ा है. एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब में ये लिखा है कि माहेमी जनजाति में भीम समुदायों में होने वाली दावतों में सुपारी का एक खास रोल होता था. 

जैदी के मुताबिक जब भी भीम को कोई मुश्किल काम सौंपना होता था, तो वह माहिम किले में अपने योद्धाओं की एक बैठक बुलाते थे. यहां पर एक शानदार दावत के बाद पान से भरी एक प्लेट लाई जाती थी और सभा के बीच में रखी जाती थी. जो योद्धा सुपारी वाला पान उठाता था उसे वो मुश्किल काम सौंप दिया जाता था. 

अंडरवर्ल्ड में कैसे बढ़ा हत्या के लिए सुपारी देने के चलन

80 और 90 के दशक में मुंबई में अंडरवर्ल्ड के लोगों को बड़े पैमाने पर काम मिलना शुरू हुआ. तब ये माना जाता था कि कोई व्यक्ति जो एक प्रतिद्वंद्वी को खत्म करना चाहता था वो अंडरवर्ल्ड गिरोह को सुपारी (पैसा) देकर अपना काम आसानी से करवा सकता है. 

सुपारी की कीमत इस बात पर निर्भर करेगी कि लक्ष्य कौन होगा, और हिट के बाद किस तरह के हालात या नतीजे सामने आएंगे. उस दौरान सुपारी का पैसा आमतौर पर किस्तों में सौंपा जाता था. अंतिम राशि का भुगतान काम पूरा होने के बाद किया जाता था.

ज्यादातर मामलों में, सुपारी देने वाला व्यक्ति अंडरवर्ल्ड के आदमी को टारगेट के ठिकाने की पूरी जानकारी और हमला करने के लिए सही समय और जगह भी बताया करता था. 

सुपारी देने वाला व्यक्ति सुपारी देने से पहले माफिया की शैली की जांच परख भी करता था. ऑपरेशन के तुरंत बाद जैसे ही पुलिस अपनी कार्रवाई शुरू करती थी, हत्यारे को अंडरग्राउंड होना पड़ता था. ये सब सुपारी का ही हिस्सा होता था.

डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई के अंडरवर्ल्ड के लोग हिटमैन के रूप शार्पशूटरों की तलाश के लिए उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रुख करते हैं. बता दें कि दाऊद इब्राहिम गैंग का कुख्यात अपराधी अबू सलेम आजमगढ़ के सराय मीर गांव का रहने वाला है.  

पहली बार कब दी गई थी सुपारी

जैदी की किताब के मुताबिक, पहली बार कॉन्ट्रैक्ट किलिंग या सुपारी किलिंग का आदेश गैंगस्टर हाजी मस्तान ने 1969 में रियल एस्टेट माफिया यूसुफ पटेल पर दिया था. मस्तान ने इस काम के लिए दो पाकिस्तानियों को 10,000 रुपये का भुगतान किया, लेकिन पटेल के अंगरक्षकों की वजह से हाजी मस्तान की सुपारी कामयाब नहीं हुई. 

पत्रकार जे डे ने अपनी किताब 'खल्लास : एन ए-जेड गाइड टू द अंडरवर्ल्ड' में एक सनसनीखेज हत्या के बारे में लिखा है, जिसने दाऊद इब्राहिम को मुंबई अंडरवर्ल्ड में स्थापित कर दिया था.

मुंबई की अदालत में अमीरजादा पठान को मारी गई थी गोली

फरवरी 1983 में दाऊद के भाई शब्बीर कासकर की हत्या करने वाले प्रतिद्वंद्वी और शक्तिशाली पठान गिरोह के अमीरजादा पठान को खत्म करने के लिए गैंगस्टर बड़ा राजन को सुपारी दी गई थी.

यह काम डेविड परदेशी नाम के एक युवा हिटमैन को मिला. इसने 6 सितंबर, 1983 को मुंबई सत्र अदालत के अंदर 50,000 रुपये के लिए अमीरजादा की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

संगीत कारोबारी गुलशन कुमार की सुपारी किलिंग

12 अगस्त 1997 को अंधेरी में एक मंदिर के बाहर संगीत कारोबारी गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस के मुताबिक उसे खत्म करने की साजिश दुबई में दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम ने रची थी और हत्यारों को 25 लाख रुपये दिए गए थे. पुलिस के मुताबिक हत्यारे कम से कम एक महीने से उन पर नजर रख रहे थे. 

मटका किंग सुरेश भगत की 25 लाख रुपये में पत्नी ने कराई थी सुपारी किलिंग

मटका किंग सुरेश भगत की 2008 में पांच लोगों के साथ मौत हो गई थी. मटका किंग की गाड़ी को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी.  जांच में पाया गया कि उनकी पत्नी जया भगत ने पति को मारने के लिए 25 लाख रुपये की सुपारी दी थी  क्योंकि वह उनके साम्राज्य पर कब्जा करना चाहती थीं.

बसपा नेता की हत्या अब तक की सबसे बड़ी सुपारी किलिंग

2003 में बसपा नेता दीपक भारद्वाज की हत्या दिल्ली की पहली ऐसी सुपारी हत्या की घटना थी, जिसे लेकर खूब चर्चाएं हुई थी. इस हत्या के बाद देश की राजधानी में 'सुपारी' हत्याओं को लेकर फिर से खौफ पैदा कर दिया था. 2003 से पहले दिल्ली में पिछले चार दशकों में केवल पांच बड़ी सुपारी लेकर हत्याएं हुई थी. 

बता दें कि भारद्वाज के मारने के लिए 5 करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी. जो अब तक की सबसे बड़ी सुपारी मानी जाती है. वहीं 2003 में दिल्ली में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की रिपोर्ट 10 लाख रुपये तय की गई थी.

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