ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के जिस ड्रोन को सेना ने मार गिराया, उसे आर्मी चीफ ने वॉर ट्रॉफी के तौर पर सजाया
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने करीब 1000 ड्रोन के जरिए भारत पर हमला किया था. इनमें से काफी संख्या में सर्विलांस ड्रोन थे और कुछ तुर्किए से लिए यीहवा लोएटरिंग म्युनिशन ड्रोन थे.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मार गिराए गए यीहवा ड्रोन को थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने आधिकारिक निवास पर वॉर-ट्रॉफी के तौर पर प्रदर्शित किया है. पाकिस्तान ने इस ड्रोन को तुर्किए से खरीदा है.
1971 जंग में पाकिस्तान पर मिली विजय की 54वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सोमवार को थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र ने अपने आधिकारिक निवास पर रेस्पेशन का आयोजन किया. इस रेस्पेशन में ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) के दौरान मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन को रखा गया. इस दौरान एक अधिकारी ने वहां मौजूद गेस्ट को इस ड्रोन की फोरेंसिक जांच के बारे में भी खुलासा किया.
पाक ने भारत के सैन्य ठिकाने पर हमले के लिए लॉन्च किया था
भारतीय सेना के अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला कि पाकिस्तान ने इस यीहवा ड्रोन को लाहौर से भारत के पंजाब सेक्टर में भारतीय सेना के सैन्य ठिकाने पर हमला करने के लिए लॉन्च किया था. भारतीय सीमा में दाखिल होने के दौरान अमृतसर सेक्टर में भारतीय सेना ने इस यीहवा ड्रोन को मार गिराया. अधिकारी ने बताया कि इस ड्रोन के सेंसर की जांच से ये भी पता चल गया है कि पंजाब के किसी मिलिट्री स्टेशन पर इस गिराया जाना था.
#विजयदिवस #VijayDiwas
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) December 15, 2025
एक दिन शेष #16दिसंबर 1971, भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक जीत। #IndianArmy#भारतीयसेना @DefenceMinIndia@SpokespersonMoD@HQ_IDS_India@IAF_MCC@indiannavy pic.twitter.com/kM8f7Md0i0
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान PAK ने ड्रोनों से किया था हमला
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तीन दिन (7-9 मई) में करीब 1000 ड्रोन के जरिए भारत पर हमला किया था. इनमें से काफी संख्या में सर्विलांस ड्रोन थे और कुछ तुर्किए से लिए यीहवा लोएटरिंग म्युनिशन (कामकाजी) ड्रोन थे. ये ड्रोन, बम या फिर दूसरे बारूद से लैस होते हैं. इनके गिरने से धमाका होता है और गिरने वाली जगह को जबरदस्त नुकसान होता है.
थलसेना प्रमुख के रिस्पेशन में भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्वदेशी ड्रोन्स और सैन्य उपकरणों को भी प्रदर्शित किया गया. इनमें एक ऐसा बंकर भी शामिल था, जिस पर गोलियों का कोई असर नहीं होता. 1971 की जंग में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर पराजित करने की याद में हर वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























