मुझे घुमाकर बताया गया कि अगर इमरान के बारे में किताब लिखी या कुछ बोला तो उड़ा दिया जाएगा- इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहाम
रेहाम खान ने कहा है कि जब मौका आएगा तो इमरान खान आर्मी की तरफ झुक जाएंगे. जब मौका आएगा तो इमरान तालिबान से समझौता कर लेंगे. रेहाम खान से बातचीत की पूरी डिटेल यहां पढ़ें.

नई दिल्ली: पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहाम खान ने इमरान खान को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीच में रेहाम खान ने बताया है कि अगर इमरान के बारे में किताब लिखी या कुछ बोला तो उड़ा दिया जाएगा. रेहाम खान ने यह भी कहा कि जब मौका आएगा तो इमरान खान आर्मी की तरफ झुक जाएंगे. जब मौका आएगा तो इमरान तालिबान से समझौता कर लेंगे. रेहाम खान से बातचीत की पूरी डिटेल यहां पढ़ें.
शीला रावल- क्या आपको उम्मीद थी कि कभी इमरान खान पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर बन पाएंगे?
रेहाम खान- जब मैं उनके साथ थी तब तो मुझे ये लगता था कि उनको यकीनन वजीर-ए-आजम बनाना चाहिए, लेकिन चांसेस नहीं लगते थे. जब तलाक हुआ और जिन हालातों में तलाक हुआ और उससे पहले कुछ महीनों में मैं जो देख रही थी वो सही नहीं लग रहा था. मुझे साफ जाहिर हो गया था कि ये भी करियर पॉलिटिशियन हैं. वैसे ही सियासतदान हैं जैसे बाकी हमारे पाकिस्तान में हैं. और जब तलाक हो गया तो उसके बाद मुझे किसी ने बताया कि इस इनको वजीर-ए-आजम (प्राइम मिनिस्टर) बनाया जाएगा. पहले ये किया जाएगा यानि नवाज शरीफ को हटाया जाएगा. फिर ज्यूडिशियल रूट लिया जाएगा और ये सब मुझको बताया गया.
शीला रावल- मतलब आपको ये सरप्राइज लगा था कि इमरान खान जीतकर आएं?
रेहाम- नहीं, क्योंकि साल 2015 से सबको ये मालूम था और मुझे जब ये किताब लिखने की बात शुरू हुई तो असल में सबसे पहले तो इमरान के कैंप से ये बाते आईं. किताब लिखने को लेकर मुझे धमकियां आनी शुरू हो गई. अगस्त के टाइम पर मुझे बताया गया कि अगर किताब लिखी या अगर किसी ने भी इमरान के बारे में अब कुछ बोला तो उसको उड़ा दिया जाएगा.
शीला रावल- फिर भी आपने ये किताब लिखी?
रेहाम खाम- बस पठान हैं.
शीला रावल- आपने लिखा है कि जब आप उनके साथ थी और वो धरना कर रहे थे तो एक दिन इमरान से बातचीत में आपने कहा कि जैसे नरेंद्र मोदी चीफ मिनिस्टर बनकर प्राइम मिनिस्टर बने हैं तो आपने इमरान खान को ये उम्मीद दी थी कि उनके लिए भी एक मौका है. जिस तरह से मोदी प्रधानमंत्री बने और जैसे गवर्नेंस उनका है. वैसा ही शायद इमरान खान के साथ हो सकता है.
रेहाम खान- जब मुझसे उन्होंने शादी की बात छेड़ी तो मैंने उनको कहा कि हमारी जिंदगियां बहुत अलग हैं और मैं बहुत एक मुश्किल खातून हूं. मैं तो बहुत उसूलों वाली हूं. यानि मैं बिल्कुल समझौता नहीं करती. सच में समझौता नहीं करती. फिर ये बात जहां से मैं हूं यानि जो हमारा पठान रीजन है उसके लिए मैं कुछ करना चाहती हूं. तो उन्होंने कहा कि मेरे साथ होगी तो ज्यादा कुछ कर सकोगी. बच्चे बचाना चाहती हो, लोगों को रोजगार दिलाना चाहती हो. जाहिर है मेरी बीवी बनकर तुम ज्यादा कर सकोगी. बीच में फिर धरना शुरु हो गया और धरना जब फेल हो गया तब हमने निकाह 31 अक्टूबर 2014 को किया. तो मैंने जाहिर है वो बहुत डिप्रेस थे, बहुत टूटे हुए थे. मैंने उनको बार-बार कहा कि आप एक हीरो हैं. नवाज शरीफ भी तीन दफा प्राइम मिनिस्टर बन चुके हैं. आपके पास अभी मौका है. आपके पास एक सूबा है, वहां साबित करें. जिस तरह नरेंद्र मोदी 10 साल चीफ मिनिस्टर रहे.
शीला रावल- जब इमरान खान से आपकी पहली मुलाकात हुई और आपने लिखा है कि आपका इंप्रेशन अच्छा नहीं था. आपने उनके लिए बदतमीज, अक्खड़ जैसे तीन-चार विशेष शब्द लिखे थे. इमरान खान में ऐसी क्या चीज है जो आपको बाद में पता चली? या पहले जानने से पता नहीं चली?
रेहाम खान- इमरान क्रिकेट की वजह से लोगों से बड़ा प्यार करते हैं. जब उन्होंने पॉलिटिक्स में आगाज किया तो सब लोग उनसे बड़ी उम्मीदें लगाए हुए थे. पहले मैं कहती थी कि बहुत घमंडी है, बहुत अक्खड़ तरीके से बात करता है. जाहिर है उस वक्त मेरी शादी भी उसी किस्म के शख्स के साथ हुई हुई थी तो मुझे वो बातें अच्छी नहीं लगती थीं कि टीवी पर इस तरीके से बात की जाए और फिर बीवी से दस कदम आगे चलता है. मेरा इंप्रेशन ये था कि चलो ठीक है अक्खड़ है घमंडी है लेकिन थोड़ी सी अदा है, लेकिन मेरा ख्याल था कि सच्चा है. ये सब लोग कहते थे कि सच्चा है. ईमानदार है. भ्रष्ट नहीं है तो हमने सोचा कि खिलाड़ी है. लेकिन जब शादी हुई तो मुझे पता चला कि नहीं.
शीला रावल- एक क्रिकेटर के तौर पर भारत भी इमरान खान को जानता है. अब उनका रोल बदल चुका है. अब वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं. तो अब उनकी भूमिका बहुत अलग है. तो इस भूमिका में भारत और पाकिस्तान की जिस तरह से अभी तक बातचीत होती रही है और जो अभी तक सियासत होती रही है आपको क्या लगता है कि इमरान खान कहां खड़े हैं?
रेहाम खान- जब भी मैं किसी इंडियन दोस्त से या लोगों से बात करती हूं तो वो कहते हैं कि हमें बहुत प्यार था. आपको पता है एक क्रिकेटर के तौर पर उनकी बड़ी अच्छी परफॉर्मेंस रही है. दुनिया के बेस्ट ऑलराउंडर थे तो इसमें तो कोई दो राय नहीं है और जाहिर है ऐसे भी खुशशक्ल समझे जाते थे. अब जब वो रवैया अपनाते हैं जैसे कि इलेक्शन से तीन-चार दिन पहले बल्ला घुमाओ भारत भगाओ. रातों रात जब ये देखते हैं कि कभी इधर तो कभी उधर उनकी सुई हिलती रहती है तो लोगों को मायूसी होती है और मेरा यही सोचना था कि एक दिन इन्होंने अपने को सुधारा नहीं तो लोग इनसे प्यार नहीं करेंगे. लोगों के सामने इनकी असलियत का खुलासा हो जाएगा. तो वो मैं नहीं जानती थी और शुरू में मुझे लगा कि ये नासमझ हैं लेकिन वो नामसझी नहीं थी.
शीला रावल- इमरान खान अभी प्रधानमंत्री बनकर आए तो मेरी यहां कुछ पाकिस्तानियों से बात हो रही थी. उनको बड़ा अच्छा लगा कि पहला प्रधानमंत्री है जो संयम की बात करता है, छोटे से घर में रहेगा, ईमानदारी की बात करता है. पाकिस्तान में उन्होंने ऐसा कभी देखा नहीं है. तो ये चीज बड़ी अपील करती है?
रेहाम खान- अपील करती है. नासमझी मेरी ये कि एक बंदा आपको पता है असल में आपके टाइप का नहीं है, लेकिन वो बात मीठी करते हैं. जब उन्होंने मुझे प्रपोज किया तो उन्होंने जो अल्फाज इस्तेमाल किए वो बिल्कुल मेरे टाइप के थे. धरने के लोग भी उनके भाषण पसंद करते हैं, बोलते तो वो बहुत अच्छा हैं. बड़ा एक्सपीरियंस हो गया है. जब पहली स्पीच दी तो लोगों को बड़ी पसंद आई कि कितनी अच्छी बातें कर रहा है. मसला ये है कि वो उस बात पर फिर कायम नहीं रहते. दूसरे दिन ही आपको पता चल जाता है कि तीन कमरों में तो नहीं है, हेलिकॉप्टर इस्तेमाल हो रहा है. अब तो एक्सपोज हो रहे हैं. क्योंकि आपको दिखाई दे रहा कि वजीर-ए-आजम हैं.
शीला रावल- आपकी बात से लगता है कि शायद इमरान खान एक सफल प्रधानमंत्री नहीं बन सकते?
रेहाम खान- पाकिस्तान जिस तरह की नहज पर पहुंच गया है. जिस मोड़ पर हम खड़े हैं उसके लिए हमें बहुत संजीदा लोगों की जरूरत है. गंभीर लोगों की जरूरत है और जो नोट ओनली इमरान गवर्नेंस के बारे में मैं जाती तौर पर जानती हूं एतो उनको कुछ मालूम नहीं है. दूसरा वो सीरियस नहीं हैं. दिलचस्पी नहीं है. रेस्टोरेंट भी एक अकेला बंदा नहीं चला सकता. आपको नीचे स्टाफ चाहिए होता है. आपको अपने नीचे लोग चाहिए होते हैं. इनका कोई नहीं है और जिन समझौतों से ये यहां पर पहुंच गए हैं, जिन लोगों को इन्होंने टिकटें दी हैं उन सबको भी इनको जगह देनी पड़ेगी. अब ये उसी दर्जे के पॉलिटिशयन हैं जिनके बारे में धरने में खड़े होकर कहते थे कि इन लोगों के मैं खिलाफ हूं. तो जो 80 साल 90 साल के लोगों को आप लेकर आए हैं जो भुट्टो साहब के साथ थे जुनैजो के साथ थे, मुशर्रफ के साथ थे, फेमलक्यू के हैं आज वो आपको साथ खड़े हैं कैसा- कौनसा बदलाव इन्होंने किया है?
शीला रावल- जिस तरह से आप बात कर रही हैं उससे लगता है कि जब मौका आएगा तो इमरान खान आर्मी की तरफ झुक जाएंगे. जब मौका आएगा तो इमरान खान शायद तालिबान से समझौता कर लें, या जो रूढ़िवादी हैं पाकिस्तान के वो उन पर हावी हो सकते हैं?
रेहाम खान- वो सब तो वह कर चुके हैं. वो तो यहां तक पहुंच ही नहीं पाते. इमरान को आर्मी लेकर आई है. इमरान को काफी समझौते पहले से करवा के लेकर आई है.
शीला रावल- ये जो आप बैकग्राउंड दे रही हैं उससे आपको क्या लगता है कि भारत-पाकिस्तान का रिश्ता आगे क्या रहेगा?
रेहाम खान- मुझे तो बहुत ज्यादा तशवीश है क्योंकि एक इमेज जो सबकी बनी हुई है दुनिया में. इस वक्त आप खुद देख रहे हैं कि यूनाइटेड स्टेट्स के जो प्रेसिडेंट है वो भी जो है बहुत रेडिकल बातें करते हैं, वो भी बहुत सख्त बातें करते हैं, उसका भी एक बड़ा सख्त रवैया है ईरान को लेकर, टर्की को लेकर. उसने वही करना है जो ऊपर से ऑर्डर आएगा और जाहिर है आर्मी को आप दोष नहीं दे सकते क्योंकि आर्मी का तो काम ही जंग करना है. ये तो पॉलिटिशयन होते हैं जो पॉलिसी बनाते हैं.
Source: IOCL






















