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अनोखी पहल: कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल कैंपस में हो रही ऑर्गेनिक खेती, बची कई लोगों की नौकरी
बेंगलुरु के विश्व विद्यापीठ स्कूल कैंपस में ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की गई . हर्ब्स, सब्जियां और फल सबकी खेती इसी कैंपस में होती है. कोरोना काल में इस कैंपस को ऑर्गेनिक खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और खेती से मिलने वाले प्रॉफिट को नॉन टीचिंग स्टाफ को सैलरी के तौर पर दिया जाता है.
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बेंगलुरु: देश में जानलेवा कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने से कई टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ ने अपनी नौकरियां खोई हैं, लेकिन बेंगलुरु की एक स्कूल ने अपने एक बेहतरीन कदम से ये सुनिश्चित किया कि यहां किसी की नौकरी खतरे में न पड़े.
लॉकडाउन के चलते जहां स्कूल पिछले डेढ़ साल से बंद हैं और नौकरियां खोकर लोग अपने अपने गांव जा कर बस चुके हैं. लेकिन इन सबके बीच राजस्थान के रहने वाले गोपाल हर दिन बेंगलुरु के एक स्कूल कैंपस में खाना बनाते हैं और खेती करते हैं.
नॉन टीचिंग स्टाफ को सैलरी के तौर पर मिलता है प्रॉफिट
बेंगलुरु के विश्व विद्यापीठ स्कूल कैंपस में ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की गई . हर्ब्स, सब्जियां और फल सबकी खेती इसी कैंपस में होती है. कोरोना काल में इस कैंपस को ऑर्गेनिक खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और खेती से मिलने वाले प्रॉफिट को नॉन टीचिंग स्टाफ को सैलरी के तौर पर दिया जाता है.
स्कूलों के बंद रहने से ड्राइवर, गार्डनर, आया, कुक और कई लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं. इसी स्कूल में कभी बच्चों के लिए खाना तैयार करने वाले गोपाल का कहना है कि कोरोनाकाल में यह ऑर्गेनिक खेती इनके लिए काफी फायदे मंद रही और उनके सामने गांव जाने की नौबत नहीं आई. गोपाल का कहना है कि इसी ऑर्गेनिक खेती से यहां खाना भी तैयार किया जाता है, जो बाद में कोरोना पीड़ितों में बांटा भी जाता है.
हर दिन करीब 250 कोरोना पीड़ितों को खाना बांटा जाता है
विश्व विद्यापीठ की डायरेक्टर सुशीला संतोष का कहना है कि हर दिन करीब 250 कोरोना पीड़ितों को खाना बांटा जाता है. ऑर्गेनिक खेती में कई हर्ब्स भी उगाए गए हैं, जिसे कई बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है.
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