अब कोरोना के बड़े आंकड़ों की बजाए मरीजों के प्रबंधन पर जोर
सरकारी सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान भारत ने शुरुआती रोकथाम से तैयारियों को दुरुस्त करने का कीमती समय ले लिया.

नई दिल्ली: लॉकडाउन 4.0 ने कोरोना संकट के बीच रियायतों के साथ ही जिंदगी के उस पटरी पर चलने का दरवाजा खोल दिया जहां कोविड-19 संक्रमण के स्टेशन और सामान्य जीवन की रफ्तार को साथ चलना है. करीब साठ दिन चले देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान तैयारियों को फिलहाल 30 लाख गंभीर मरीजों की संख्या को संभालने के लिहाज से मुकम्मल किया गया है. वहीं मरीजों की संख्या से ज्यादा मरीजों के क्लीनिकल प्रबंधन और गंभीर रोगियों की बेहतर देखभाल पर जोर है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान भारत ने शुरुआती रोकथाम से तैयारियों को दुरुस्त करने का कीमती समय ले लिया. साथ ही अस्पलात में ऑक्सीजन, आईसीयू और वैंटिलेटर तक पहुंचने वाले मरीजों की संख्या ने शुरुआती अनुमानों के मुकाबले चिंता की लकीरों को कुछ कम किया. सूत्र बताते हैं कि भारत में इस वक्त कुल 6.39 फीद मरीज ही ऐसे हैं जिनको ऑक्सीजन, आईसीयू की जरूरत है. यानी देश में अगर कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या 61149 है तो गहन चिकित्सा उपकरणों की जरूरत वाले 3900 मामले ही हैं.
कोविड प्रबंधन से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार देश में इस वक्त एक लाख से अधिक नियत कोविड बैड हैं. इसके अलावा वैंटिलेटर्स की संख्या 14 हजार है. ऐसें में मौजूदा आकलन के मुताबिक यदि 0.045 फीसद मरीजों को वैंटिलेटर्स की जरूरत पड़ रही है तो देश में करीब 30 लाख से अधिक मरीजों के लिए क्षमता अभी है. इसके अलावा 60848 वैंटिलेटर्स के लिए ऑर्डर पहले ही दिए जा चुके हैं.
इस बीच भारत के लिए एक राहत की बात यह है कि कोरोना संकट से लगातार तीन महीनों तक जूझने के बावजूद कोविड19 मामलों का पॉजिटिविटी रेट 4.4 ही है. यानी टेस्ट की स्ख्या एक लाख प्रतिदिन पहुंच जाने के बाद भी 4.4 प्रतिशत लोग ही पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. हालांकि 13.6 दिनों में मामलों के दोगुना होने की रफ्तार अभी भी चिंताक का सबब बनी हुई है.
बदली रणनीति के मुताबिक भारत का स्वास्थ्य तंत्र अब कोरोना मामले के आंकड़ों से ज्यादा ध्यान उनके क्लीनिकल प्रबंधन पर दे रहा है. यानी मरीजों का जल्द पता लगाने और उन्हें उपचार देने पर जोर अधिक है. वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार भारत जैसे 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में मरीजों की संख्या का ग्राफ किसी भी बड़े आंकड़े तक छू सकता है. लिहाजा जरूरी यह है कि उनके उपचार प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिया जाए. ताकि लोग जल्दी स्वस्थ हों और घर जाएं.
सरकार की तरफ से कोरोना मरीजों के अस्पताल या क्वारंटीन सेंटर से डिस्चार्ज को लेकर आई नई नीति में भी बुखार न आने और लक्षण न बढ़ने की स्थति में दस दिनों के भीतर छुट्टी देने की बात कही गई है. इसके तहत साफ किया गया है कि अस्पताल या क्वारंटीन सेंटर से लौटे व्यक्ति को बाकी के सात दिन होम क्वारंटीन के साथ बिताने होंगे. इस दौरान मरीज न तो घर से बाहर निकले और न ही अधिक मेलजोल रखे.
भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लॉकडाउन शुरु होने के वक्त जहां 600 से कम थी. वहीं 20 मई 2020 के मुताबिक कुल कोरोना संक्रमण प्रभावित लोगों की संख्या एक लाख के पार हो चुकी है. हालांकि इसमें से 42297 वो लोग भी शामिल हैं जो ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. --------
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Source: IOCL





















