इस गांव में किसी बाहरी शख्स को आने की नहीं है इजाज़त, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं
एबीपी न्यूज़ की टीम पहुंची जोशीमठ से करीब 30 किलोमीटर दूर भल्ला और सूकी गांव. इन गांव में जाने के लिए 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है. जब हम यहां पहुंचे तो हमें पता चला कि गांव के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने पर मनाही है.

एबीपी न्यूज़ लगातार आपको उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से कोरोना की ग्राउंड रिपोर्ट दिखा रहा है. हमारी इन सभी रिपोर्टस में ये साफ हो रहा है कि देव भूमि में स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं और अगर ये कहें कि सारी सुविधाएं जीरो हैं तो यह भी गलत नहीं होगा.
एबीपी न्यूज़ की टीम पहुंची जोशीमठ से करीब 30 किलोमीटर दूर भल्ला और सूकी गांव. इन गांव में जाने के लिए 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है. जब हम यहां पहुंचे तो हमें पता चला कि गांव के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने पर मनाही है. गांव के प्रधान लक्ष्मण ने हमें बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि गांव में कोई संक्रमित ना हो जाए. आपको बता दें कि फिलहाल इस गांव में किसी को भी कोरोना वायरस नहीं है. हालांकि गांव में टेस्ट किए गए हैं जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. प्रधान लक्ष्मण ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर गांव में कुछ भी नहीं है.
लक्ष्मण ने बताया कि स्वास्थ्य की बात करें तो काफी दुखद है. हमारे गांव के जो क्षेत्रीय लोग हैं उनके अंदर काफी सहानुभूति है. हिम्मत से काम करते हैं. गांव के सभी लोगों ने यह निर्णय लिया है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. अगर प्रवेश नहीं होता है तो कहीं ना कहीं गांव को बचाया जा सकता है. हमारी सीमांत वैली में एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र है, जिसमें 5 गांव हैं. स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली इतनी है कि वहां पर डॉक्टर नहीं है, कोई टीम नहीं है. सिर्फ एक एएनएम से ही काम चल रहा है. हम लोगों की जागरूकता के कारण ही हमारे गांव में टेस्ट हो चुके हैं. लेकिन सौ रेपिड टेस्ट हुए हैं, अभी तक गांव में 450 लोग और बचे हैं. हम चाहते हैं कि हफ्ते में दो बार यहां पर कैंप होना अति आवश्यक है, जिससे हर व्यक्ति की जांच पड़ताल हो सके.
गांव के प्रधान लक्ष्मण की मानें तो कोरोना लगातार पहाड़ी इलाकों में फैल रहा है. इस गांव में भी काफी लोगों के अंदर कुछ लक्षण देखे जा रहे हैं. इसी वजह से उन सभी को होम क्वारंटीन कर दिया गया है. प्रधान लक्ष्मण के मुताबिक गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर एक मेडिकल सेंटर है और उस मेडिकल सेंटर के अंदर 5 गांव आते हैं. यह दोनों गांव भी उसी मेडिकल सेंटर में आते हैं. इतना ही नहीं लक्ष्मण ने यह भी बताया कि उस मेडिकल सेंटर के अंदर भी कुछ खास सुविधाएं मौजूद नहीं है. अगर गांव के अंदर कोई ज्यादा बीमार हो जाता है तो उसे यहां से 30 किलोमीटर दूर जोशीमठ ले जाया जाता है.
वह आगे बताते हैं कि फ्लू चल रहा है. काफी तेजी से चल रहा है. हमारे जो लोग बीमार हैं, हमने उनको होम क्वारंटाइन रखा हुआ है. घबराने की कोई बात नहीं है, हम आशा करते हैं कि जल्द से जल्द यह महामारी खत्म हो जाए. हमारे गांव से 5 किलोमीटर दूर मेडिकल सेंटर हैं. 5 गांव की जो जनसंख्या है वह 15 सौ से अधिक की जनसंख्या होगी. स्वास्थ्य सुविधाएं मुझे नजर नहीं आ रही है. इनको सचेत होने की आवश्यकता थी कि गांव गांव में जाकर गांव में समस्या पूछे जाएं क्या-क्या समस्याएं हैं. यह जिम्मेदारी हमें खुद को लेनी पड़ रही है.
गांव के रहने वाले लोगों की मानें तो इनके अंदर लगातार डर बना हुआ है कि अगर कोरोना ने गांव में दस्तक दी तो क्या होगा. एक ग्रामीण ने बताया कि डर का माहौल तो बना ही हुआ है. कुछ लोग ड्यूटी पर जाते हैं आते हैं डर लगता है. किससे मिलकर आ रहे हैं जहां पर वह काम करते हैं डर का माहौल तो बना हुआ है गांव में. उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. कोरोना लगातार वहां फैलता जा रहा है, लेकिन प्रशासन सुस्त ही नज़र आ रहा है. लोगों के मन में लगातार डर बना हुआ है.
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