मुंबई: NSCI स्टेडियम में बन रहा स्पेशल ICU वार्ड, आधुनिक तकनीक से होगा इलाज
इस आधुनिक आईसीयू वार्ड में डॉक्टर और मरीज के बीच संपर्क कम से कम होगा. कैमरा, सेंसर और कंट्रोल रूम की मदद से मरीज का ध्यान रखा जाएगा.

मुंबईः मुंबई में कोरोना से बनते चुनौतीपूर्ण हालात के बीच सबसे ज्यादा मांग आईसीयू बेड की है. कई ऐसे मामले हैं जहां आईसीयू बेड ना होने और ऑक्सीजन ना होने से मरीजों की मौत हो गई. आईसीयू बेड का आंकड़ा बेहद कम है और मरीज बहुत ज्यादा है ऐसे में मुंबई के एनएससीआई स्टेडियम में आधुनिक तकनीक के आईसीयू बेड लगाए जा रहे हैं जहां डॉक्टर और मरीज के बीच संपर्क कम से कम रहेगा कैमरा, सेंसर और कंट्रोल रूम से मरीज के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाएगा.
मुंबई के हाजी अली के नजदीक एनएससीआई स्टेडियम में पिछले 3 महीने से कोरोना प्रभावित मरीजों का इलाज जारी है. अब मुंबई में आईसीयू बेड की डिमांड बढ़ने के साथ इस सेंटर पर आधुनिक तकनीक के आईसीयू बेड लगाए जा रहे हैं. यहां डॉक्टर और मरीज के बीच संपर्क न्यूनतम रहेगा. केबिन के अंदर कैमरे होंगे सेंसर होंगे और मशीनों से आउटपुट अंदर कंट्रोल रूम में जाएगा.
यह जो केबिन वाले आईसीयू बनाए गए हैं इनको आगे जरूरत पड़ने पर इनके बॉक्स को बड़ी आसानी से दूसरे शहरों में या जरूरत की जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है इनके शुरू होने के बाद मुंबई में कोरोना से राहत मिलेगी.
अस्थाई आईसीयू बेड के काम करने की तकनीक को समझने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम इन आईसीयू तक पहुंची. डॉक्टर ने बताया कि यह आधुनिक तकनीक के बेड हैं जहां मरीज अपनी जरूरत के हिसाब से उन्हें ऊपर नीचे कर सकता है.
केबिन के अंदर बेड के आसपास आधुनिकतम तकनीक की मशीनें लगी है जो मरीज की रीडिंग लेंगी और रीडिंग स्कोर अंदर कंट्रोल रूम तक पहुंचाएंगी. केबिन के अंदर कैमरा है जो मरीज के गतिविधियों पर नजर रखेगा अगर जरूरत पड़ने पर कोई मेडिकल स्टाफ केबिन में आता भी है तो उसके लिए अलग दरवाजा है. उसमें जब वह प्रवेश करेंगे तो केवल एक गेट खुलेगा पहले मशीन के जरिए उस व्यक्ति को एयर फ्लो बनाकर सैनिटाइज किया जाएगा. उसके बाद ही वह केबिन में प्रवेश कर पाएगा. अंदर साफ-सफाई का भी इंतजाम है कोशिश पूरी यही है कि मरीज और डॉक्टर के बीच संपर्क न्यूनतम रहे.
कोरोना से बिगड़ते हालात के बीच मरीजों को ऑक्सीजन की भी जरूरत पड़ रही है. ऑक्सीजन की आम दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा जरूरत है. ऐसे में बीएमसी की तरफ से मुहिम चलाई है की जिन जगहों पर मरीजों का इलाज चल रहा है बीएमसी वहां पर ऑक्सीजन के बड़े-बड़े सिलेंडर लगा रही है. ऐसा ही एक सिलेंडर एनएससीआई के रूम में भी लगा है जिसमें 13 लाख लीटर लिक्विड ऑक्सीजन है जिसे कनवर्टर से बदलकर गैस की अवस्था में लाकर मरीजों तक इलाज के लिए पहुंचाया जाएगा.
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