(Source: ECI / CVoter)
Mohammad Zubair Gets Bail: मोहम्मद ज़ुबैर को बड़ी राहत, SC ने यूपी में दर्ज केस दिल्ली ट्रांसफर किए, शाम 6 बजे तक रिहाई के आदेश
मोहम्मद जुबैर को राहत देते हुए उनके ऊपर दर्ज केस को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर किया गया है. इसके साथ ही उनके ट्वीट्स को लेकर दर्ज की गई FIR में नई गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है.
Mohammad Zubair Gets Bail: सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में कई एफआईआर का सामना कर रहे मोहम्मद ज़ुबैर को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने ज़ुबैर को यूपी में दर्ज सभी एफआईआर में अंतरिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने यूपी के सभी केस दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिए हैं. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और ए एस बोपन्ना की बेंच ने यह भी कहा कि ज़ुबैर के पिछले ट्वीट्स को लेकर दर्ज किसी नई एफआईआर में उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी.
वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक ज़ुबैर को गाज़ियाबाद, मुजफ्फरनगर, हाथरस, सीतापुर, लखीमपुर और चंदौली में दर्ज मामलों में राहत मिली है. कोर्ट ने 20 हज़ार के निजी मुचलके पर ज़मानत का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेल बांड दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में भरा जाए. दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद ज़ुबैर को आज ही शाम 6 बजे से पहले रिहा कर दिया जाए.
बहस के दौरान क्या बोली यूपी सरकार की वकील?
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने एफआईआर रद्द करने की ज़ुबैर की मांग का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, "ज़ुबैर पत्रकार नहीं है. खुद को फैक्ट चेकर बताता है. जान-बूझकर नफरत फैलाने वाली सामग्री ट्वीट करता है. उसे ज़हरीले ट्वीट के लिए पैसे मिलते थे. उसने खुद माना है कि 2 करोड़ रुपए तक मिले हैं. उसने गाज़ियाबाद के लोनी में आपसी विवाद में बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया. सीतापुर में बजरंग मुनि पर पुलिस कार्रवाई के बावजूद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया."
अदालत ने दिया क्या आदेश?
सुनवाई के अंत में जजों ने कहा कि एक मामले में 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से ज़ुबैर बेल मिली. एक और मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिली. फिर भी वह कई मामलों के चलते जेल में है. अंतहीन समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता. दिल्ली में दर्ज केस यूपी में दर्ज मामलों से मिलता-जुलता है. यूपी के मामलों को भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में ट्रांसफर किया है रहा है. हम अपनी तरफ से किसी एफआईआर को रद्द नहीं कर रहे. याचिकाकर्ता चाहे तो दिल्ली हाई कोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका दाखिल कर सकता है.