(Source: ECI / CVoter)
'चाहे काशी हो या मथुरा...', ईदगाह सर्वे मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने जिस समझौते का किया जिक्र वो क्या है?
Krishna Janmabhoomi Case: असदुद्दीन ओवैसी ने मथुरा के ईदगाह सर्वे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक कॉपी शेयर की है. उनके मुताबिक, कॉपी श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह मस्जिद के जुड़े एक समझौते की है.
Asaduddin Owaisi On Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण कराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार (14 दिसंबर) को एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति करने की अनुमति दे दी. इस पर एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई है. ओवैसी ने एक समझौते का जिक्र करते हुए अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी है.
ओवैसी ने अपनी पोस्ट में लिखा, ''मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझाया गया था. एक नया गुट इन विवादों को उछाल रहा है.'' उन्होंने लिखा, ''चाहे काशी हो या मथुरा या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, यह एक ही समूह है. कोई भी उस समझौते को यहां पढ़ सकता है, जिसे अदालत के सामने तय किया गया था.''
ओवैसी ने कुछ तस्वीरें शेयर की हैं, जिनके मुताबिक, यह श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर यह 12 अक्टूबर 1968 को किया गया समझौते का ट्रांसलेशन है, जिसे मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह ट्रस्ट के बीच किया गया था.
ओवैसी की ओर से शेयर किए गए समझौते में क्या लिखा है?
इसमें लिखा है कि मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ की ओर से अधिकृत उत्तर प्रदेश के मंत्री देवधर शास्त्री पहली पार्टी, जबकि मथुरा की ईदगाह ट्रस्ट की शाही मस्जिद के प्रतिनिधि वकील शाह मीर मलीह और अब्दुल गफ्फार दूसरी पार्टी हैं.
इसमें लिखा है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और तथाकथित घोसी किरायेदारों और दूसरे पक्ष के लाइसेंसीधारियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने के लिए हम हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के सदस्यों के सुझाव के तहत हमारे द्विपक्षीय विवादों को सुलझाने और एक-दूसरे के खिलाफ मामलों से बचने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं.
इसमें लिखा है, ''चूंकि निम्नलिखित समझौते को इसके पूर्ण कार्यान्वयन में कुछ समय लगेगा इसलिए हम एक लिखित इकरारनामा पंजीकृत करवा रहे हैं. इसलिए, हम संबंधित दोनों पक्षों के प्रतिनिधि, स्वतंत्र रूप से और पूर्ण निर्णय के साथ-साथ दोनों पक्षों की सर्वसम्मति से, यानी श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट, इकरारनामा पंजीकृत करा रहे हैं. अब से हमें निम्नलिखित समझौते का पालन करना होगा और समझौते को लागू करना हमारा कर्तव्य होगा.''
1. Allahabad HC has allowed the survey of Mathura’s Shahi Idgah masjid. After Babri Masjid judgement, I’d said that it’ll embolden Sangh Parivar’s mischiefs. This is despite Places of Worship Act prohibiting such litigation.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 14, 2023
2. The Mathura dispute was settled decades ago by… pic.twitter.com/RGgkYcUDXq
क्या है इकरारनामा?
असदुद्दीन औवैसी की ओर से शेयर की गई कॉपी में इकरारनामा के दस बिंदु लिखे हैं.
1. ईदगाह की कच्ची कुर्सी की उत्तरी और दक्षिणी दीवारों को पूर्वी हिस्से की ओर रेलवे भूमि तक बढ़ाया जाएगा, जिसका खर्च मस्जिद ट्रस्ट की ओर से उठाया जाएगा.
2. उत्तरी और दक्षिणी दीवारों के बाहर मुस्लिम घोसियों के कब्जे वाले क्षेत्र को ट्रस्ट की ओर से खाली कराया जाएगा और जन्मस्थान सेवा संघ को सौंप दिया जाएगा. इसके बाद, ट्रस्ट या घोसी भूमि के उस हिस्से पर दावा करने के हकदार नहीं होंगे. इसी तरह उत्तरी और दक्षिणी दीवारों के अंदर जमीन का हिस्सा ट्रस्ट की संपत्ति होगी। इसलिए सेवा संघ की ओर से इस भूमि पर कोई दावा नहीं किया जाएगा.
3. ईदगाह कच्ची कुर्सी के पश्चिमी उत्तरी कोने में भूमि के एक हिस्से पर सेवा संघ का कब्जा है, जैसा कि एबीसीडी वाले नक्शे में दिखाया गया है, ट्रस्ट कच्ची कुर्सी का अधिग्रहण करेगा और यह ट्रस्ट की संपत्ति बन जाएगी.
4. दक्षिणी तरफ की सीढ़ियों का विवादास्पद मलबा, जिसके लिए अदालत में मामले दायर हैं, ट्रस्ट की ओर से 15 अक्टूबर 1968 तक हटा दिया जाएगा. उसके बाद यह हिस्सा सेवा संघ की संपत्ति होगी.
5. ट्रस्ट के साथ समझौते के तहत उत्तरी दक्षिणी दीवारों के बाहर मुस्लिम घोसियों की ओर से बनाए गए घरों को ट्रस्ट की ओर से खाली कराया जाएगा और सेवा संघ को सौंप दिया जाएगा, निकासी पूरी होने के बाद ही ट्रस्ट दीवारों का निर्माण कराने का हकदार होगा. इसके अलावा ट्रस्ट सेवा संघ की ओर प्रस्तावित दीवार में कोई दरवाजे, खिड़कियां, पिंजरा आदि नहीं खोलेगा और न ही कोई पानी का आउटलेट (नालियां) खोलेगा. सेवा संघ ईदगाह के विरुद्ध ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा.
6. जनस्थान के पश्चिम की ओर जाने वाले ईदगाह के आउटलेट (परनाला) को हटा दिया जाएगा और पाइपिंग द्वारा ईदगाह की ओर मोड़ दिया जाएगा. इसका खर्च सेवा संघ वहन करेगा। पाइप बिछाने के दौरान जन्मस्थान का एक प्रतिनिधि मौजूद रहेगा.
7. ईदगाह उत्तरी और दक्षिणी दीवार के सामने रेलवे की जमीन का हिस्सा जिसे जन्मस्थान सेवा संघ द्वारा अधिग्रहित किया जाना है, जमीन अधिग्रहण के बाद जनस्थान सेवा संघ उस हिस्से को ट्रस्ट को हस्तांतरित कर देगा जो ईदगाह की उत्तरी और दक्षिणी दीवारों के अंदर आता है.
8. कच्ची कुर्सी के सामने पूर्वी दिशा की ओर भूमि का भाग (ईएफजीएचआईजेकेएल वाले नक्शे में दिखाया गया है) और पश्चिम उत्तरी कोने में (एबीसीडी वाले नक्शे में दिखाया गया है) जो सेवा संघ की ओर से ट्रस्ट के पक्ष में छोड़ा गया है, उसे नक्शे में तिरछी रेखा में दिखाया गया है.
9. उपरोक्त समझौते के अनुसार एक-दूसरे पर दर्ज मुकदमे वापस लिये जाएंगे.
10. अगर कोई भी पक्ष समझौते से हटता है तो दोनों पक्षों को समझौते को लागू कराने के लिए अदालत में अपील करने का अधिकार होगा. इसलिए दोनों पक्षों की सहमति से यह समझौता लिखित रूप से हुआ.
लिखे जाने की तारीख 12 अक्टूबर 1968