Manipur Violence: UN एक्सपर्ट्स ने मणिपुर पर किए भ्रामक दावे, भारत ने आरोपों को नकारा, कहा- अनुचित और अटकलों पर आधारित
Manipur Unrest: मणिपुर में इसी साल 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी, जिसकी चपेट में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 50000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
Manipur Violence: भारत ने मणिपुर पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की टिप्पणियों को खारिज करते हुए उन्हें अनुचित, अटकलों पर आधारित और भ्रामक बताया है. भारत ने कहा है कि पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सोमवार (4 सितंबर) को मणिपुर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की खबरों को लेकर चिंता जताई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की विशेष प्रक्रिया शाखा ने सोमवार को जारी नोट में कहा, 'भारत सरकार शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अपेक्षित कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार भारत के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है, जिनमें मणिपुर के लोग शामिल हैं.'
'अनुचित और अटकलों पर आधारित'
भारत की ओर से कहा गया है, भारत का स्थायी मिशन समाचार विज्ञापन को पूरी तरह से खारिज करता है. यह न केवल अनुचित, अटकलों पर और भ्रामक है, बल्कि मणिपुर की स्थिति और सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर समझ की पूरी कमी को भी दर्शाता है.
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी मिशन ने एसपीएमएच की तरफ से जारी समाचार विज्ञापन को खारिज करते हुए निराशा और आश्चर्य व्यक्त किया. भारतीय मिशन ने कहा, एसपीएमएच ने 29 अगस्त 2023 को इसी विषय पर संचार किया था, लेकिन भारत सरकार से जवाब की 60 दिनों की अवधि की प्रतीक्षा किए बिना प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी.
एसपीएमएच को दी नसीहत
भारतीय मिशन ने कहा कि उम्मीद है एसपीएमएच आगे ऐसा नहीं करेगा और उन घटनाक्रमों पर टिप्पणी करने से परहेज करेगा, जिनकी परिषद द्वारा उन्हें दिए गए जनादेश से कोई प्रासंगिकता नहीं है. विज्ञापन जारी करने पहले भारत सरकार से मांगे गए इनपुट की प्रतीक्षा करें.
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने क्या कहा था?
भारत को लेकर सोमवार को जारी अपनी विज्ञप्ति में संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा था कि मणिपुर में महिलाओं एवं लड़कियों को निशाना बनाकर हुई लिंग आधारित हिंसा की खबरों और तस्वीरों से वे 'स्तब्ध' हैं. इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार से हिंसा की घटनाओं की जांच करने और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए समय से कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
विशेषज्ञों ने एक बयान में कहा, 'जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और दमन को वैध बनाने के लिए आतंकवाद-रोधी कदमों के कथित दुरुपयोग से हम और चिंतित हैं.' विशेषज्ञों ने दावा किया मणिपुर की हाल की घटनाएं भारत में धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यकों की लगातार बिगड़ती स्थिति की दिशा में एक और दुखद मील का पत्थर है.
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