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Makar Sankranti 2019: मकर संक्रांति में क्यों बनाते हैं खिचड़ी ? क्या है इसका इतिहास
संस्कृत के शब्द खिच्चा का मतलब है चावल और दाल से बना व्यंजन. इसी शब्द से खिचड़ी शब्द का बना है.
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नई दिल्ली: मकर संक्रांति के त्यौहार में खिचड़ी का महत्व बेहद खास है. इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर सूर्य देवता को प्रसाद स्वरूप अर्पित करते हैं. कभी आपने सोचा है कि इस दिन खिचड़ी ही क्यों बनाया जाता हगै. आखिर इस खिचड़ी का क्या महत्व है. इसका इतिहास क्या है.
मरक संक्रांति में खिचड़ी क्यों बनाते हैं इसका ऐतिहासिक और प्राकृतिक दोनों कारण है. एक मिथकीय कथा के अनुसार खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को अपने लिए भोजन बनाने का समय नहीं मिल रहा था. इस वजह से वह कमजोर होते जा रहे थे. इसके बाद बाबा गोरखनाथ ने सारी सब्ज़ियों को दाल, चावल और मसालों के साथ पकाया और इस तरह खिचड़ी बनी. इस तरह सभी सब्जिओं से बनी खिचड़ी काफी पोष्टिक थी. झटपट बनने वाली खिचड़ी से नाथयोगियों की भोजन की समस्या का समाधान हो गया और खिलजी के आतंक को दूर करने में वह सफल रहे. खिलजी से मुक्ति मिलने के कारण गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
इसके अलावा एक कारण प्राकृतिक भी है.दरअसल मकर संक्रांति के कुछ दिन बात बसंत का आगमन होता है. बसंत ऋतु का रंग पीला होता है और खिचड़ी का भी रंग पीला होता.
संस्कृत के शब्द खिच्चा से बनी खिचड़ी संस्कृत के शब्द खिच्चा का मतलब है चावल और दाल से बना व्यंजन. इसी शब्द से खिचड़ी शब्द का उद्गम हुआ. हालांकि विभिन्न भाषाओं में इसे अलग-अलग तरह से बोला और लिखा जाता है. उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर में मोंग खेचिर, राजस्थान और हरियाणा में बाजरा खिचड़ी और वहीं उत्तर व मध्य भारत में तूर दाल, मूंग दाल और उड़द की दाल वाली खिचड़ी प्रचलित है. साबू दाने की खिचड़ी भी यहां प्रसिद्ध है.
इतिहास में खिचड़ी
खिचड़ी का अपना एक इतिहास है. केटी आचाया की 'डिक्शनरी ऑफ़ इंडियन फ़ूड' के मुताबिक इब्न बतूता, अब्दुर्र रज़्ज़ाक और फ्रांसिस्को प्लेज़ार्ट ने खिचड़ी के बारे में लिखा है. कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आए इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृत्तांत में लिखा कि भारत में मूंग दाल को चावलों के साथ पकाकर खाया जाता है. इसे वहां किशरी कहा जाता है, जो उनका हर सुबह का नाश्ता है. इसके बाद भी आगे कई शताब्दियों तक खिचड़ी के बारे में जिकर मिलती है. 16वीं सदी में लिखी गई आइने-अकबरी में खिचड़ी की सात विधियां लिखी गई हैं. बीरबल की खिचड़ी का किस्सा भी काफी प्रसिद्ध है. इसके अलावा अंग्रेजों के जमाने में भी खिचड़ी का महत्व रहा. उन्होंने अंडे और मछली मिलाकर केडगेरी नाम का नाश्ता बना डाला. इसके अलावा मिस्र में कुशारी पकाया जाता है जो खिचड़ी से मिलता है.
खिचड़ी के चार यार
खिचड़ी का स्वाद वैसे तो बेहद खास होता है, लेकिन जब इसे इसके चार यारों के साथ मिलाकर खाया जाए तो स्वाद दोगुना नहीं बल्कि चौगुना हो जाता है. खिचड़ी के चार यार हैं- दही, पापड़, घी और अचार
सेहत के लिए भी खास है खिचड़ी
खिचड़ी सबसे आसानी से बनने वाला पौष्टिक और सुपाच्य भोजन है. सेहत के लिए यह भोजन बेहद खास है. चावल और दाल का सही संतुलन होने के कारण इसमें सही मात्र में प्रोटीन और काबरेहाइड्रेट होते हैं. दही या छाछ के साथ खाने पर यह संपूर्ण आहार बन जाती है.
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