बाबरी विध्वंस के समय गृह सचिव रहे गोडबोले ने कहा- राजीव गांधी चाहते तो निकल जाता समाधान
बाबरी विध्वंस के समय माधव गोडबोले केंद्रीय गृह सचिव थे. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी चाहते तो समाधान निकल सकता था. गोडबोले के इस बयान का एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने समर्थन किया है.

पुणे: अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नजदीक है. ऐसे में 1992 में बाबरी विध्वंस के समय केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने कहा है कि राजीव गांधी चाहते तो समाधान निकल सकता था. गोडबोले ने कहा कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते अयोध्या में मंदिर की नींव रखी गई, इसीलिए मैंने उन्हें दूसरा कारसेवक कहा.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आड़े हाथ लेते हुए माधव गोडबोले ने कहा, ''अगर राजीव गांधी ने सक्रियता दिखाई होती तो समाधान निकाला जा सकता था क्योंकि तब तक राजनीतिक किलेबंदियां नहीं हुई थीं. उस समय लेन-देन की संभावना थी और समाधान स्वीकार्य हो सकता था.''
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद के ताले खुलवा दिए. उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते हुए मंदिर की नींव रखी गई इसीलिए मैंने उन्हें इस आंदोलन का दूसरा कारसेवक कहा था. पहला कारसेवक उस समय अयोध्या का जिलाधिकारी था, जिसने यह सब होने दिया.
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उस समय की सुरक्षा स्थितियों का जिक्र करते हुए गोडबोलने कहा, 'हमने अनुच्छेद 355 लागू करने का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत उत्तर प्रदेश में केंद्रीय सुरक्षा बलों को मस्जिद की रक्षा के लिए भेजा जाता और फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता. हमने एक बेहद प्रासंगिक प्लान बनाया था क्योंकि राज्य सरकार सहयोग नहीं करने वाली थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को शंका थी कि उन्हें ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने का संवैधानिक अधिकार है या नहीं.' एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने पूर्व केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले की बात का समर्थन किया और राजीव गांधी को घेरा है.
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