बूचड़खानों के बहाने योगी आदित्यनाथ को मुसलमानों का दुश्मन बताने वाले मैसेज की सच्चाई!

नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ के यूपी की सत्ता संभालते ही बूचड़खानों पर बैन का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. योगी सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर पाबंदी लगाई. इससे इतर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक मैसेज दावा कर रहा है कि योगी सरकार ने अब ऐसी गाइडलाइन जारी की है जिसके बाद मुसलमान बूचड़खाने चला ही नहीं पाएंगे. कुछ ऐसे ही दावों के साथ मैसेज धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है.
बड़ी खबर के नाम से वायरल हो रहे मैसेज में लिखा है
मीट का कारोबार करने वालों के लिए नई गाइडलाइंस, हाल ही में सीएम योगी ने राज्य में अवैध कत्लखाने बंद करने के आदेश जारी किये थे. अब जो नई गाइडलाइन जारी की गई हैं उनसे तो मीट का कारोबार करने वालों के हाथ-पैर ही ढीले हो गए हैं.
दावे के मुताबिक ये हैं वो 17 नए दिशा निर्देश
- जानवरों या पक्षियों को दुकान के अंदर नहीं काट सकते, बल्कि केवल कत्लखानों में ही कटवाया जा सकता है
- कटवाने के बाद मीट को इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही कत्लखानों से दुकान तक ले जाया जाए.
- बीमार या प्रेगनेंट जानवरों को नहीं काटा जा सकता.
- किसी पशु डॉक्टर से मीट की क्वॉलिटी को प्रमाणित कराना होगा.
- मीट की दुकानों पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को सरकारी डॉक्टर से अनिवार्य रूप से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा.
- मीट की दुकानें धार्मिक स्थलों से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर और धार्मिक स्थलों के मुख्य द्वार से कम से कम 100 मीटर की दूर पर हों.
- मीट की दुकानें सब्जी की दुकानों के पास भी ना हों ताकि शाकाहारी लोगों को दिक्कत ना हो.
- मीट की दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के ग्लास लगे हों ताकि जनता को नजर न आए
- कटे हुए मीट को खुले में नहीं बल्कि फ्रिज में रखा जाए. जिस फ्रिज में रखा जाए उसके दरवाजे पारदर्शी होने चाहिए.
- मीट की दुकानों में इस्तेमाल होने वाले चाकू और अन्य धारदार हथियार स्टील के बने होने चाहिए.
- हर मीट की दुकान पर गीजर भी जरूर होना चाहिए.
- स्वच्छता बनाये रखने के लिए मीट की दुकानों में हर 6 महीने में सफेदी भी करानी होगी.
- मीट दुकानदार कूड़े को यहां-वहां नहीं फेक सकते क्योंकि इससे गंदगी और इन्फेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है इसलिए मीट की
- दुकानों में कूड़े के निपटारे के लिए भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. कत्लखानों से खरीदे जाने वाले मीट का पूरा हिसाब-किताब भी रखना होगा.
- शहरी इलाकों में मीट बेचने का लाइसेंस लेने के लिए आवेदकों को पहले सर्किल ऑफिसर और नगर निगम की इजाजत लेनी होगी.
- उसके बाद फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) भी लेना होगी.
- ग्रामीण इलाकों में बेचने का लाइसेंस लेने के लिए आवेदकों को ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए से एनओसी लेनी होगी फ़ूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा.
दावा है कि योगी सरकार ने ये नई गाइडलाइन जारी की है और इन गाइडलाइन्स के मुताबिक मुसलमान बूचड़खाने चला ही नहीं पाएंगे. सच क्या है ये जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने वायरल मैसेज की पड़ताल शुरू की. हमने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से संपर्क किया और ये जानने की कोशिश की क्या बूचड़खानों को लेकर कोई नई गाइडलाइन जारी की गई है?
यूपी में बूचड़खानों पर बैन इतना बड़ा मुद्दा क्यों है?
भारत पूरे विश्व में भैंस के मांस का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और देश में यूपी सबसे आगे है. भैंस के मांस के कुल निर्यात का बीस फीसदी अकेले यूपी से जाता है. उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यूपी ने साल 2014-15 में 7,515.14 लाख किलो भैस का मीट, 1171.65 लाख किलो बकरे का मीट, 230.99 लाख किलो भेड़ का मांस और 1410.32 लाख किलो सुअर के मांस का उत्पादन किया था यानि सबसे ज्यादा भैंस के मीट का उत्पादन है.
आंकड़े बताते हैं कि यूपी में 52.2 फीसदी मतलब 10 करोड़ से ज्यादा लोग मांसाहारी हैं. सरकार कहती है कि 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 44 लाइसेंसी बूचड़खाने हैं जिनमें से 26 अस्थायी रूप से बंद हो गए हैं क्योंकि वो बुनियादी दिशा-निर्देश और नियम नहीं मान रहे थे. हालांकि सरकार के पास बूचड़खानों को कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.
अवैध बूचड़ खानों को लेकर बुनियादी दिशा-निर्देश क्या हैं ? बुनियादी दिशा-निर्देशों को लेकर हमने इंटरनेट पर पड़ताल की. यहां फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दिशानिर्देश मिले. ये वही दिशानिर्देश हैं जिनका दावा वायरल मैसेज में किया गया था.
दरअसल बूचड़खानों पर ये दिशानिर्देश यूपी में योगी की सरकार बनने से पहले से मौजूद हैं. योगी सरकार ने कोई नए दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं. क्योंकि बूचड़खानों पर दिशानिर्देश बताने वाली फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ये रिपोर्ट साल 2010 की है.
एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया है वायरल मैसेज में जो 17 दिशा निर्देश बताए जा रहे हैं वो नए नहीं बल्कि योगी सरकार के आने से पहले से मौजूद हैं. योगी सरकार ने बूचड़खानों पर कोई नए दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं. इसलिए पहले से मौजूद दिशानिर्देशों को योगी सरकार के नए फैसले के तौर पर पेश करने वाला दावा झूठा साबित हुआ है.
वायरल मैसेज पर उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या कहा? पड़ताल के बीच हमारा संपर्क यूपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह से हुआ. उन्होंने बताया, ''अभी सिर्फ बात चल रही है कोई नई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है सोशल मीडिया पर जो चलता है उसे ना माने.'' यूपी सरकार ने तो नए दिशानिर्देश की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया.
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Source: IOCL






















