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G-20 सम्मेलन: विश्व नेताओं की इन 5 मुलाकातों पर है दुनिया की नज़र

अधिकतर हाई प्रोफाइल मुलाकातों के केंद्र में अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप है. ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण जहां चीन और अमेरिका के बीच कारोबारी युद्ध के हालात बने हुए हैं तो वहीं खाड़ी इलाके में ईरानी और अमेरिकी फौजों के बीच सैन्य तनाव बढ़ा हुआ है.

ओसाका: जापान के ओसाका शहर में चल रहा जी-20 शिखर सम्मेलन इस बार काफी चर्चा में है. इसकी बड़ी वजह इस बैठक से ज़्यादा इसके हाशिए पर होने वाली विश्व के बड़े नेताओं की आपसी मुलाकातें हैं. ओसाका में पांच ऐसी बड़ी मुलाकातें होनी हैं, जिनपर दुनिया की नजरें हैं. हालांकि इन पांच मुलाकातों में से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की दिपक्षीय मुलाकात आज सुबह हो चुकी है.

दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच उभरे कारोबारी तनाव का मुद्दा हो या फिर खाड़ी इलाके बने टकराव के हालात की चिंता, विश्व नेताओं के आमने-सामने आने से समाधान का रास्ता निकलने की उम्मीद की जा रही है. सुर्खियों का सबब बन रही अधिकतर हाई प्रोफाइल मुलाकातों के केंद्र में अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप है. ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण जहां चीन और अमेरिका के बीच कारोबारी युद्ध के हालात बने हुए हैं तो वहीं खाड़ी इलाके में ईरानी और अमेरिकी फौजों के बीच सैन्य तनाव बढ़ा हुआ है.

1-ट्रंप-जिनपिंग मुलाकात

अमेरिक और चीन एक दूसरे के खिलाफ कारोबारी युद्ध छेड़े हुए हैं. दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच छिड़ी लड़ाई का असर ये है कि 2019 के लिए वैश्विक आर्थिक विकास दर का अनुमान 3.7 से घटाकर 3.5 कर दिया गया है. यह और घट जाए तो भी अचरज नहीं होगा. इतना ही नहीं अमेरिका और चीन के कारोबारी झगड़े इसके कारण दुनिया की औद्योगिक उत्पादकता, कई बाजारों और निवेशकों का गणित गड़बड़ा दिया है.

अमेरिका धमकी दे चुका है कि चीन ने उसकी न मानी तो वो 300 अरब डॉलर के शुल्क लगा देगा जो लगभग हर उस उत्पाद को जद में ले लेंगे, जिसका चीन उत्पादन करता है. हालांकि चीन इस धमकी को सिरे से खारिज कर चुका है.

एक-दूसरे पर करों की नालिश करने के बाद ओसाका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग लंबे वक्त बाद 29 जून को रूबरू होंगे. दोनों नेता करीब 7 महीने बाद मिल रहे हैं. इससे पहले अर्जेंटीना के ब्यूनोस आयर्स में हुई दोनों नेताओं की मुलाकात में 90 दिनों के कारोबारी युद्ध विराम का फैसला किया गया था. उम्मीद की जा रही हैं कि ओसाका की ताजा मुलाकात राहत का कोई गलियारा निकाल सकेगी. हालांकि इस राहत के फिलहाल फौरी होने के ही आसार ज़्यादा हैं.

2-ट्रंप-पुतिन मुलाकात

सत्ता संभालने के बाद से बीते तीन सालों में घरेलू मोर्चे पर रूसी मदद से चुनाव जीतने को लेकर घिरते रहे राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इन आरोपों के दाग धोने में जुटे हैं. ट्रंप को राष्ट्रपति बनाने वाले चुनाव में रूसी दखल और असर की जांच करने वाले रॉबर्ट मूलर आयोग की रिपोर्ट के आने का बाद पुतिन और ट्रंप की मुलाकात होगी. म्युलर रिपोर्ट ने रूसी दखल की पुष्टि की गई.

ट्रंप और पुतिन की मुलाकात दोनों देशों ईरान और मध्यपूर्व एशिया में जारी तनाव के बीच भी खासी अहम. साथ ही अमेरिका के CAATSA कानून समेत रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच भी यह मुलाकात महत्वपूर्ण है, जिसके कारण रूसी सैन्य उत्पादों के निर्यात की मुश्किलें बढ़ी हैं.

मोदी और ट्रंप की मुलाकात

हालिया लोकसभा चुनाव में जीत और दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी और डोनल्ड ट्रंप आज आमने सामने आए. इस मुलाकात में मोदी और ट्रंप के बीच अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारत के हाई टैरिफ समेत ईरान, 5-जी, दिपक्षीय संबंध और रक्षा संबंधों पर चर्चा हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद डोनल्ड ट्रंप की बधाई का धन्यवाद दिया. मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध आगे बढ़ते रहें, इसके लिए हम प्रयास करते रहेंगे. मोदी और ट्रंप के बीच करीब एक घंटे तक मुलाकात हुई.

मुलाकात में डोनल्ड ट्रंप ने भारत की तरफ से अमेरिका के प्रोडक्टस पर बढ़ाए गए टैरिफ का मुद्दा छेड़ा. ट्रंप ने कहा कि भारत हमारे प्रोडक्ट्स पर बढ़ाए गए टैरिफ वापस ले. इससे पहले कल ट्रंप ने ट्वीट करके लिखा था, ‘’मैं इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं कि भारत कई साल से अमेरिका से बहुत अधिक शुल्क ले रहा है और हाल ही में उसने टैरिफ में और अधिक इजाफा किया है. इसे मंजूर नहीं किया जा सकता और टैरिफ को वापस लेना होगा.’’

रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक

भारत-रूस और चीन के नेता यूं तो महज दो हफ्ते पहले बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में साथ थे. जहां उनकी द्विपक्षीय मुलाकातें भी हुई. मगर पीएम मोदी की पहल पर एक बार फिर तीनों नेता ओसाका में साथ होंगे. इस त्रिपक्षीय मुलाकात के सांकेतिक मायने अहम हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से बढ़ती असहजता का बीच अनेक मुल्क अपने विकल्पों को संतुलित रखने में जुटे हैं.

ऐसे में भारत भी रिश्तों में खेमों के संतुलन का संदेश देना चाहता है. भारत अमेरिका के संग अपनी रणनीतिक साझेदारी के साथ ही रूस जैसी पुराने सहयोगी और चीन जैसे पड़ोसी से रिश्तों को साधने की प्राथमिकताएं भी स्पष्ट कर देना चाहता है. रूस से S400 मिसाइल सिस्टम की खरीद पर अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर भारत ने रणनीतिक संतुलन की अपनी कवायद को स्पष्ट भी कर दिया. अमेरिका से चल रहे कारोबारी युद्ध के विरुद्ध जहां चीन भारत से सहयोग की अपेक्षा करता है. वहीं रूस के लिए भी भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था का साथ काफी महत्वपूर्ण है.

ट्रंप-मर्केल मुलाकात

यूरोप और अमेरिका के रिश्तों में बीते कुछ सालों के दौरान खिंचाव बढ़ा है. यूरोप का सबसे बड़ा मुल्क और बड़ी अर्थव्यवस्था होने का कारण इस तनाव का दबाव जर्मनी और अमेरिका के रिश्तों पर भी नज़र आता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड इस बात का दबाव बनाए हुए है कि यूरोप नाटो के लिए हो रहे खर्च में हिस्सेदारी बढ़ाए. वहीं जर्मनी रूस से हो रही गैस खरीद को भी कम करे. साथ ही अमेरिकी उत्पादों पर यूरोपीय बाजार में लगाई जा रही कर बाधाओं को भी खत्म किया जाए. ज़ाहिर है इस तरह के कदम पहले से खस्ताहाल यूरोपीय अर्थव्यवस्था की कमज़ोरी बढ़ा सकते हैं और इनका असर दुनिया के अन्य मुल्कों को भी उठाना पड़ सकता है.

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