करतारपुर साहिब कॉरिडोरः हर सवाल का जवाब जो आपके मन में है
गुरुनानक देव जी की 550वीं पुण्यतिथि पर पाकिस्तान ने इस कॉरीडोर को खोलने का फैसला किया है. हालांकि, अभी इस पर भारत सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

नई दिल्लीः नवजोत सिंह सिद्धू जब से पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह से वापस आए हैं तब से ही उन्हें चारों ओर आलोचना झेलनी पड़ रही है. लेकिन जब पाकिस्तान जाकर वो जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले तो और विवाद बढ़ गया. वैसे तो भारत-पाकिस्तान के बीच हमेशा तनाव का माहौल बना रहता है, लेकिन सिद्धू की इस 'हग डिप्लोमेसी' से एक अच्छी खबर भी आई है.
खबर आई है कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब कॉरीडोर भारत के लिए खोलने के लिए तैयार हो गए हैं. गुरुनानक देव जी की 550वीं पुण्यतिथि पर पाकिस्तान ने इस कॉरीडोर को खोलने का फैसला किया है. हालांकि इस बारे में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने भी कहा है कि अभी उन्हें करतारपुर कॉरिडोर के खोलने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. अभी इस पर भारत सरकार की कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आई है.
क्यों महत्वपूर्ण है करतारपुर साहिब कॉरीडोर ?
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिखों का बहुत बड़ा धार्मिक तीर्थ स्थल है. गुरुनानक देव ने अपने जीवन के आखिरी 15 साल यहीं बिताए थे और 1539 में आखिरी सांस यहीं ली. गुरुनानाक देव ने करतारपुर में सिख धर्म की स्थापना की थी. करतारपुर कॉरीडोर खुलने का मतलब है कि भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में दर्शन के लिए जा सकेंगे. इसके लिए वीजा की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. भारत और पाकिस्तान के करतारपुर के बीच महज तीन किलोमीटर की दूरी है, इस दूरी को पार करने के लिए सिख श्रद्धालुओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी.
1974 के समझौते में नहीं है करतार साहिब
भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक स्थानों पर तीर्थयात्राओं को सहूलियत देने का एक समझौता सितंबर 1974 में हुआ था. इसके तहत दोनों देश अपने यहां मौजूद निर्धारित तीर्थस्थलों पर यात्राओं के लिए वीजा देते हैं. इस प्रोटोकॉल के तहत हर साल दोनों ओर से 20 जत्थों या समूहों को इजाजत दी जाती है.
भारत-पाक के बीच हुए इस समझौते में ये तीर्थस्थल शामिल हैं:
भारत में...
हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर
हजरत निजामुद्दीन औलिया, दिल्ली
हजरत अमीर खुसरो, दिल्ली
हजरत मुजादिद अल्फ सनी, सिरहिंद शरीफ
हजरत ख्वाजा अलाउद्दीन अली अहमद सबीर, कलयार शरीफ
पाकिस्तान में...
शाहदानी दरबार, हयात पिताफी, मीरपुर मथेलो, सिंध
कटासराज धाम, लाहौर
गुरुद्वारा ननकारान साहिब, रावलपिंडी,
गुरुद्वारा पंजा साहिब, रावलपिंडी,
गुरुद्वारा डेरा साहिब, लाहौर
इस फेहरिस्त में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा नहीं है. गुरुनानक देव से जुड़े इस गुरुद्वारे को 1974 के प्रोटोकॉल में जगह देने की मांग उठती रही है. पंजाब सरकार इस बारे में विदेश मंत्रालय को पहले भी पत्र लिखती रही है. दोनों देशों के बीच लोग गुरुद्वारे तक एक सुरक्षित गलियारा बनाने की भी मांग करते रहें हैं ताकि सिख लोग बिना पासपोर्ट या वीजा के इस गुरुद्वारे में दर्शन और पूजा कर सकें.
भारत ने ही शुरू की थी पहल
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 1974 के प्रोटोकॉल में करतापुर साहिब को शामिल करने के लिए भारत सरकार समय-समय पर पाकिस्तान से मांग करती रही है. हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है. यानी यह पाकिस्तान की ओर से आई कोई नई पेशकश नहीं है बल्कि भारत की काफी समय से लंबित मांग है जिसपर पाक सरकार को मंजूरी की मुहर लगानी है.
सिद्धू ने कहा है कि इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जनरल बाजवा ने उनसे करतार साहिब कॉरिडोर के बारे में जिक्र किया था. बता दें कि सिद्धू ने जनरल बाजवा से गले मिलने को कभी गलत नहीं बताया. सिद्धू ने कहा था कि अगर करतारपुर कॉरीडोर खुलता है तो मैं किसी के भी पांव पड़ सकता हूं.
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Source: IOCL





















