Karnataka Elections: कर्नाटक में अनुसूचित जाति कोटे में बदलाव से बवाल, जानिए क्या है वजह
Karnataka Election 2023: लंबानी समुदाय कर्नाटक राज्य में अनुसूचित जाति के आरक्षण का एक महत्वपूर्ण लाभार्थी रहा है. हालांकि, सरकार की घोषणा के कारण इस समुदाय को आरक्षण का हिस्सा कम होने का खतरा है.

Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राज्य में राजनीतिक दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कर्नाटक सरकार के हालिया फैसले को लेकर लंबानी समुदाय अनुसूचित जाति के लिए आंतरिक आरक्षण के विरोध में सड़क पर उतर आया है. इस समुदाय ने बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार से इस निर्णय को चुनाव से पहले वापस लेने की मांग की है. इस पर कर्नाटक के सीएम ने कहा कि स्थानीय कांग्रेस नेता लोगों को उकसा रहे हैं. कांग्रेस हर समुदाय के साथ किए गए सामाजिक न्याय को पचा नहीं पा रही है और उसने हिंसा भड़काने का सहारा लिया है.
प्रदर्शनकारियों ने कई बीजेपी नेताओं के साथ पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के शिवमोगा के शिकारीपुरा स्थित कार्यालय और घर पर हमला किया था. इसके बाद येदियुरप्पा ने इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया. हालांकि लंबानी समुदाय ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
क्या है इस प्रदर्शन की वजह?
लंबानी समुदाय कर्नाटक राज्य में अनुसूचित जाति के आरक्षण का एक महत्वपूर्ण लाभार्थी रहा है. हालांकि, राज्य सरकार की हाल ही में की गई घोषणा के कारण इस समुदाय को आरक्षण का हिस्सा कम होने का खतरा है. कर्नाटक में इससे पहले अनुसूचित जाति को 15% आरक्षण मिल रहा था. इसके बाद, राज्य में भाजपा सरकार ने आरक्षण को 2% बढ़ाकर 17% कर दिया. साथ ही उसी कैबिनेट बैठक में एससी आरक्षण को आंतरिक रूप से विभाजित करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद अनुसूचित जाति के आरक्षण को एससी वाम के लिए 6% और एससी राइट के लिए 5.5%, एससी अस्पृश्यों के लिए 4.5% और अन्य एससी समुदायों के लिए 1% में बांटा दिया गया है.
पहले की आरक्षण प्रणाली के तहत, लंबानी समुदाय को 10% तक बड़ा हिस्सा मिलता था. हालांकि, आंतरिक विभाजन के साथ, यह 4.5% तय किया गया है, जो उन्हें कम और अवैज्ञानिक लगता है. इन समुदायों के लोगों का आरोप है कि सरकार ने किसी भी सार्वजनिक मंच पर चर्चा किए बिना ही सदाशिव समिति की रिपोर्ट को लागू कर दिया है.
"कांग्रेस की साजिश और उकसावे की कार्रवाई"
येदियुरप्पा ने सोमवार (27 मार्च) को एक प्रेस बैठक बुलाई जहां उन्होंने कहा कि वह शिकारीपुरा का दौरा करेंगे और बंजारा समुदाय के लोगों से बात करेंगे. मुख्यमंत्री बोम्मई ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने कैबिनेट उप-समिति की सिफारिशों को लागू किया है न कि सदाशिव आयोग की सिफारिशों को. साथ ही सीएम ने कहा, "हमने तय किया है कि भविष्य में सदाशिव आयोग का कोई अमल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा जी ने बंजारा थंडा विकास बोर्ड की शुरुआत की थी. यदि कोई मुद्दे हैं, तो हम उन पर चर्चा कर सकते हैं और उन्हें सुलझा सकते हैं. यह कांग्रेस की साजिश है और उकसावे की कार्रवाई है.
राज्य में शुक्रवार से बंजारा समुदाय द्वारा फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है. विरोध प्रदर्शनों ने राज्य के कई हिस्सों में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. सड़कों को अवरुद्ध कर दिया गया है और सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुआ है. बंजारा समुदाय ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
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Source: IOCL





















