क्या सोनिया गांधी खराब अर्थव्यवस्था के सहारे राहुल गांधी की वापसी का रास्ता तलाश रही है ?
जब से सोनिया गांधी ने एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली है किसी भी जनसभा को सम्बोधित नहीं किया.

नई दिल्ली: कांग्रेस 14 दिसंबर को दिल्ली के राम लीला मैदान में होने वाली रैली के ज़रिए अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस के लिहाज़ से यह रैली इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती है कि इस जनसभा को राहुल गांधी सम्बोधित करें और इसीलिए रैली के लिए तीन तारीख बदली जा चुकी है. 30 नवंबर को यह रैली स्थगित की गई क्योंकि राहुल गांधी विदेश में थे और सोनिया गांधी बेटे राहुल के बिना रैली करना नहीं चाहती हैं.
जबसे सोनिया गांधी ने एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली है किसी भी जनसभा को सम्बोधित नहीं किया. यहां तक कि हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी सोनिया गांधी ने कहीं प्रचार नहीं किया. सोनिया गांधी को हरियाणा के रेवाडी में एक जनसभा करनी थी लेकिन आखिर मे तबीयत ख़राब होने के कारण जनसभा को कैंसिल करना पड़ा . तब भी हरियाणा के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद और भूपेन्द्र हुड्डा ने सोनिया गांधी को कहा कि अगर आप नहीं आ सकतीं तो प्रियंका गांधी को भेज दीजिए लेकिन सोनिया गांधी नहीं मानी और रेवाडी भी राहुल गांधी को ही भेजा. वो अलग बात है कि भूपेन्द्र हुड्डा उस रैली में नहीं गए.
ऐसे ही झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रचार की कोई तारीख़ नहीं दी है. वहां भी राहुल गांधी ही प्रचार कर रहे हैं. एक रैली राहुल गांधी सिमडेगा में कर चुके हैं. अब आने वाले सभी चरणों में राहुल गांधी की जनसभा कराने की तैयारी चल रही है. तो क्या यह महज़ एक इत्तफ़ाक़ है कि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे चुके हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी बता रही है कि पार्टी का चेहरा राहुल गांधी ही हैं और अब 14 दिसंबर की रैली में राहुल गांधी अर्थव्यवस्था की मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरेंगे तब सोनिया गांधी मंच पर मौजूद होंगी ? या फिर वहां से भी राहुल गांधी होने संदेश ही कांग्रेस के बड़ेनेताओं और कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा...
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