पहले सेटेलाइट 'आर्यभट्ट' बनाने वाले 'हॉल ऑफ फेम' वैज्ञानिक रामचंद्र राव नहीं रहे

नई दिल्ली: जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष उडुपी रामचंद्र राव का लंबी बीमारी के बाद 85 साल की उम्र में आज निधन हो गया. उडुपी रामचंद्र राव के निधन पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने दुख जताया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत के अंतरिक्ष की दुनिया में राव का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
Saddened by demise of renowned scientist, Professor UR Rao. His remarkable contribution to India's space programme will never be forgotten.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2017
इसरो के जनसंपर्क निदेशक देवीप्रसाद कार्णिक ने कहा, ''राव ने कल देर रात करीब तीन बजे अंतिम सांस ली.'' इसरो के अधिकारियों ने बताया कि वह उम्र संबंधी बीमारियों से परेशान थे और उन्होंने आज सुबह अपने आवास पर आखिरी सांस ली. राव के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं.''
कर्नाटक में उडुपी जिले के अडामारू क्षेत्र में जन्मे राव अभी तक इसरो के सभी अभियानों में किसी न किसी तरह शामिल थे. भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और प्राकृतिक संसाधनों की रिमोट सेंसिंग एवं संचार में इसके वृहद उपयोग में उनके अतुल्य योगदान के लिए उन्हें पहचाना जाता है.
वह अहमदाबाद में भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष और तिरुवनंतपुर में भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलाधिपति पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे. राव 1984-1994 तक इसरो के अध्यक्ष रह चुके हैं.
अंतरिक्ष एजेंसी की वेबसाइट पर दिए उनके परिचय के अनुसार वर्ष 1984 में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने रॉकेट प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाई, जिसके चलते एएसएलवी रॉकेट का सफल प्रक्षेपण हुआ और साथ ही दो टन तक के उपग्रहों को धुव्रीय कक्षा में स्थापित कर सकने वाले पीएसएलवी का भी सफल प्रक्षेपण संभव हो सका. उन्होंने वर्ष 1991 में क्रायोजेनिक तकनीक और भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के विकास की पहल भी की.
भारतीय अंतरिक्ष तकनीक में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1976 में पद्म भूषण और 2017 पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.
राव पहले भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्हें 19 मार्च 2013 में वॉशिंगटन डीसी के प्रतिष्ठित 'सेटेलाइट हॉल ऑफ फेम' में शामिल किया गया और मैक्सिको के ग्वाडलाजारा में 'आईएएफ हॉल ऑफ फेम' में शामिल करके सम्मानित किया गया.
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