PM मोदी के इजरायल दौरे से यहूदी समुदाय को है ये बड़ी उम्मीद

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल दौरे से भारत में बसे यहूदी समुदाय ने भी बड़ी उम्मीदें लगा रखीं हैं. करीब दो हजार साल से भारत में बसा यहूदी समुदाय चाहता है कि केंद्र सरकार उसे भी अल्पसंख्यक का दर्जा दे.
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पीएम मोदी के इजराइल दौरे को देखते हुए यहूदियों की मांग तेज हुई
नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे जो कि इजरायल से कूटनीतिक रिश्ते स्थापित होने के 25 साल बाद पहली बार इजरायल यात्रा पर जायेंगे. प्रधानमंत्री का ये इजरायल दौरा ऐतिहासिक तो है ही, इस दौरे के साथ कई उम्मीदें भी जुडीं हैं. यहूदी समुदाय करीब 2000 साल पहले भारत आकर बस गया और यहां कि मिट्टी में घुल मिल गया. हालांकि इन सालों में उसने अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखी है.
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यहूदी समुदाय लंबे समय से अल्पसंख्यक दर्जा की मांग कर रहा है
एली रामराजकर के शख्स मुंबई से सटे ठाणे में अपने परिवार के साथ रहते हैं. पीएम मोदी के इजराइल दौरे को लेकर एली और उसका परिवार काफी उत्साहित है. भारत के यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से लेकर यहूदी सांस्कृतिक और सामुदायिक केंद्रों की हिफाज़त जैसे कई मुद्दे हैं, जिनको लेकर एली के परिवार ने प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद लगा रखी है.
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एली की तरह कई और यहूदियों का मानना है कि अल्पसंख्यक दर्जा उनके समुदाय की जरूरत है. इनका कहना है कि अगर मोदी यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दे देते हैं तो उससे यहूदी समुदाय के उत्थान में उनका बड़ा योगदान होगा.
महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा
पिछली सदी में भारत में करीब 60 हज़ार यहूदी रहते थे, जो अब घटकर 6 हज़ार रह गए हैं. बड़ी तादाद में यहूदी इजराइल और दुसरे देश चले गए हैं. भारत में रह रहे यहूदियों में सबसे ज्यादा यानी करीब ढाई हज़ार अकेले महाराष्ट्र में हैं और अबतक सिर्फ महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल ने ही यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्ज दिया है.
करीब 2000 साल पहले भारत में आये थे यहूदी समुदाय के लोग
भारत में यहूदियों का इतिहास करीब दो हज़ार साल पुराना है. मध्य पूर्व के देशों से यहूदी तेल के व्यापार के लिए भारत के पश्चिमी तटों पर आये थे और यहीं के हो गए. इतने सालों में यहूदियों ने अपनी धार्मिक परम्पराओं को तो सहेजा ही है भारतीय संस्कृति को भी खुले दिल से अपना लिया है.

भारत में यहूदी समुदाय बड़ी ही शांति से रहता है. इनके तीजत्यौहार भी औरों को पता नहीं चलते, लेकिन इनके मन में भारत के प्रति अपनत्व है, सम्मान है और प्यार है. उम्मीद की जा रही है की मोदी की इजराइल यात्रा के बाद ये भावनाएं और मजबूत होंगी.
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