SCO बैठक में भारत की इशारों में चीन-पाकिस्तान को खरी-खरी, कहा- आतंकवाद के इलाज बिना आर्थिक सहयोग की बात अधूरी
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन देशों के शासनाध्यक्षों क़ई बैठक में चीन और पकिस्तान को खरी नसीहत दी. भारत ने व्यापार में पारस्परिक विश्वास और पारदर्शिता पर ज़ोर दिया.

नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन देशों के शासनाध्यक्षों क़ई बैठक में भारत ने इशारों ही इशारों में चीन और पकिस्तान को भी खरी नसीहत दी. यूरेशिया इलाके में क्षेत्रीय सहयोग के इस महत्वपूर्ण मंच से भारत ने जहां व्यापार में पारस्परिक विश्वास और पारदर्शिता पर ज़ोर दिया. वहीं यह भी साफ किया कि आर्थिक विकास और व्यापार केवल शांति और सुरक्षा के वातावरण में ही चल सकता है.
बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति डॉ एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कोविड19 महामारी ने सभी मुल्कों को प्रभावित किया है और SCO सदस्य देशों की आर्थिक रफ्तार को भी धीमा किया है. साथ ही इस महामारी ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं की कमज़ोरी को भी प्रभावित किया है. कोविड19 जैसी चुनौती से मुकाबले के लिए विकास रणनीतियों को फिर से तैयार करने और एक परिमार्जित बहुपक्षीय व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है.
कोरोना संकट ने दुनिया को कमजोरियों से अवगत कराया है
वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चल रही कवायदों के बीच भारत ने SCO के मंच से कहा कि कोरोना संकट ने दुनिया को कमजोरियों से अवगत कराया है. ऐसे में हमारी उम्मीद व्यापार और निवेश को पुनर्जीवित करने और आर्थिक सुधार के इंजन से है. मगर वैश्विक व्यापार की सक्रिय भूमिका के लिए ज़रूरी है कि सभी भागीदार भरोसेमंद और पारदर्शी हों. विश्वास और पारदर्शिता ही वैश्विक व्यापार की स्थिरता को निर्धारित करती है. इसके लिए आवश्यक है कि राष्ट्रों को इस प्रणाली का हिस्सा बने रहने के लिए व्यापार के बहुपक्षीय नियमों के अनुपालन का प्रदर्शन करना चाहिए.
महत्वपूर्ण है कि कोविड संकट और सीमा तनाव के बीच भारत ने चीन के कई मोबाइल एप्लिकेशंस पर सुरक्षा सेंध के सवाल उठाते हुए प्रतिबंध लगाए थे. इसके अलावा सप्लाई चेन निर्भरता को लेकर भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में सवाल उठे हैं.
एससीओ देशों के शासन प्रमुखों की बैठक में रूस और चीन के प्रधानमंत्री शामिल हुए, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इसमें शरीक नहीं है. बल्कि एक सचिव स्तर अधिकारी ने नुमाइंदगी की. पाकिस्तानी पीएम की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव(पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा कि उनकी गैर-मौजूदगी के बारे में तो पाक सरकार ही बता सकती है. लेकिन किस स्तर पर प्रतिनिधत्व किया जा रहा है इससे एससीओ संगठन के प्रति प्रतिबद्धता का पता भी चलता है.
विकास और प्रगति के लिए शांति और स्थायित्व जरूरी है- उपराष्ट्रपति नायडू
इससे पहले एससीओ बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि विकास और प्रगति के लिए शांति और स्थायित्व जरूरी है. हमारे क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण चुनौती है आतंकवाद, खासतौर पर सीमा-पार आतंकवाद, जो मानवता का दुश्मन है. भारत आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा करता है. मगर, अब भी कई देश ऐसे हैं जो आतंकवाद का इस्तेमाल सरकारी नीति की तरह करते हैं.
भारत ने पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने की कोशिशों को भी एससीओ चार्टर का खुला उल्लंघन करार दिया. उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यह स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है लेकिन फिर भी द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने का प्रयास किया जाता है.
महत्वपूर्ण है कि एससीओ की कार्यप्रणाली में इस बात की व्यवस्था की गई है कि आपसी तनाव बढ़ाने वाले किसी विपक्षी विवाद के मुद्दे को न उठाया जाए. साथ ही इस बात का भी प्रावधान है कि यदि एससीओ मंच से तय हुई सहयोग की किसी योजना को कोई एक देश रोकने का प्रयास करता है तो उसे दरकिनार कर आगे बढ़ा जा सकता है.
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Source: IOCL























