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पंजाब की इस सबसे बड़ी समस्या से कैसे निपटेंगे कैप्टन अमरिंदर सिंह?

नई दिल्ली: पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार ने मोर्चा संभाल लिया है. सोमवार से अपने मेनिफेस्टो पर काम करने का वादा किया है. एबीपी न्यूज के कार्यक्रम घोषणापत्र में अमरिंदर सिंह ने 4 हफ्ते में ड्रग खत्म करने का वादा दोहराया था. सीएम बनने के बाद उन्होंने एलान भी कर दिया कि सोमवार से मेनिफेस्टो पर काम किया जाएगा. सप्लाई की चेन तोड़नी पड़ेगी: एक्सपर्ट अगर अमरिंदर सिंह को ड्रग्स पर काबू करना है तो सबसे पहले उस सप्लाई चेन को तोड़ना पड़ेगा जिसके जरिए ड्रग्स पंजाब तक पहुंचती हैं. पंजाब में ड्रग्स की समस्या की जड़ सिंथेटिक हेरोइन है जिसे स्थानीय भाषा में चिट्टा कहा जाता है. चिट्टा में कई केमिकल शामिल होते हैं. अमरिंदर सिंह ने 41 पुलिस अधिकारियों समेत कुल 73 तबादले किए हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि नशे की समस्या तभी खत्म होगी जब अमरिंदर सरकार गुड गवर्नेंस लागू करके दिखाएगी. नशा छुड़ाना भी बड़ी समस्या सप्लाई चेन काटने के बाद दूसरी बड़ी समस्या नशा छुड़ाने की होगी. पंजाब में निजी और प्राइवेट मिलाकर करीब 400 नशा मुक्ति केंद्र हैं जबकि 18 से 35 आयुवर्ग में करीब 70 फीसदी आबादी को नशा पीड़ित माना जाता है. ऐसे में पर्याप्त नशा मुक्ति की दवाएं मुहैया कराना आसान नहीं होगा. नशा छुड़ाने के मामलों में 6 महीने तक का वक्त लग सकता है. ऐसे में जानकार पंजाब में नशा मुक्ति के लिए अलग मंत्रालय की मांग कर रहे हैँ. ड्रग्स खरीदने में साढ़े सात हजार करोड़ खर्च- सर्वे एक सर्वे के मुताबिक पंजाब में लोग ड्रग्स खरीदने में करीब साढ़े सात हजार करोड़ खर्च कर देते हैं. ये पैसा अगर पंजाब में लगे तो तरक्की ला सकता है. एक महीने में नशा मुक्ति मुश्किल लगती है लेकिन अगर सप्लाई चेन पर ही अमरिंदर एक्शन ले पाए तो पंजाब के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
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