Himachal Pradesh Election 2022: बीजेपी की कौन-कौन सी रेवड़ियों को त्यागकर हिमाचल के वोटर्स ने कांग्रेस को चुना, जानें
Himachal Pradesh Election: हिमाचल के मतदाताओं ने आप और बीजेपी के फ्री के ऑफरों को ठुकराते हुए जिस तरह कांग्रेस का साथ दिया है, वह आने वाले समय में नया उदाहरण सेट कर सकता है.
Himachal Pradesh Election Result 2022: गुजरात में भले ही बेशक बीजेपी ने रेकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की हो, लेकिन हिमाचल प्रदेश में उसे हार का सामना करना पड़ा है. यहां कांग्रेस ने जीत हासिल कर उसे कुर्सी से हटा दिया है. इस बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में वैसे तो कई नई चीजें मतदाताओं ने दिखाईं, लेकिन इसमें सबसे खास ये है कि वोटर्स ने फ्री की रेवड़ी पर ध्यान नहीं दिया.
एक तरफ उसके सामने आप थी, तो दूसरी तरफ बीजेपी ने भी वोटरों को लुभाने के लिए "फ्री गिफ्ट" के कई ऑफरों की घोषणा की, लेकिन लोगों ने इन ऑफरों को छोड़ हाथ को ही चुना. आइए जानते हैं कैसे हुआ ये सब.
PM ने दूसरे दलों को घेरा, बीजेपी ने लगाई ऑफर्स की झड़ी
पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही पिछले महीने करदाताओं के पैसे की कीमत पर मुफ्त में चीजें देने की संस्कृति की आलोचना की थी, लेकिन चुनाव के दौरान हिमाचल में उनकी पार्टी ही इस पर अमल करती नहीं दिखी. बीजेपी ने अपने 'संकल्प पत्र' में आठ लाख नौकरियों की पेशकश की जबकि कांग्रेस ने अपने 'प्रतिज्ञा पत्र' में पांच लाख नौकरियों का वादा किया था. हालांकि, किसी ने भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे इन अवसरों को कैसे उत्पन्न करेंगे. दोनों ने युवाओं को लुभाने के लिए स्टार्ट-अप के लिए करोड़ों रुपये के कोष का वादा किया है.
कर्मचारियों के लिए ये ऑफर
कर्मचारियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का दावा किया लेकिन सवाल ये उठता है कि जब राज्य पहले से ही भारी कर्ज में डूबा हुआ है, तो ये फंड कहां से आएगा, इस पर पार्टी चुप है. ओपीएस पर भाजपा खामोश है, लेकिन महंगाई भत्ते (डीए) को 34 फीसदी से बढ़ाकर 38 फीसदी करने, आदिवासी और दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवा के लिए दिए जाने वाले भत्ते को दोगुना करने और वेतन को केंद्र से जोड़ने का वादा कर उसने कांग्रेस के ऑफर को छोटा बनाने की कोशिश की थी.
किसानों को भी साधने की थी कोशिश
किसानों को लुभाने के लिए भी बीजेपी ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत पहले से दिए गए 6,000 रुपये के टॉप-अप के रूप में छोटे किसानों को 3,000 रुपये सालाना प्रदान करने के लिए 'मुख्यमंत्री अन्नदाता सम्मान निधि' शुरू करने की घोषणा की थी. युवा वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी संस्थानों में नामांकित सभी छात्रों के लिए सरकारी बसों में मुफ्त परिवहन का वादा किया था. इसके अलावा, 10वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए सिम कार्ड के साथ मुफ्त टैबलेट, स्कूलों और कॉलेजों में सभी छात्रों के लिए स्नातक तक मुफ्त शिक्षा की भी घोषणा की थी. वहीं, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में छात्रों के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी.
महिला वोटरों को भी दिए थे कई ऑफर
बीजेपी ने महिला वोटरों को भी लुभाने की पूरी कोशिश की थी. महिला सशक्तिकरण के नाम पर छठी से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों को साइकिल और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों को स्कूटी देने का वादा किया गया था. महिला उद्यमियों को ब्याज मुक्त ऋण, महिला स्वयं सहायता समूहों को 2 प्रतिशत की दर से ऋण, गर्भवती महिलाओं को 25,000 रुपये, गरीब परिवारों की महिलाओं को तीन एलपीजी सिलेंडर, और सरकार से कक्षा 12 वीं पास करने वाली शीर्ष 5,000 रैंक वाली महिला छात्रों को 2,500 रुपये की छात्रवृत्ति देने की बात बीजेपी की तरफ से कही गई थी.
नौकरी और आरक्षण का भी था गिफ्ट
बीजेपी का ऑफर यहीं खत्म नहीं हुआ था, उसने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था. वहीं कांग्रेस ने 18 साल से 60 साल की उम्र की महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा किया था. महिलाएं हिमाचल में बढ़चढ़कर वोटिंग करती हैं.
सीनियर सिटिजन के लिए ये था ऑफर
बीजेपी ने सामाजिक कल्याण के तहत, बीपीएल परिवारों से एक लाख वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ यात्रा करने के लिए 20,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने, बीपीएल श्रेणी से संबंधित छात्रों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए 100 प्रतिशत छात्रवृत्ति की पेशकश की थी. इसके अलावा, सफाई कर्मचारियों के बच्चों को 4,000 रुपये से 10,000 रुपये तक की छात्रवृत्ति देने का भी वादा किया गया था.
बीजेपी अध्यक्ष ने किया था मुफ्तखोरी से इनकार
खैरात पर सवाल किए जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह मुफ्तखोरी नहीं है, बल्कि लोगों को सशक्त बनाने की उनकी प्रतिबद्धता है. वहीं, राज्यसभा सांसद और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने बीजेपी के घोषणा पत्र को वोटरों को लुभाने वाला 'जुमला पत्र' बताया. उन्होंने कहा, ‘वे ओपीएस सहित सरकारी कर्मचारियों से संबंधित मुद्दों पर चुप हैं.’
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