चुनाव लड़ने का फैसला सही समय पर लूंगा : हार्दिक पटेल
हार्दिक पटेल ने आज इंदौर प्रेस क्लब में कहा, "मेरा चुनाव लड़ने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. मेरा ना तो कोई राजनीतिक मकसद है, ना ही मैं किसी सियासी दल का चेहरा हूँ. मैं केवल समाज और किसानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहा हूँ.’’
इंदौर: गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल का कहना है कि वह फिलहाल राजनीति में किस्मत नहीं आजमाएंगे. इन दिनों हार्दिक, मध्यप्रदेश में किसानों के मुद्दों को लेकर सक्रिय हैं.
हार्दिक पटेल ने कहा, "मेरा चुनाव लड़ने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. मेरा ना तो कोई राजनीतिक मकसद है, ना ही मैं किसी सियासी दल का चेहरा हूँ. मैं केवल समाज और किसानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहा हूँ.’’ 24 साल के नेता ने कहा, "मैं चुनावी सियासत में उतरने के बारे में सही समय पर फैसला करूंगा."
हार्दिक ने गुजरात के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने को उनकी उम्र के लिहाज से अच्छा फैसला बताया. इसके साथ ही हार्दिक ने कहा कि गुजरात के अगले विधानसभा चुनावों में वाघेला के साथ किसी संभावित गठबंधन को लेकर उनकी फिलहाल ना तो कोई योजना है, ना ही इस सिलसिले में दोनों नेताओं के बीच कोई बात हुई है.
हार्दिक पटेल ने मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में पिछले महीने किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच लोगों की मौत पर शिवराज सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि गुजरात की तरह मध्यप्रदेश में भी किसानों की आवाज दबाई जा रही है. उन्होंने चुनौती भरे तेवर से कहा, "मैं लगातार मध्यप्रदेश आऊंगा और पूरी मजबूती से आऊंगा. जिसे जो करना है, कर ले. मैं आने वाले कुछ महीनों में ग्वालियर और दूसरी जगहों पर किसान सभाओं में भाग लूंगा."
पटेल ने मांग की कि देश भर में किसानों का कर्ज माफ किया जाएं, 50 साल से ज्यादा उम्र वाले किसानों को सरकारी पेंशन मिले और राष्ट्रीय कृषक आयोग बनाया जाए. इसके साथ ही, मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों में पिछले महीने किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लादे गये तमाम आपराधिक मामले वापस लिए जाएं जिनमें अफीम तस्करी के कथित तौर फर्जी मामले शामिल हैं.
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आशंका जतायी थी कि मंदसौर जिले में पिछले महीने किसानों को हिंसक आंदोलन के लिए भड़काने में हार्दिक पटेल का हाथ हो सकता है. इस बयान पर पटेल ने पलटवार करते हुए कहा, "मैं पिछले महीने की हिंसक घटनाओं से पहले मध्यप्रदेश आया ही नहीं था. लेकिन मेरा नाम लेकर झूठ फैलाया गया. यह सब विजयवर्गीय का किया-धरा है. आखिर उन्हें इस सिलसिले में झूठे तौर पर मेरा नाम लेने की जरूरत ही क्या थी?"