IAF को मिली नई ताकत, शामिल किया गया 10 स्वदेशी LCH 'प्रचंड', जानें क्यों चीन-पाक की उड़ेगी नींद, 10 प्वाइंट्स
Light Combat Helicopter: देश की एयर-पावर और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में 3 अक्टूबर बेहद महत्वपूर्ण रहा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में एलसीएच को वायुसेना में शामिल किया गया.
IAF Get LCH Helicopter: वायुसेना (Indian Air Force) ने देश में विकसित हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर (LCH) को सोमवार को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. इससे वायुसेना की ताकत में भारी इजाफा हुआ है. ये हेलिकॉप्टर (Helicopter) कई मिसाइलों और अन्य हथियारों को दागने में सक्षम है. इस हेलिकॉप्टर को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी की मौजूदगी में एलसीएच को जोधपुर स्थित वायुसेना स्टेशन पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल किया गया. इसे शामिल करने से पहले जोधपुर एयरबेस पर पूजा पाठ हुई और मंत्रोच्चारण किया गया. 5.8 टन वजन के और दो इंजन वाले इस हेलिकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है.
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण रोल अदा किया है. चाहे वो आतंरिक खतरे हों या बाहरी युद्ध भारतीय वायुसेना ने हमेशा ही अपने साहस और बहादुरी से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया है. स्वदेश में विकसित एलसीएच के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की दक्षता में वृद्धि होगी.
जानिए, 10 बड़ी बातें
लाइट कॉम्बेट हेलिकॉप्टर यानि एलसीएच हेलिकॉप्टर का वजन करीब 6 टन है, जिसके चलते ये बेहद हल्का है जबकि अमेरिका से लिए गए अपाचे हेलिकॉप्टर का वजन करीब 10 टन है.
वजन कम होने के चलते एलसीएच हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में भी अपनी मिसाइल और दूसरे हथियारों से लैस होकर टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है.
एलसीएच अटैक हेलिकॉप्टर में फ्रांस से खास तौर से ली गई 'मिस्ट्रल' एयर टू एयर यानी हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइल से लैस है.
एलसीएच में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं.
इसके अलावा एलसीएच की नोज़ यानि फ्रंट में एक 20एमएम की गन लगी हुई है जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है.
पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिसपिले हो जाते हैं.
एलसीएच स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद से ही भारत ने तैयार करने का मन बना लिया था. क्योंकि उस वक्त भारत के पास ऐसा अटैक हेलिकॉप्टर नहीं था जो 15-16 हजार फीट की उंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके. इस प्रोजेक्ट को 2006 में मंजूरी दी गई.
पिछले 15 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जाकर ये लाइट कॉम्बेट हेलिकॉप्टर तैयार हुआ है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इन हेलिकॉप्टरों में 45% स्वदेशी उपकरण हैं, जिसे बाद के संस्करणों में बढ़ाकर 55% कर दिया जाएगा.
यह हेलिकॉप्टर अधिक सक्रिय, गतिशील, एक्सटेंडेड रेंज, ऊंचाई के इलाकों और चौबीसों घंटे तैनाती, लड़ाई के दौरान सर्च और रेस्क्यू, दुश्मन के एयर डिफेंस पर हमला और काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन की भूमिका निभाने के लिए हर मौसम में मुकाबला करने में सक्षम है.
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