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इंडियन एयरफोर्स के बारे में खास बातें जिन्हें जान कर आपको भी होगा गर्व
दुनिया की चौथी बड़ी सैन्य शक्ति वाली भारतीय वायु सेना की जाबांजी के कई किस्से मशूहर हैं. किस्सों को गिनना तो बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि वायु सेना की अदम्य साहस और योगदान की गणना की ही नहीं जा सकती है.

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना की जांबाजी के किस्से हर हिन्दुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा कर देते हैं. संकट की घड़ी में जहां जमीन पर भारतीय थल सेना के सैनिक दुश्मनों से लोहा ले रहे होते हैं तो वही आसमान में हमारे देश की सुरक्षा का जिम्मा भारतीय वायु के सेना के हाथों में होता है. दुनिया की चौथी बड़ी सैन्य शक्ति वाली भारतीय वायु सेना की जाबांजी के कई किस्से मशूहर हैं. किस्सों को गिनना तो बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि वायु सेना की अदम्य साहस और योगदान की गणना की ही नहीं जा सकती है. खैर, हम आपको अपने इस व्योम प्रहरी के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं- 1933 में गठित भारतीय वायु सेना में साल-दर-साल इसकी बेहतरी का प्रयास किया गया है. किसी भी सरकार का पहला मकसद होता है कि आकाश में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली भारतीय वायु सेना को और बेहतर से बेहतर बनाया जाए. पहले कमांडर-इन-चीफ एयर मार्शल सर थॉमस वाकर एमहिस्ट ने भारतीय वायु सेना को एक ऐसी सेवा के रूप में स्थापित किया जिसकी मदद से देश को सुरक्षित रखा जा सके. अपने शुरुआती दौर में भारतीय थल सेना का कमांडर-इन-चीफ ही भारतीय वायु सेना पर कंट्रोल रखता था. गणतंत्र विशेष: इस गांव के हर घर से है कोई ना कोई फौज में, लड़कियां भी नहीं पीछे तकनीकी मामले में कुछ देश हमारी वायुसेना से आगे हो सकते हैं लेकिन अपने संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के कारण हमारी एयरफोर्स से दुश्मन देश हमेशा थर्राते हैं. करीब 1500 फाइटर विमानों से लैस भारतीय वायु सेना के बेड़े में कुछ एक ऐसे फाइटर विमान हैं जिन पर पूरे देश को नाज है. इन सब में सबसे खतरनाक विमान है 4.5 जेनरेशन सुखोई, जो करीब 1350 किलो मीटर की रफ्तार से हवा से बातें करता है. इस विमान को भारत ने सैन्य सामानों के व्यापार के लिए सबसे भरोसेमंद देश रूस से खरीदा है. भारतीय वायु सेना के बेड़े में ऐसे करीब 40 सुखोई विमान शामिल हैं. वायु सेना के जंगी बेड़े में मिराज, मिग 29, जगुआर और मिग 27 जैसे लड़ाकू विमान की उपस्थिति के कारण भारतीय वायु सेना दुश्मनों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहती है. जंग के दौरान हेलिकॉप्टरों की भूमिका भी काफी अहम होती है, जिसे कई तरीके से काम में लिया जाता है. खास तौर पर युद्ध के स्थान पर लड़ रहे सेना के जवानों के लिए जरूरी सामान, खाने-पीने की चीज़ें लाने और ले जाने के साथ-साथ दुर्गम स्थानों पर छिड़ी जंग में सैनिकों को ले जाने में ये हेलिकॉप्टर अहम भूमिका निभाते हैं. भारतीय वायु सेना में करीब 600 से भी अधिक हेलिकॉप्टर शामिल हैं जो साझा तौर पर तीनों सेनाओं के लिए काम आते हैं. गणतंत्र विशेष: 15 गोलियां भी कुछ नहीं बिगाड़ पाईं थीं योगेंद्र का, ऐसे किया टाइगर हिल पर कब्जा बता दें कि साल 1965 में छिड़े भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना की क्षमता पाकिस्तान के आगे थोड़ी कम थी. मगर भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी आक्रमण को इस कदर ध्वस्त किया कि पाकिस्तान आज तक थर्राता है. 1971 भारत-पाक युद्ध में तो एयरफोर्स ने ऐसी मिसाल पेश की जिसका उदाहरण आज भी दिया जाता है. इस युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना ने 29 पाकिस्तानी टैंकों, 40 ए.पी.सी. और एक ट्रेन को तबाह कर दिया था. युद्ध में वीरता और अदम्य साहस का परिचय देते हुए निर्मल जीत सिंह सेखों ने वीरता के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र अपने नाम किया. उन्हें यह सम्मान 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच उनकी आखिरी लड़ाई के लिए दिया गया. इस जंग में निर्मल जीत सिंह सेखों की शहादत हो गई थी. देश की सेवा करने के साथ-साथ आपदा और विपत्तियों में भी भारतीय वायु सेना लोगों के काम आई हैं. 2013 में आई भीषण बाढ़ के दौरान भारतीय वायु सेना की तरफ से चलाया गया ऑपरेशन राहत अपनी तरह का विश्व का सबसे बड़ा ऑपरेशन था. इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना ने हेलिकॉप्टर की मदद से इस भीषण बाढ़ में फंसे लोगों की जान की रक्षा की थी.
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