फर्जी डॉक्यूमेंट से प्रीपेड सिम कार्ड का कारोबार करने वालों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार, बेचें 50 हजार से ज्यादा सिम
दिल्ली पुलिस ने असम के ऐसे गिरोह को गिरफ्तार किया जो फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए प्रीपेड सिम खरीदकर बेचा करते थे. दिल्ली पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह बीते डेढ़ साल में साइबर क्रिमिनल, जालसाजों और बदमाशों को 50 हजार से ज्यादा सिम कार्ड बेच चुके हैं.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए असम से ऐसे गिरोह को गिरफ्तार किया जो फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए प्रीपेड सिम खरीदकर आगे महंगे दामों पर बदमाशों, फेक कॉल सेन्टर चलाने वाले गिरोह और साइबर क्रिमीनल को बेचते थे. पुलिस ने इनके पास से 760 सिम कार्ड, 10 मोबाइल औऱ 40 फर्जी आइडेंटिटी कार्ड बरामद किए है.
पुलिस के मुताबिक मुखबिर से एक शख्स के पास फर्जी सिम कार्ड होने की सूचना मिलने के बाद नॉर्थवेस्ट डिस्ट्रिक्ट की साइबर सेल के इंस्पेक्टर संजय कुमार ने अपनी टीम के साथ रेड मारकर वीरेंद्र सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया. इससे पूछताछ के बाद पुलिस ने इसके 3 ओर साथियों को गिरफ्तार कर कुल 760 प्रीपेड सिम बरामद किए. वीरेंद्र ने पुलिस को बताया कि ये असम के रहने वाले उस्मान से असम से ये प्रीपेड सिम कार्ड मंगवाता था. और अपने इन तीनो साथियों की मदद से असामाजिक तत्वों को बेच देता था.
कैसे करते थे ये सिम कार्ड काम
पुलिस के मुताबिक असम में बैठा उस्मान फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर एक नामी कंपनी की प्रीपेड सिम खरीद लेता था. दरअसल प्रीपेड सिम खरीदने के बाद एक समय के अंदर उसे रिचार्ज करवाना होता है. रिचार्ज नहीं करवाने पर उस सिम की इनकमिंग और आउट गोइंग कॉल शुरू नहीं होती. लेकिन उस सिम में इनकमिंग मैसेज चालू रहता था.
उस्मान उस समय सीमा के निकलने के बाद उन सिम को आगे वीरेंद्र को बेच देता था. गिरफ्तार वीरेंद्र इन सिम कार्ड को आगे बदमाशों, गैंगस्टर, साइबर चीटिंग करने वाले और फ़र्ज़ी काल सेन्टर चलाने वाले गिरोह को बेच देता था.
एप्प के जरीए करते थे जालसाजी
आपको बता दें कि प्रीपेड सिम कार्ड रिचार्ज न होने के कारण ये जालसाज सर्विस प्रोवाइडर के वेरिफिकेशन से बच जाते थे. लेकिन मैसेज की इनकमिंग सर्विस होने के चलते वाईफाई की मदद से सोशल मीडिया एप्प डाउनलोड कर लोगों के साथ फ्रॉड करते थे. दरअसल इन सोशल मीडिया एप्प को एक्टिवेट करने के लिए मोबाइल नंबर पर ओटीपी आता है और इन नम्बरों पर मैसेज की इनकमिंग चालू होने के चलते ये गिरोह इन एप्प को शुरू करके इनका इस्तेमाल जालसाजी के लिए करते थे.
सूत्रों का कहना है कि इस तरह की प्री पेड सिम का बदमाश एक्सटॉर्शन, रंगदारी जैसी वारदातो में इस्तेमाल करते है. और पुलिस के लिए उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है. दिल्ली से गिरफ्तार आरोपी वीरेंद्र से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने असम से इस उस्मान को गिरफ्तार कर लिया.
ई कॉमर्स कंपनी को भी लगा रहे थे चूना.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक वीरेंद्र इन प्रीपेड सिम को साइबर जालसाजों और बदमाशों को बेचने से पहले इन सिम के जरिए ऑनलाइन ग्रोसरी का सामान खरीदना था . दरअसल ऑनलाइन ग्रॉसरी का सामान बेचने वाली कई कंपनियां किसी भी नए यूजर को पहली बार सामान खरीदने पर भारी डिस्काउंट देने का ऑफर देती है. विरेंदर इन सिम के जरिये ऑनलाइन ग्रोसरी का सामान भारी डिस्काउंट पर खरीद लेता था और आगे उन सामान को रिटेल की दुकानों पर बेच देता था.
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